गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कानपुर के व्यापारी के रिश्तेदारों से मुलाकात की, जिनकी गोरखपुर में पुलिसकर्मियों द्वारा कथित पिटाई के बाद मौत हो गई थी। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के अलावा मृतक की पत्नी को नौकरी और आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार उन्होंने घोषणा की कि मृतक की पत्नी को कानपुर विकास प्राधिकरण में विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में नौकरी मिलेगी और जिला प्रशासन को पूर्व में वादा किए गए 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि बढ़ाने का प्रस्ताव भेजने का भी निर्देश दिया। गौरतलब है कि गत सोमवार देर रात गोरखपुर जिले के रामगढ़ ताल इलाके में पुलिस ने एक होटल में तलाशी ली थी। आरोप है कि किसी अन्य व्यक्ति के पहचान पत्र के आधार पर होटल के एक कमरे में रुके तीन व्यवसायियों से पूछताछ के दौरान पुलिस ने उन्हें मारा पीटा था। सिर में चोट लगने से उनमें से मनीष गुप्ता (36) नामक कारोबारी की गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई थी।
सोमवार की आधी रात को घटना के वक्त गुप्ता दो दोस्तों के साथ होटल में ठहरे हुए थे। इस मामले के आरोपी सभी छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें निलंबित कर दिया गया है। पुलिस ने पहले आरोप से इनकार किया था और कहा था कि नशे की हालत में जमीन पर गिरने के बाद गुप्ता के सिर में चोट लगी थी। हालांकि, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया कि गुप्ता के आंख, पीठ सहित पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं और सिर पर भी चोट के निशान हैं। मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने कानपुर में मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद संवाददाताओं को बताया कि, “मुख्यमंत्री ने हमारी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है और हम मुलाकात से संतुष्ट हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने हमारी मांग के अनुसार सीबीआई जांच के लिए एक आवेदन मांगा है, और सरकारी नौकरी के साथ-साथ मेरे बेटे के भविष्य के लिए वित्तीय सुरक्षा की मेरी मांग को स्वीकार कर लिया है।” मीनाक्षी ने बताया, ‘‘ मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि इसे गोरखपुर से कानपुर स्थानांतरित किया जाएगा। एक परिवार के मुखिया की तरह उन्होंने हमारी सभी समस्याओं को सुना है और मैं उनकी आभारी हूं।” उन्होंने कहा कि वह दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई चाहती हैं और उन्हें विश्वास है कि अब परिवार के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। राज्य में विधानसभा चुनाव के कुछ ही महीने पहले विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री के मूल स्थान गोरखपुर में हुई इस घटना पर राज्य सरकार की “ठोको नीति” (मुठभेड़ नीति) को जिम्मेदार ठहराया हैं। .
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को कानपुर जाकर मृतक व्यवसायी के परिजन से मुलाकात की। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि इस घटना में तब तक न्याय मिलना मुश्किल है जब तक मामले की सीबीआई से या उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश की निगरानी में जांच ना हो। अखिलेश ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में पुलिस का ऐसा व्यवहार किसी अन्य पार्टी के शासनकाल के दौरान देखने को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि बाबा मुख्यमंत्री होने के बावजूद ऐसी घटनाएं लगातार हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया, “पुलिस लगातार भाजपा की सरकार में लूट और हत्या में शामिल है। जब आप पुलिस और जिलाधिकारी से गलत काम कराएंगे तब यही अंजाम होगा। पुलिस और अधिकारियों पर इसलिए कार्रवाई नहीं हो रही है क्योंकि सरकार ने इन्हीं से गलत काम कराएं हैं।” सपा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह से पीड़ित परिवार के साथ है। उन्होंने मृतक व्यवसाई के परिवार को दो करोड़ रुपये की मदद और मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग करते हुए घोषणा की कि समाजवादी पार्टी भी परिवार को 20 लाख रुपये की सहायता देगी। बसपा प्रमुख मायावती ने भी एक ट्वीट कर कहा कि घटना की गंभीरता और परिवार की व्यथा को देखते हुए मामले की सीबीआई जांच जरूरी है। मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा, “गोरखपुर की पुलिस द्वारा तीन व्यापारियों के साथ होटल में बर्बरता एवं उनमें से एक की मौत के प्रथम दृष्टया दोषी पुलिसवालों को बचाने के लिए मामले को दबाने का प्रयास घोर अनुचित है। घटना की गंभीरता और परिवार की व्यथा को देखते हुए मामले की सीबीआई जांच जरूरी।” उन्होंने कहा, “आरोपी पुलिसवालों के विरूद्ध पहले हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं करना, और फिर जन आक्रोश के कारण मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं करना, सरकार की नीति एवं नीयत दोनों पर गंभीर प्रश्न खड़े करते है। सरकार पीड़िता को न्याय, उचित आर्थिक मदद एवं सरकारी नौकरी दे, बसपा की यही मांग है।” कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी इस घटना को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।
इस बीच, कानपुर पुलिस और जिला प्रशासन ने किसी तरह आज सुबह मनीष गुप्ता का अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार को मनाया। उधर सोशल मीडिया पर अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर पीड़ित पक्ष को समझौते के लिए समझाने का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में पुलिस की वर्दी में एक अधिकारी और उसके बगल में बैठे एक अन्य व्यक्ति कथित रूप से मृत कारोबारी के परिजन को मामले में कुछ समझाते नजर आ रहे हैं। वर्दी पहने अधिकारी के कंधे पर आईपीएस का बैज भी लगा हुआ है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे अधिकारी कौन हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस द्वारा अपने ट्वीट के साथ टैग किए गए इस वीडियो में व्यक्ति पीड़ित परिवार को यह समझाते दिख रहे हैं कि अदालत में सालों साल मुकदमे चलते हैं। वहीं, पुलिस की वर्दी पहने अधिकारी यह आश्वासन देते दिख रहे हैं कि आरोपी पुलिसकर्मियों को दोबारा तब तक वर्दी नहीं दी जाएगी जब तक उन्हें क्लीनचिट नहीं मिल जाती। सपा के जिलाध्यक्ष राम नगीना साहनी का कहना है कि वीडियो में दिख रहे व्यक्ति जिलाधिकारी विपिन किरण आंनद और एसएसपी विपिन टाड प्रतीत हो रहे हैं। गोरखपुर के अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अखिल कुमार ने बृहस्पतिवार को मृतक के ठहरने वाले होटल का निरीक्षण किया और संवाददाताओं से कहा कि जांच क्राइम ब्रांच गोरखपुर को सौंप दी गई है। एडीजी ने कहा कि जांच में मेडिकल रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चूंकि आरोप पुलिस के खिलाफ है, इसलिए जांच अधिक निष्पक्ष तरीके से करने का ध्यान रखा जाएगा। गोरखपुर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विपिन टाडा, जिन्होंने इस मामले के आरोपी छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था और बाद में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया था, ने बताया कि तीन पुलिसकर्मियों- एसएचओ रामगढ़ताल इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा और सब इंस्पेक्टर विजय यादव को गिरफ्तार किया गया है। ये तीनों इस मामले में नामजद हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध गतिविधियों में लिप्त पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित कर उनकी सूची उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में कहा “हाल के दिनों में कुछ पुलिस अधिकारियों और कार्मिकों के अवैध गतिविधियों में संलिप्त होने की शिकायतें मिली हैं। यह कतई स्वीकार्य नहीं है। पुलिस विभाग में ऐसे लोगों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।” उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा “प्रमाण के साथ ऐसे लोगों को चिन्हित कर सूची उपलब्ध कराएं। सभी के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई होगी। अति गंभीर अपराधों में लिप्त पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी की जाए। दागी छवि वाले लोगों को फील्ड में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती न दी जाए।” मुख्यमंत्री ने कानपुर में बृहस्पतिवार को एक जनसभा में कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी और यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन लोगों के साथ रहें जिन्होंने इसका सामना किया है। दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों को बिना सजा के नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने कहा, “आप सभी जानते हैं कि हमारी सरकार की अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है,अपराधी सरकार के लिए अपराधी हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने गोरखपुर पुलिस से कहा था कि जिस दिन घटना उनके संज्ञान में आए उसी दिन तुरंत मामले में प्राथमिकी दर्ज की जाए। दिवंगत व्यापारी के परिवार से मिलने के लिए यहां पहुंचे विपक्षी नेताओं का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस पर हैरान हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने सुबह ही अधिकारियों से कहा था कि वह यहां अपने दौरे के दौरान मृतक के परिवार से मिलना चाहेंगे।