चुनाव आयोग ने मंगलवार को राजस्व सचिव और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष से मुलाकात की। यह मुलाकात सात अप्रैल के उस निर्देश को लेकर की गई जिसमें एजेंसियों से कहा गया था कि चुनाव के दौरान होने वाली कार्रवाई को तटस्थ, निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण तौर पर किया जाए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग ने बातचीत के दौरान इस बात को साफ कर दिया कि उसे प्रवर्तन एजेंसियां जैसे कि डीआरआई, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय आदि की कार्रवाईयों के बारे में पूर्व सूचना नहीं चाहिए। चुनाव आयोग का संबंध उन छापेमारी/तलाशी अभियान से नहीं है जो राजनेताओं या मतदान के संचालन से संबंधित चल रही जांच का हिस्सा नहीं हैं। इसके अलावा वह गोपनीयता को बनाए रखने के पक्ष में है।
आयोग को मालूम है कि प्रवर्तन निदेशालय की स्थानीय यूनिट्स को छापेमारी के बारे में पूर्व सूचना नहीं होती है। लेकिन भविष्य में यदि चुनाव के मद्देनजर भ्रष्टाचार के मामले जो किसी राजनीतिक पार्टी या पैसों के वितरण से संबंधित छापेमारी या तलाशी अभियान हो तो इसकी सूचना चुनाव खर्च प्रभारी महानिदेशक दिलीप शर्मा को दी जाए।
बता दें कि रविवार सात अप्रैल को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के निजी सचिव सहित करीबियों के 50 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। इसकी जानकारी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के पास नहीं थी। बाद में आयकर विभाग के नोडल अधिकारी ने इसकी जानकारी सीईओ को दी। जबकि छापेमारी की कार्रवाई सुबह तीन बजे शुरू हुई थी।
आयकर के स्थानीय दफ्तर को भी छापेमारी की कोई जानकारी नहीं थी और छापेमारी की पूरी टीम जिसमें पुलिस भी शामिल थी वह दिल्ली से आई थी। सोमवार को सीबीडीटी ने आयोग को बताया कि छापेमारी में कैश का एक हिस्सा हवाला के जरिए एक बड़ी पार्टी के दिल्ली स्थित राजनीतिक पार्टी को भी भेजा गया है। सीबीडीटी ने जानकारी दी कि इस कार्रवाई में 14.6 करोड़ रुपये का कैश, 252 शराब की बोतलें, हथियार और बाघ की खालें भी बरामद की गई हैं।