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सर्जिकल स्ट्राइक से सरकार और विपक्ष ने सीखा सबक? दिखा संयमित रवैया

पाकिस्तान पोषित आतंकवाद को भारत ने करारा जवाब दिया है. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक कर पाक सरहद के अंदर पनाह लेने वाले आतंकियों को नेस्तनाबूद कर दिया है. ये हमला सर्जिकल स्ट्राइक से बड़ा है, लेकिन इस बार सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया बेहद संयमित नजर आ रही है. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जहां सत्ताधारी दल खुलकर क्रेडिट लेने की होड़ में नजर आया था, वहीं विपक्षी दलों ने स्ट्राइक के सबूत मांगकर बहस को ही मोड़ दिया था. मगर, मौजूदा एयर स्ट्राइक के बाद हालात एकदम अलग नजर आ रहे हैं.

2016 में 28-29 सितंबर की रात भारतीय सेना के स्पेशल कमांडोज पाकिस्तान की सीमा में घुसे और उन्होंने आतंकियों के ठिकानों पर प्रहार किया. इस ऑपरेशन को पूरा करने के बाद जवान सकुशल वापस भी लौट आए. इस स्ट्राइक को उरी व पठानकोट हमले का बदला कहा गया. स्ट्राइक पूरी होने के बाद 29 सितंबर की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में सीसीएस की मीटिंग हुई. इस मीटिंग के बाद डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रनबीर सिंह ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उनके साथ हालांकि विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन पूरे ऑपरेशन की जानकारी ले. जनरल रनबीर सिंह ने दी और बताया कि कैसे भारतीय जवानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों का सर्वनाश किया.

2014 के चुनाव प्रचार में पाकिस्तान को उसकी भाषा में सबक सिखाने का नारा लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी पार्टी के कार्यकाल में लिए गए इस बड़े एक्शन को जोरशोर से पेश किया. जमकर ट्वीट किए गए. बहसों में प्रमुखता से इस मुद्दे का क्रेडिट लेने की कोशिश देखने को मिली, यहां तक कि 2017 की शुरुआत में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक को अहम मुद्दा बनाया.

जबकि दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत दूसरे राजनीतिक दलों ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत तक मांग लिए. महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने कहा था कि भारत की जनता सर्जिकल स्ट्राइक चाहती है, लेकिन फर्जी नहीं. उन्होंने यह भी कहा था कि दुनिया हमसे सवाल कर रही है, इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत देने चाहिए. कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भी वीडियो संदेश जारी कर सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत देश के सामने रखने की मांग की थी. विपक्षी दलों के इस रवैये का देशभर में विरोध भी हुआ था. केजरीवाल के घर पर प्रदर्शन तक किए गए.

सेना नहीं, विदेश मंत्रालय ने की घोषणा

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद मंगलवार को जब भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक की तो इसकी घोषणा करने के विदेश सचिव वीके गोखले ने की न कि किसी मंत्री ने. वायुसेना की कार्रवाई का ऐलान करते हुए विदेश सचिव ने बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि ये नॉन मिलिट्री ऑपरेशन था, जिसमें न तो पाकिस्तान के नागरिक और न ही मिलिट्री ठिकानों पर एक्शन हुआ है. इसके साथ ही विदेश मंत्रालय की तरफ ये भी कहा गया कि यह हमला आत्मरक्षा के लिए किया गया, क्योंकि जैश के ये आतंकी भारत में हमले की साजिश कर रहे थे.

राजनीतिक दल भी संयमित

आतंक के खिलाफ इतना बड़ा एक्शन होने के बावजूद भारत सरकार और सत्ताधारी दल ने बेहद सधे हुए अंदाज में प्रतिक्रिया दी है. साथ ही विपक्षी दल भी सेना के इस शौर्य को दिल खोलकर सलाम कर रहे हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि यह नया भारत किसी भी सूरत में आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और न ही आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को माफ करेगा. उन्होंने कहा कि भारत की जाबांज सेना को उनकी बहादुरी और वीरता के लिए बधाई देता हूं और उन्हें सलाम करता हूं.

वहीं, कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस एक्शन पर जवानों की तारीफ में ट्वीट किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि मैं भारतीय वायुसेना के पायलट को सलाम करता हूं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप मुखिया अरविंद केजरीवाल ने 1 मार्च से अपनी प्रस्तावित भूख हड़ताल को टाल दिया है. उन्होंने यह घोषणा करते हुए लिखा है कि हम सब एक राष्ट्र की तरह खड़े हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि जैश के खिलाफ पीओके में घुसकर भारतीय वायुसेना के बहादुर जांबाजों की साहसिक कार्रवाई को सलाम करती हैं. हालांकि, उन्होंने इतना ही सवाल उठाया कि अगर हमारी सेना को फ्री हैण्ड बीजेपी की सरकार पहले दे देती तो बेहतर होता.

अब जबकि पुलवामा हमले के 13वें दिन पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बालाकोट में मौजूद जैश ए मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को सेना ने नेस्तनाबूद किया है. भारतीय वायुसेना के 12 मिराज ने मुजफ्फराबाद व चकोटी में भी जैश के ठिकानों पर सीधा वार किया है तो ऐसे में भारत सरकार समेत सभी राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया काफी संयमित रही है.

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