मुंबई
रिजर्व बैंक ने संकेत दिए हैं कि चौथी तिमाही में कर्ज देने के लिए प्रतिबंधित 11 बैंकों में से चार को इससे मुक्त किया जा सकता है। केंद्रीय बैंक की बोर्ड मीटिंग के बाद यह बात सामने आई है। आरबीआई के नए गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीटिंग में ‘इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ECF)’ और गवर्नेंस पर जोर दिया। आरबीआई बोर्ड में वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार और वित्त सचिव एससी गर्ग इस बैठक में सरकार के प्रतिनिधि थे। बैठक में बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक के मुख्य अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में बैंकिंग के विकास के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा की गई। आगली बैठक 2109 में मध्य जनवरी में हो सकती है। इससे पहले आरबीआई का बोर्ड उन बैंकों की प्रगति का विश्लेषण करेंगे जिन्हें प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (PCA) के अंतरगत रखा गया है। बैंकों को आरबीआई की तरफ से मदद की भी उम्मीद है जो चौथी तिमाही में दी जा सकती है।
बैठक में बैंकों के ईसीएफ पर भी चर्चा हुई। ईसीएफ आरबीआई द्वारा कैपिटल रिजर्व को कैलकुलेट करने का फॉर्म्युला है। ज्यादा रिजर्व होने के सरकार के दावों के लिए भी एक कमिटी बनाई जा रही है। शुक्रवार को यह बैठक 9 घंटे चली। पिछली बैठक में बोर्ड ने गवर्नेंस स्ट्रक्चर में सुधार करने पर चर्चा की थी।
आरबीआई ने 21 सरकारी बैंकों में से 11 को पीसीए के तहत रखा है। सूत्रों ने कहा कि संभावना है कि जनवरी मध्य में होनी वाली अगली बैठक में निदेशक मंडल के समक्ष एक औपचारिक प्रस्ताव लाया जायेगा। उन्होंने कहा कि निदेशक मंडल अगली बैठक से पहले किसी निष्कर्ष पर भी पहुंच सकता है।
बैठक के बाद आरबीआई ने बयान में कहा कि “निदेशक मंडल ने आरबीआई कीसंचालन रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया और इस संबंध में आगे और जांच-पड़ताल का फैसला किया गया है।” करीब चार घंटे चली इस बैठक में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सरकार की चिंताएं उठाईं।