हार्दिक पटेल आज कांग्रेस में शामिल होंगे. इस बात की सूचना उन्होंने ट्वीट करके दी थी. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया था, ‘देश और समाज की सेवा के मकसद से अपने इरादों को मूर्तरूप देने के लिए मैंने 12 मार्च को श्री राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में इंडियन नेशनल कांग्रेस जॉइन करने का निर्णय लिया है.’ हार्दिक का कांग्रेस में स्वागत करने के लिए खुद राहुल गांधी गुजरात के अहमदाबाद में मौजूद रहेंगे. वे यहां एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे.
हार्दिक पटेल तब मात्र 22 साल के थे, जब उन्होंने पूरे गुजरात की राजनीति को हिलाकर रख दिया था. वे पटेल आरक्षण को लेकर आंदोलन चला रहे थे. उस दौरान उन्होंने 80 से ज्यादा रैलियां की थीं. हार्दिक के साथ आरक्षण की मांग में उतरे लोग इससे कम की बात करने को भी तैयार नहीं थे. हार्दिक ने उस वक्त 6 जुलाई को गुजरात के महेसाणा में आयोजित एक छोटी-सी रैली को विशाल रूप दे दिया था.
बाद में हार्दिक ने 2017 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में गुजरात के दो अन्य युवा नेताओं अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी के साथ कांग्रेस का साथ दिया था. हालांकि वे अल्पेश ठाकोर की तरह पार्टी में शामिल नहीं हुए थे. पाटीदारों को आरक्षण, किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर भी हार्दिक पटेल पिछले साल 25 अगस्त से 19 दिनों से अनशन पर बैठे थे.
कौन हैं हार्दिक?
अहमदाबाद के चंद्रनगर गांव में रहने वाले हार्दिक पटेल कॉमर्स से स्नातक हैं. उनका जन्म 20 जुलाई 1993 को हुआ था. एक मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए हार्दिक को खुद भी इतने बड़े नेता बन जाने का विश्वास नहीं था.
पटेल आरक्षण के लिए आंदोलन की शुरुआत करने से पहले बी.कॉम ग्रेजुएट हार्दिक अपने पिता के कारोबार सबमर्सिबल पंप के कारोबार में हाथ बंटाते थे. गुजरात के वीरमगाम के रहने वाले हार्दिक ने अहमदाबाद के सहजानंद कॉलेज से पढ़ाई की है.
कहा जाता है कि पटेलों के लिए आरक्षण की मांग को हार्दिक पटेल ने खुद के अनुभवों के आधार पर शुरू किया था. उनके पड़ोस के एक लड़के को कम अंक आने के बावजूद सरकारी नौकरी मिल गई और उन्हें नहीं. इसके बाद ही उन्होंने आरक्षण की मांग करनी शुरू की थी.
हार्दिक पाटीदारों के युवा संगठन ‘सरदार पटेल ग्रुप’ के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने 2011 में सेवादल से अलग होकर वीरमगाम में एसपीजी यानी सरदार पटेल सेवादल शुरू किया था. हार्दिक के पिता बीजेपी से जुड़े हुए थे. हालांकि कहा जाता है कि पटेल समुदाय से आने वाले प्रभावशाली लोगों का साथ भी हार्दिक को यह आंदोलन खड़ा करने के लिए मिला था.
महज 22 साल की उम्र में इस युवा ने गुजरात सरकार की नाक में दम कर दिया था. सोशल मीडिया से लेकर हर ओर हार्दिक पटेल की ही चर्चा हो रही थी. पटेलों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हार्दिक ने जो जनमत बनाया था हालांकि वे गुजरात में इससे बीजेपी को बहुत नुकसान नहीं पहुंचा सके थे. लेकिन हार्दिक की रैलियों में उमड़ी भारी भीड़ उनकी लोकप्रियता का सबूत थी.