आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी। श्री पार्श्व नाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर जी में परम पूज्य मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज, मुनि श्री पद्मसागर जी महाराज एवं ऐलक श्री क्षीर सागर जी महाराज के प्रवचन हुए. सर्व प्रथम ऐलक श्री ने ह्रीं में विध्यमान चोबीस तीर्थंकर भगवान का बर्णन ध्यान केंद्रित कर करवाया जिससे सम्पूर्ण शरीर में उतपन्न बिकारो को बाहर करने की योग क्रिया समझाई. मुनि संघ के उदगार अपने शब्दों में व्यक्त करते हुए प्रवीण जैन जैनवीर ने बताया की मुनि सग पद्मसागर जी महाराज ने कहा की हमें मन को एकाग्र करके ही भगवान की भक्ति करनी चाहिए तभी उस का सम्यक फल हमें प्राप्त होगा.
मुनि श्री ने कहा की आषाढ़ का छूटा किसान एवं डाली से छूटा बंदर दोनों पछताते हैं. सबसे ज्यादा एकाग्रता बंदर में होती है मुनि श्री ने कहा कि रावण महान विद्वान एवं धर्मात्मा था एक बार भगवान शांतिनाथ कि पूजा भक्ति करते समय उसकी वीणा का तार टूट गया तो उसने अपने हाथ कि नस काटकर वीणा में लगाकर भगवान कि भक्ति जारी रखी उसे अपने कष्ट का तनिक भी एहसास नहीं हुआ. ऐसी ही भक्ति हम सभी को करनी चाहिए.
पाठशाला के बच्चों द्वारा हुई पूजन
मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज ने सभी को मंदिर जी में एक निश्चित दूरी में रहकर ही भगवान कि पूजन अर्चना करनी हैं एवं मुनि संघ के दर्शन भी शासन द्वारा निर्धारित दो कि दूरी से करें, कोई भी श्रावक मुनि श्री के पैर न छुए केवल दूर से ही बंदन करें. प्रत्येक रविवार को पाठशाला के बच्चों द्वारा आचार्य श्री कि संगीत मय पूजन हो रही हैं ततपश्चात सभी बच्चों को स्वल्पाहार प्रदान किया गया.
मुनि संघ को किया श्रीफल भेंट
प्रवीण जैन ने बताया कि पूज्य मुनि संघ को समस्त जैन समाज कि ओर से चंदेरी में ही चातुर्मास करने कि स्वीकृति हेतु श्री फल भेंट किया गया. मुनि श्री ने कहा कि आप अपनी श्रद्धा, भक्ति को बढ़ाये एकता का परिचय दें यदि आपका समर्पण धर्म के प्रति रहा तो आपको चातुर्मास काल का पुन्य अवसर मिल सकता हैं. सुखी रहें सब जीव जगत के, कोई कभी न घवरावे. इस कोरोना काल में कोई भी न घवरावे, सभी अपने अपने इष्ट की आराधना करें ताकि इस महामारी का अंत शीघ्र हो. इन्हीं मंगल भावना के साथ महावीर भगवान कि जय.