नई दिल्ली। देश में अंगदान को लेकर सरकार द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान से पिछले तीन साल में देश में अंग दान के ग्राफ में बढ़ोतरी हुयी है लेकिन अभी भी 28 राज्यों और नौ केन्द्र शासित प्रदेशों में से 22 में ही अंग दान शुरु हो पाया है. अंगदान के लिहाज से बाकी राज्यों के मुकाबले जहां दिल्ली सबसे आगे रही है वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे पीछे हैं.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में अंग दान के मामले 2016 में 9046 से बढक़र 2018 में 10,387 हो गये हैं. दिल्ली, इस मामले में अन्य सभी राज्यों से आगे है. मंत्रालय ने हाल ही में अंग दान से जुड़े आंकड़े एवं ब्योरे को संसद में पेश करते हुये बताया कि दिल्ली में 2018 में सर्वाधिक 2066 अंग दान किये गये. यह संख्या 2016 में 1947 और 2017 में 1989 थी. देश में मुख्यत: गुर्दा, हृदय, फेंफड़े और कॉर्निया के अलावा स्टेम सेल प्रत्यारोपण की मांग सबसे ज्यादा होने के कारण इन अंगों का दान ही किया जाता है.
उल्लेखनीय है कि मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) राष्ट्रीय स्तर पर अंग दान को बढ़ावा देने, कानूनी प्रक्रिया के तहत अंगदान कराने और इस बारे में गैरकानूनी गतिविधियों पर निगरानी रखता है. यह संगठन अंग दान के संबंध में देशव्यापी जागरुकता अभियान भी चलाता है. मंत्रालय द्वारा नोटो के हवाले से पेश आंकड़ों के अनुसार अंग दान के मामले में दिल्ली के बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र दूसरे और तीसरे पायदान पर हैं. तमिलनाडु में 2018 में 1936 लोगों ने अंग दान किया था जबकि 2016 में यह संख्या 1611 और 2017 में बढक़र 1855 हो गयी. वहीं महाराष्ट्र में पिछले तीन साल से लगभग एक हजार लोग प्रतिवर्ष अंग दान कर रहे हैं.
मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि देशव्यापी जागरुकता अभियानों के बावजूद सभी 36 राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों में से 22 में ही अंग दान शुरु हो पाया है. इतना ही नहीं देश में मृत शरीर से अंग दान के बजाय जीवित लोगों द्वारा लगभग तीन गुना अधिक अंग दान किया जा रहा है. आंकड़ों से स्पष्ट है कि 2016 में मृत शरीर से 2265 अंग दान किये गये जबकि जीवित लोगों द्वारा 6781 अंग दान हुये. यह अंतर 2017 में बढक़र 2110 के मुकाबले 7489 हो गया वहीं 2018 में मृत शरीर से 2254 अंग दान की तुलना में 8133 लोगों ने जीवित रहते ही अंग दान किया.