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कर्नाटक: कांग्रेस विधायक की बगावत, कुमारस्वामी ने रद्द की दिल्ली यात्रा

लोकसभा चुनाव रिजल्ट से पहले एग्जिट पोल सर्वे में कर्नाटक में बड़े उलटफेर का अनुमान है, हालांकि अभी रिजल्ट आने में वक्त है लेकिन वहां पर सियासी हलचल बढ़ गई है. अब कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) की गठबंधन सरकार के अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है. बदलते राजनीतिक समीकरण के बीच आज मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की दिल्ली की यात्रा स्थगित हो गई है.

मतदान के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे पर आज (मंगलवार) 22 विपक्षी दलों के नेता चुनाव आयोग के साथ बैठक करने वाले हैं, जिसमें शामिल होने कर्नाटक के मुख्यमंत्री और जनता दल (एस) के नेता एचडी कुमारस्वामी दिल्ली आने वाले थे, लेकिन अब वो दिल्ली नहीं आ रहे हैं और राज्य के हालात पर नजर बनाए रखने के लिए बंगलुरू में रूक गए हैं. सत्तारुढ़ दलों के कई नाराज नेताओं के बगावत की आशंका जताई जा रही है. अभी कांग्रेस के मुस्लिम नेता रोशन बेग ने बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं.

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी आज शाम साढ़े 5 बजे कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक के कांग्रेस प्रभारी के.सी वेणुगोपाल से मिलने वाले हैं. राज्य में सियासी हलचल एग्जिट पोल सर्वे आने के बाद से फिर से तेज हो गया है. आजतक-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के आंकड़ो के मुताबिक राज्य में बीजेपी को 28 सीटों में से 21 से लेकर 25 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस और जनता दल (एस) गठबंधन के खाते में महज 3-6 सीट आने की उम्मीद जताई गई है. यह स्थिति तब है जहां पिछले साल ही कांग्रेस और जनता दल (एस) की संयुक्त सरकार अस्तित्व में आई. सर्वे के अनुसार बीजेपी को राज्य में करीब 49 फीसदी वोट मिल सकते हैं जबकि कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन को 43 फीसदी वोट पाने की उम्मीद जताई गई है.

सर्वे आने के बाद राज्य में कांग्रेस के मुस्लिम नेता रोशन बेग से सुर बदलते हुए पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल को जोकर करार दिया. उन्होंने कांग्रेस के स्थानीय नेताओं पर हमला करते हुए कहा कि वेणुगोपाल जोकर हैं. दिनेश गुंडु राव नाकाम पार्टी अध्यक्ष हैं. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी अगर राज्य में 18 या उससे ज्यादा सीट पाती है तो यह सिद्धारमैया और अन्य नेताओं के कारण है. यह कांग्रेस को जोरदार तमाचा है.

उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की आलोचना करते हुए कहा कि वह खुद नहीं चाहते कि यह सरकार ज्यादा समय तक चले. वह कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं देख सकते.

कर्नाटक की राजनीतिक परिदृश्य की बात की जाए तो 225 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78, जेडीएस को 37, बसपा को 1, केपीजेपी को 1 और अन्य को 2 सीटों पर जीत मिली थी. किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. बीजेपी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते पहले बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री की शपथ ली, लेकिन कांग्रेस-जेडीएस के एक साथ आने से वह बहुमत साबित नहीं कर सके. इसके बाद कांग्रेस ने जनता दल (एस) के समर्थन के साथ राज्य में एच डी कुमारस्वामी की सरकार बन गई.

कर्नाटक में शुरुआत से ही कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं. खुद कुमारस्वामी भी कई बार ऐसा कह चुके हैं. इसके अलावा कांग्रेस के कई विधायकों की नाराजगी की बातें भी सामने आती रही हैं. यही नहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया और कुमारस्वामी के बीच भी मतभेद की बात कई बार आ चुकी है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में जिस तरह से एग्जिट पोल आए हैं, उस लिहाज से बीजेपी 2014 से ज्यादा सीटें जीतती हुई नजर आ रही है.

अगर यही आंकड़े नतीजों में बदल जाते हैं तो कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी कर्नाटक में सरकार बनाने की फिर से कोशिश कर सकती है. सिर्फ कर्नाटक ही नहीं मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर संकट मंडराने लगे हैं क्योंकि राज्य की 231 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 113 और बीजेपी को 109 सीटें मिली जबकि बसपा दो, सपा एक और निर्दलीय चार सीट जीतने में कामयाब रहे. इस तरह से देखें तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच महज चार सीट का फर्क है. कांग्रेस की सबसे ज्यादा सीटें होने के कारण कमलनाथ ने चार निर्दलीय, दो बसपा के और एक सपा विधायकों के समर्थन से सत्ता पर काबिज हुए. यहां भी सर्वे में बीजेपी बड़ी जीत हासिल करती दिख रही है, ऐसे में यहां भी संकट बन सकता है.

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