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12 साल से ज्यादा पुरानी स्कूल बसों पर बैन हाईकोर्ट ने लगाया प्रतिबंध, जीपीएस सिस्टम, सीसीटीवी कैमरा लगाने के भी निर्देश

इंदौर

मध्य प्रदेश में स्कूल बसों के हादसों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन जारी की है. होईकोर्ट की तरफ से सरकार को निर्देश दिया गया है कि एमपी मोटर व्हीकल एक्ट-1994 में स्कूल बस रजिस्ट्रेशन, संचालन व प्रबंधन के लिए नियमों का प्रावधान किया जाए. आइए जानते हैं क्या है गाइडलाइन…

जानिए निर्देश
स्कूली बसों को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि अब प्रदेश के सभी स्कूलों में 12 साल पुरानी बसें नहीं चलाई जाएगी. बसों में स्पीड गवर्नर, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे के जरुरी है. ताकि ऐप के जरिए बस को ट्रैक किया जा सके. इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि बस में एक स्कूल की तरफ से एक शिक्षक को रखा जाए, जो बस के आखिरी स्टॉप तक बस में रहे. वहीं, अगर स्कूल की तरफ से ऑटो रिक्शा से छात्रों को ले जाए जाता है तो इस ड्राइवर सहित ऑटो रिक्शा में चार लोग ही बैठ सकेंगे. कोर्ट ने कहा है कि आरटीओ, डीएसपी-सीएसपी ट्रैफिक इन गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाएं.

आरटीओ, डीएसपी-सीएसपी ट्रैफिक इन गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाएं। इंदौर में हुए डीपीएस बस हादसे में चार स्कूल बच्चों और ड्राइवर की मौत हुई थी। इस पर लगी विविध जनहित याचिकाओं की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने स्कूल व शैक्षणिक संस्थानों की बसों के लिए अहम आदेश जारी किया है।

सात वर्ष पहले हुई थी चार बच्चों की मौत 2018 को डीपीएस की बस छु‌ट्टी के बाद बच्चों को घर छोड़ने जा रही थी। बायपास पर बस अनियंत्रित हो गई और डिवाइडर फांदते हुए दूसरे लेन में चल रहे ट्रक से जा टकराई। हादसे में चालक स्टीयरिंग पर फंस गया। उसने वहीं दम तोड़ दिया। हादसे में चार बच्चों की भी मौत हो गई थी जबकि वह अन्य बच्चे घायल हो गए।

ऑटो में नहीं बैठा सकेंगे 3 से ज्यादा बच्चे

इसमें स्कूल बस और ऑटो के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। मप्र शासन को आदेश दिए हैं कि वह मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन करे। जब तक ऐसा नहीं होता यह गाइडलाइन लागू रहेगी। साथ ही उनका पालन कराने की जिम्मेदारी संबंधित जिले के आरटीओ और ट्रैफिक सीएसपी, डीसीपी की होगी। वहीं पीएस स्कूल शिक्षा विभाग, संबंधित जिले के कलेक्टर, एसपी इस मामले में ध्यान देंगे कि इनका पालन हो और इन गाइडलाइन को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके। आदेश में यह भी कहा गया है कि ऑटो में तीन से ज्यादा स्कूली बच्चे नहीं बैठेंगे। ड्राइवर सहित कुल चार ही सवारी होंगी। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान नियम ट्रांसपोर्ट व्हीकल के है। सरकार मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्कूल बसों के लिए विशेष प्रावधान करे। इनके पालन की जिम्मेदारी भी तय करे।

जानिए पूरी गाइडलाइन
सरकारी स्कूल में प्राचार्य, निजी स्कूल में मालिक, प्रबंधन स्कूल के किसी सीनियर शिक्षक या कर्मचारी को बस का इंजार्च नियुक्त करेंगे. जो नियमों का पालन करवाएंगे. वहीं, बस में एक शिक्षक को रखा जाएगा, यह शिक्षक महिला या पुरुष कोई भी हो सकता है. जो बस के आखिरी स्टॉप तक बस में ही रहेगा. इस दौरान हादसा या उल्लंघन होने पर प्रबंधन के साथ वे भी जिम्मेदार होंगे.

ये भी आदेश
बस की खिड़की पर ग्रिल हो, साथ ही फर्स्ट एड किट व अग्निशमन यंत्र जरूरी है.

स्कूल प्रबंधन ड्राइवर व कंडक्टर का मेडिकल चेकअप कराएं और आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखें.

बस का रंग पीला रहेगा। बस पर स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा जाए.

अनुबंधित बसों के पास मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार फिटनेस प्रमाण पत्र होना चाहिए. बसों में बीमा, परमिट, पीयूसी व टैक्स रसीद रखी जाए.

स्कूल का नाम, पता, टेलिफोन व व्हीकल इंचार्ज का मोबाइल नंबर की पट्टी लगाएं.

खिड़की में ग्रिल लगी होनी चाहिए. फिल्म व रंगीन ग्लास का उपयोग नहीं करें.

बसों में फर्स्ट एड किट और अग्निशमन यंत्र अनिवार्य रूप से लगे हों. बस सहायक को स्कूल प्रबंधन की तरफ से इमर्जेंसी उपयोग व बच्चों को बैठाने-उतारने का प्रशिक्षण दिया जाए.

ड्राइवर के पास स्थाई लाइसेंस व 5 साल का अनुभव हो.  ऐसे ड्राइवर नियुक्त न करें जिनका ओवर स्पीडिंग, नशा करके चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना या चालान किया गया हो.

पेरेंट्स मोबाइल एप पर देख सकेंगे बस की स्थिति

हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी ने गाइडलाइन के साथ ही आदेश दिए हैं कि हर सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल और निजी स्कूल, शैक्षणिक संस्थान में ऑनर, प्रिंसिपल व अन्य जिम्मेदार व्यक्ति हर बस के लिए एक व्हीकल इंचार्ज नियुक्त करेगा। जो बस के परमिट, लाइसेंस, फिटनेस ड्राइवर के क्रिमिनल रिकॉर्ड व अन्य बातों पर नजर रखेगा। कोई भी घटना होने पर उन्हें ही सीधे जिम्मेदार माना जाएग। हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिए हैं कि हर बस में सीसीटीवी और जीपीएस भी होना चाहिए। इससे पेरेंट्स मोबाइल एप पर हर बस की स्थिति देख सकें। बस में मेल, फीमेल टीचर भी होना चाहिए, जो बच्चों के बस में आने-जाने को देखेगा। ड्राइवर का लगातार मेडिकल चैकअप भी किया जाएगा।

मुआवजे का मुद्दा जनहित याचिका में नहीं उठाया जा सकता- कोर्ट

इसके साथ ही बस दुर्घटना में मरने वालों और घायलों को उचित मुआवजा दिए जाने का मुद्दा भी जनहित याचिका में उठाया गया था। साथ ही प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई थी, लेकिन इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि मुआवजे का मुद्दा जनहित याचिका में नहीं उठाया जा सकता। इसलिए इस पर विचार नहीं किया जाएगा। जहां तक प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की बात है, तो उस समय पहले से ही मामला दर्ज था, इसलिए इन दो बिंदुओं पर विचार नहीं किया जा रहा है। लेकिन स्कूली बसों और ऑटो में बच्चों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जरूर जारी किए जा रहे हैं।