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कोरोना वायरस से लड़ने में कितने ज़रूरी हैं वेंटिलेटर्स

भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. यहां अब तक 1200 से ज़्यादा लोगों में सक्रमण की पुष्टि हुई है और 32 की मौत हो चुकी है.

दिल्ली में निज़ामुद्दीन की मरकज़ बिल्डिंग में तबलीग़ी जमात के सैकड़ों लोग मिलने के बाद से मामला और गंभीर हो गया है.

यहां पर 1500 से 1700 लोग मौजूद थे जिनमें से कई लोगों में कोरोना वायरस जैसे लक्षण पाए गए हैं.

इस घटना से कोरोना वायरस का संक्रमण और बढ़ने का ख़तरा पैदा हो गया है.

सरकार लगातार संक्रमण के तीसरे चरण यानी कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को रोकने की कोशिश कर रही है. इसके लिए भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन भी किया गया है.

इसके साथ ही मेडिकल उपकरणों की कमी को भी पूरा किया जा रहा है. कोरोना वायरस के गंभीर मामलों को देखते हुए वेंटिलेटर की व्यवस्था भी की गई है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 30,000 वेंटिलेटर तैयार करने का ऑर्डर दिया गया है.

नोएडा की AgVa हेल्थकेयर को एक महीने में 10 हज़ार वेंटिलेटर्स बनाने का ऑर्डर दिया गया है. इनकी आपूर्ति अप्रैल के दूसरे हफ़्ते से होनी शुरू हो जाएगी.

इसके अलावा ऑटोमोबाइल निर्माताओं को भी वेंटिलेटर्स बनाने के लिए कहा गया है.

वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश के विभिन्न अस्पतालों में मौजूद वेंटिलेटर्स में से 14,000 से ज़्यादा कोविड-19 मरीज़ों के लिए लगाए गए हैं.

जिन मरीज़ों की हालत गंभीर होती है वेंटिलेटर उनकी जान बचाने में मदद करता है. वेंटिलेटर की ज़रूरत कब पड़ती है और आने वाले समय में भारत इसकी आपूर्ति के लिए कितना तैयार है?

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