चुनावी सियासत आज रिश्तों पर भारी पड़ती दिख रही है। सियासत में भाईचारे के रिश्ते ने भी नया रूप ले लिया है अौर परिवारों रिश्ते बदल रहे हैं। ऐसा ही कुछ देओल और जाखड़ परिवार में देखने को मिल रहा है। एक समय सदाबहार अभिनेता धर्मेंद्र ने भाईचारे के रिश्ते के कारण दिग्गज कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ के खिलाफ चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। समय बदलने के साथ ही रिश्ते मापदंड भी बदल गया। अाज बलराम जाखड़ के पुत्र सुनील जाखड़ को धर्मेंद्र के पुत्र सनी देओल चुनौती दे रहे हैं। सनी देओल गुरदासपुर से 29 अप्रैल को भाजपा प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगे। सुनील जाखड़ यहां से कांग्रेस प्रत्याशी हैं।
बता दें कि अपने जमाने के दिग्गज कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ व अभिनेता धर्मेंद्र की बहुत मधुर संबंध रहे थे। वे एक-दूसरे को भाई मानते थे और कई बार इस रिश्ते की गहराई दिखी थी। वर्ष 1991 में बलराम जाखड़ ने सीकर (राजस्थान) से चुनाव लड़ा तो उनके चुनाव प्रचार के लिए सिने स्टार धर्मेंद्र भी पहुंचे थे। 13 साल बाद 2004 में बलराम जाखड़ को कांग्रेस ने राजस्थान की चुरू सीट से लोकसभा चुनाव के मैदान मेंउतारा।
भारतीय जनता पार्टी बलराम जाखड़ के खिलाफ धर्मेंद्र को चुनाव मैदान में उतारना चाहती थी। लेकिन, धर्मेंद्र ने यह कहते हुए मना कर दिया कि बलराम जाखड़ उनके बड़े भाई हैं। उनके सामने वह नहीं उतरेंगे। इसके बाद भाजपा ने उनको बीकानेर से उतारा। जहां से उन्होंने कांग्रेस के रामेश्वर लाल को 57,175 वोटों से हरा दिया। बलराम जाखड़ भी चुरु से 29,854 वोटों से हार गए।
अब वक्त ने एक बार फिर से करवट ली है। बलराम जाखड़ और धर्मेंद्र की नई पीढ़ी चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं। बलराम जाखड़ के बेटे सुनील जाखड़ गुरदासपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने यहां से सनी देओल को मैदान में उतार दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या धर्मेंद्र अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार करने गुरदासपुर आएंगे। अगर वे आएंगे तो अपने दोस्त बलराम जाखड़ के बेटे के खिलाफ कौन कौन से तीर अपनी कमान से निकालेंगे। निश्चित रूप से यह मुकाबला जबरदस्त होने जा रहा है।
भाजपा गुरदासपुर से हर हाल में जीतना चाहेगी। फिल्म स्टार विनोद खन्ना ने चार बार भाजपा की टिकट पर यहां से जीत हासिल की थी। कांग्रेस की दिग्गज सुखबंस कौर को जब कोई नहीं हरा सका तो भाजपा ने यहां से विनोद खन्ना को खड़ा कर दिया जिन्होंने पहले ही चुनाव में उन्हें एक लाख वोट के अंतर से हरा दिया। विनोद खन्ना सिर्फ 2009 में यहां से प्रताप सिंह बाजवा से हारे।
कांग्रेस ने भी मालवा से अपने सबसे मजबूत उम्मीदवार सुनील जाखड़ को माझा की इस सीमावर्ती सीट को जीतने के लिए उस समय भेजा जब विनोद खन्ना के निधन के बाद यहां पर उपचुनाव हुआ। जाखड़ करीब दो लाख के भारी मतों से जीते। अब उनको हराने के लिए भाजपा ने एक बार फिर से बड़ा दांव खेला है। पार्टी कॉडर के नेताओं स्वर्ण सलारिया, पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल और विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना को नजरअंदाज करते हुए सनी देओल को उतारा गया है। इससे पहले अमृतसर से सनी के चुनाव लडऩे की चर्चाएं चल रही थीं।