Wednesday , October 9 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / चुनाव आयोग की मुहर- इलेक्टोरल बॉन्ड से सबसे ज्यादा 210 करोड़ बीजेपी को मिले

चुनाव आयोग की मुहर- इलेक्टोरल बॉन्ड से सबसे ज्यादा 210 करोड़ बीजेपी को मिले

चुनाव आयोग ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से साल 2017-18 में सबसे ज्यादा 210 करोड़ रुपये का चंदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिला है. बाकी सारे दल मिलाकर भी इस बॉन्ड से सिर्फ 11 करोड़ रुपये का चंदा हासिल कर पाए थे. चुनाव आयोग ने इस मामले में चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार को जानकारी दी और आंकड़ों की पुष्ट‍ि की है.

राजनीति में पारदर्श‍िता बढ़ाने और प्रचार के दौरान नकदी के इस्तेमाल पर नज़र रखने के लिए मोदी सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड्स लेकर आई थी, ये बॉन्ड्स सत्तारूढ़ बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाने वाले साबित हुए हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

इलेक्टोरल बॉन्ड अभी सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से ही खरीदे जा सकते हैं. ADR को सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिले जवाब के मुताबिक बीते एक साल में इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री में 62% का उछाल आया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, साल 2016-17 में बीजेपी को कुल 997 करोड़ और साल 2017-18 में कुल 990 करोड़ रुपये का चंदा हासिल हुआ था. यह इसी अवधि में कांग्रेस को मिले चंदे का करीब पांच गुना है. चुनाव आयोग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील राकेश द्विवेदी ने ADR की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले चंदे के बारे में बताया. चुनाव आयोग ने बताया है, ‘बीजेपी ने जो रसीद दी है उसके मुताबिक उसे इलेक्टोरल बॉन्ड से 210 करोड़ रुपये मिले हैं. बाकी अन्य सभी दलों को इनसे कुल 11 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.’

एडीआर की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण का भी यही तर्क था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से कॉरपोरेट और उद्योग जगत को फायदा हो रहा है और ऐसे बॉन्ड से मिले चंदे का 95 फीसदी हिस्सा बीजेपी को मिलता है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने विभिन्न पार्टियों की ओर से चुनाव आयोग को सौंपे गए टैक्स के विवरण का विश्लेषण किया. ADR गैर मुनाफ़े के आधार पर काम करने वाला इलेक्शन रिसर्च ग्रुप है.

कोई भी डोनर अपनी पहचान छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद कर अपनी पसंद के राजनीतिक दलों के बैंक खातों में जमा कर सकते हैं. ये व्यवस्था दानकर्ताओं की पहचान नहीं खोलती और इसे टैक्स से भी छूट प्राप्त है.

चुनाव आयोग ने भी अपनी टिप्पणियों में इलेक्टोरल बॉन्ड जैसी अज्ञात बैंकिंग व्यवस्था के जरिए राजनीतिक फंडिंग को लेकर संदेह जाहिर किए हैं. लेकिन केंद्र सरकार ने इस दावे के साथ इस बॉन्ड की शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जनवरी 2018 में लिखा था, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना राजनीतिक फंडिंग की व्यवस्था में ‘साफ-सुथरा’ धन लाने और ‘पारदर्श‍िता’ बढ़ाने के लिए लाई गई है.’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)