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हरियाणा व पंजाब के कारण दिल्ली-NCR में बिगड़ी स्थिति, जानें- क्या है प्रदूषण का हाल

नई दिल्ली। 

हरियाणा व पंजाब की वजह से जल्द ही दिल्ली-NCR को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा सकता है। इन पड़ोसी राज्यों की तरफ से बड़ी आफत NCR पहुंचने वाली है। जल्द ही ये आफत पूरे एनसीआर पर प्रदूषण की काली चादर के रूप में छा जाएगी। इससे दिल्ली-NCR के 2.5 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे।

दिल्ली की आबोहवा लगातार जहरीली होती जा रही है। रविवार सुबह अवकाश की वजह से दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर वाहनों का दबाव बहुत कम है। बावजूद रविवार सुबह दिल्ली की हवा में प्रदूषण की मात्रा काफी ज्यादा रही। रविवार सुबह जारी एयर इंडेक्स में दिल्ली आइआइटी जहांगीरपुरी (235) पर प्रदूषण बहुत ज्यादा खतरनाक स्तर पर मापा गया। इसके अलावा आनंद विहार पर भी प्रदूषण स्तर (189) खतरनाक और मंदिर मार्ग पर भी प्रदूषण स्तर (180) खतरान स्तर पर रहा। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में प्रदूषण स्तर में और इजाफा होने की आशंका है।

इसकी वजह ये है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों ने खेतों में पराली जलानी शुरू कर दी है। ये सिलसिला तेज धीरे-धीरे तेज होता जा रहा है। पड़ोसी राज्यों से पराली जलाने की तस्वीरें भी सामने आने लगी हैं। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की तस्वीरें जारी की हैं। इसी के साथ केजरीवाल सरकार ने हरियाणा और पंजाब से मांग की है कि पराली जलाने से रोकने के लिए कदम उठाए जाएं, जिससे दिल्ली के लोगों को समस्या का सामना न करना पड़े।

बता दें कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने आसपास के राज्यों में पराली जलाए जाने के चित्र जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा एवं पंजाब में पराली जलाया जा रहा है। दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले रास्ते में पराली जलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने से दिल्ली की आबोहवा पर खराब असर पड़ता है। इससे दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है। माना जा रहा है कि ऐसा हुआ तो दिल्ली के साथ एनसीआर के 2.5 करोड़ लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ेगा।

पंजाब और हरियाणा पर केजरीवाल के मंत्री ने साधा निशाना
इससे यह भी साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान सरकार ने पराली जलाने से रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। उन्होने केंद्र सरकार को घेरते हुए यह भी कहा कि किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए पर्याप्त सब्सिडी की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। आग्रह के बावजूद केन्द्र सरकार ने सभी संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक भी नहीं बुलाई है। गंभीर वायु प्रदूषण का सीधा असर बच्चों, बूढ़ों, महिलाओं और सांस के रोगियों पर पड़ता है।

जानकारी सामने आ रही है कि दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे के किनारे किसानों ने फिर से पराली जलाना तेज कर दिया है। इससे दिल्ली की हवा में धुआं भर रहा है। इससे पहले इसका असर अमृतसर, अंबाला, करनाल, सिरसा और हिसार के आसमान में दिख रहा है, यहां पर धुएं का गुबार बनना शुरू हो गया है।

दिल्ली की हवा खराब

इस बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के मुताबिक, दिल्ली के आनंद विहार में हवा बेहद खराब व खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। पिछले 5 दिनों से लगातार दिल्ली की हवा खराब हो रही है। सप्ताह की शुरुआत में 9 अक्टूबर को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 256 था, जबकि शनिवार को यह 699 पहुंच गया।

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, दिल्ली के आनंद विहार में हवा की गुणवता शनिवार को खतरनाक स्तर को पार कर चुकी है। एयर क्वालिटी इंडेक्स वह पैरामीटर है, जिसमें सांस के रूप में ली जाने वाली ऑक्सीजन की शुद्धता मापी जाती है। जाहिर है दिल्ली की हवा धीरे-धीरे जहरीली होती जा रही है।

दिल्ली में प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चिंता का विषय है, खासकर सर्दियों के दौरान जब पराली जलाई जाती है। इस प्रदूषित हवा में सांस लेते हुए कई सावधानियों की ज़रूरत है। ये प्रदूषण सबसे पहले बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाता है, एेसे में तरह के मौसम और हवा में 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों का खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को इस तरह की प्रदूषित हवा में कम से कम बाहर निकलना चाहिए।

यहां पर बता दें कि नीति आयोग ने 2017 में केंद्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा था कि पराली के संकट से बढ़े प्रदूषण को रोकने के लिए 3,200 करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत है। इसके बाद केंद्र ने 1,700 करोड़ रुपये का एक प्रस्ताव तैयार किया। इस प्रस्ताव में सरकार पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए ऐसी मशीनें खरीदने की योजना है, जिससे खेतों में पड़े पराली को इकट्ठा कर खाद बनाया जा सकेगा। इस सबके बावजूद इस पर कोई अमल जमीन पर होता नजर नहीं आ रहा है।

वहीं, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने दिल्ली मेट्रो और प्रगति मैदान में परियोजना पर कार्य कर रहे एनबीसीसी (राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम) को एनजीटी के निर्देशों का पालन करने का निर्देश जारी करते हुए बढ़ते प्रदूषण पर चेतावनी दी है। शुक्रवार को निगम के आयुक्त डॉ. पुनीत कुमार गोयल ने प्रदूषण से निपटने के लिए हुई उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। डॉ. गोयल ने संबंधित अधिकारियों से अपने प्रयासों में तेजी लाने को कहा। निगम के अनुसार, प्रगति मैदान परियोजना पर काम कर रहे एनबीसीसी और दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) से निर्माण और ढांचों को ध्वस्त करने के बारे में एनजीटी के निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा न करने पर इनके खिलाफ समुचित कार्रवाई शुरू की जाएगी। मेट्रो रेल निगम से लाजपत नगर और मथुरा रोड स्टेशनों पर निर्माण आदि की गतिविधियां सीमित करने के निर्देश दिए हैं।

कूड़ा जलाने पर निगम ने किए चालान

एनजीटी के निर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर दक्षिणी एवं उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने सख्त कार्रवाई की है। दक्षिणी निगम के मुताबिक, 1 सितम्बर 2018 से 11 अक्टूबर 2018 के बीच स्वच्छता अधिनियम और एनजीटी कानून के उल्लंघन पर 250 चालान किए गए हैं। वहीं, उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मुताबिक, अगस्त में 1176 जबकि सितंबर में 1188 चालान किए गए हैं।

फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने के निर्देश

उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस को फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं, ताकि पैदल यात्रियों को असुविधा न हो। उन्होंने मेट्रो और उत्तर रेलवे को निर्देश दिए कि क्षेत्र में पर्याप्त शौचालय होने चाहिए जिससे कि साफ-सफाई सुनिश्चित हो।  उपराज्यपाल ने पुलिस को निर्देश दिए कि आनंद विहार बस अड्डे में प्रवेश और निकासी को जाम मुक्त बनाएं ताकि बसों का संचालन आसान हो सके। उन्होंने उत्तर रेलवे को बस अड्डे में प्रवेश के लिए एप्रोच रोड बनाने को कहा। परिवहन विभाग को निर्देश दिए कि वह बसों के प्रवेश और निकास के लिए सड़कों को जोड़े। उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिए कि ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम समन्वय कर प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ प्रभावी कदम उठाएं।

उपराज्यपाल शुक्रवार को पर्यावरण प्रदूषण एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) द्वारा राजनिवास में वायु प्रदूषण पर बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में उन्होंने आनंद विहार आइएसबीटी और अन्य क्षेत्रों से संबंधित सुधार कार्य प्रगति की समीक्षा की। बैठक में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन, ईपीसीए अध्यक्ष डॉ. भूरेलाल सहित पर्यावरण एवं वन विभाग, डीडीए, पुलिस, परिवहन विभाग, उत्तरी दिल्ली नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, रेलवे, डीपीसीसी, यूपीएसआरटीसी एवं डीएमआरसी के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

उपराज्यपाल और ईपीसीए अध्यक्ष ने यूपीएसआरटीसी एवं पुलिस को धूल प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर कदम उठाने हेतु सर्विस लेन में पार्किंग, कौशांबी की बसों के अनधिकृत प्रवेश/निकासी, महाराजपुर मार्केट में ठोस कचरा प्रबंधन, साफ-सफाई के प्रावधान और अतिक्रमण हटाने के भी निर्देश दिए। बैठक में उपराज्यपाल को यह भी सूचित किया गया कि नगर निगम ने एक जनवरी, 2018 से लेकर अब तक गैर अनुरूप क्षेत्रों में 10196 उद्योगों पर कार्रवाई की है, जबकि डीपीसीसी ने 1368 उद्योगों को कारण बताओ नोटिस भेजा है और 417 औद्योगिक इकाइयों को बन्द करने के निर्देश दिए हैं।

यह भी बताया गया कि 1018 उद्योगों में ईंधन को पीएनजी में तब्दील कर दिया गया है। पर्यावरण मार्शलों द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में बताया गया कि अगस्त 2018 तक उन्होंने नियम उल्लंघन के 9845 मामले पाए थे, जिनमें से 95 फीसद का निपटान उन्होंने स्वयं साइट पर कर दिया।

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