आम सभा, भोपाल।
मध्य प्रदेश लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ, मध्य प्रदेश वाहन चालक यांत्रिकी कर्मचारी संघ, मध्य प्रदेश पेंशनर एसोसिएशन पांच संगठनों के आव्हान पर प्रदेश के समस्त जिलों से आए कर्मचारियों ने अपनी न्यायोचित मांगों के लिए राजधानी भोपाल में अपनी 17 सूत्री मांगों को लेकर प्रदेश के कर्मचारियों का नीलम पार्क भोपाल में विशाल धरना हुआ 17 सूत्री मांगों में मंत्रालय के समान प्रदेश के समस्त लिपिकों को द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान देने, सीपीसीटी की अनिवार्यता को समाप्त करने, सहायक ग्रेड 3 को कंप्यूटर ऑपरेटर के समान 2400 ग्रेड पे देने, कर्मचारियों को केंद्रीय दर से महंगाई भत्ता देने, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को महंगाई राहत पिछले कई सालों के एरियर का बकाया देने, सातवें वेतनमान के अनुसार मकान किराया भत्ता,वाहन एवं अन्य भत्ते प्रदाय करने, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का पदनाम कार्यालय सहायक करने, पेंशनरों को पेंशन राहत प्रदान करने, में धारा 49 समाप्त करने, कर्मचारियों की पदोन्नति समय मान वेतनमान,पुरानी पेंशन बहाली, कर्मचारियों की वेतन विसंगति टैक्सी प्रथा बंद कर वाहन चालकों की भर्ती करने, आउट सोर्स प्रथा बंद करने,पेंशन हेतु 25 साल की सेवा पूरी पेंशन हेतु गणना में लेने, संविदा एवं स्थाई कर्मियों को नियमित नियुक्ति/नियमित वेतनमान देने, का मांग पत्र सौंपा गया धरने में हुई सभा को मध्य प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष एम पी द्विवेदी, लघु वेतन कर्मचारी संघ के प्रांत अध्यक्ष महेंद्र शर्मा तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांत अध्यक्ष अतुल मिश्रा, वाहन चालक यांत्रिक कर्मचारी संघ के प्रांत अध्यक्ष साबिर खान, मध्य प्रदेश पेंशनर एसोसिएशन के उप प्रांताध्यक्ष लक्ष्मीनारायण कैलासिया के अतिरिक्त राकेश सिंह हजारी, मुकेश चतुर्वेदी, विजय सिंह रघुवंशी, महमूद खान, संजय दुबे, एस एस रजक, रत्नेश मिश्रा, वीरेंद्र सिंह बघेल, मुकेश खरे,एस एल पवार, मोहन अय्यर, एस एल पंजवानी, कैलाश सक्सेना, उमाशंकर तिवारी, सुधीर भार्गव, राम कुंडल सेन, रियाज मोहम्मद, अर्जुन सिंह मेहरबान खान, वसीम खान, सुधीर भार्गव, राम कुंडल सेन, आदि ने संबोधित किया। मंत्रालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुभाष वर्मा ने धरना स्थल पर पहुंच कर धरने का समर्थन किया। नेताओं ने संबोधित करते हुए सरकार को चेतावनी दी कि सरकार ने एक सप्ताह में संघ प्रतिनिधियों से कर्मचारी हितैषी मांगों पर चर्चा कर निर्णय नहीं किया तो आगामी दिनों में बड़ा आंदोलन करने की घोषणा की जाएगी।