नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों की तारीखों को लेकर लग रही घोषणाओं पर किसी भी समय विराम लग सकता है। आयोग इस बार अप्रैल से मई तक सात से आठ चरणों में चुनाव करा सकता है। चुनावों की तिथियों की घोषणा इस सप्ताह के अंत में यानि रविवार को होने की प्रबल संभावना है।
चुनाव आयोग ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि 2014 के मुकाबले में यदि कोई बदलाव वांछित है। इसमें संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान के समय, घंटों में आवश्यक तब्दीली यदि जरूरी है तो उसके लिए आयोग को सूचित कर सकते हैं। आयोग पिछले दो सप्ताह से चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए राज्यों के कई चरणों में दौरे कर तैयारियों का जायजा ले चुका है।
पूरे देश में लोकसभा चुनावों को लेकर आयोग पहले से ही पूरे जोश में है। आयोग के सूत्रों के मुताबिक ऐसे में चुनाव कराने के लिए अपनी तार्किक तैयारियों को पूरा करने के बाद 17 वीं लोकसभा गठन के लिए विस्तृत मतदान कार्यक्रम की घोषणा की जा सकती है।
वर्तमान में 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल 3 जून को समाप्त हो रहा है, ऐसे में आयोग के पास पर्याप्त समय है कि वह पहले चरण के लिए अधिसूचना जारी करे। क्योंकि आयोग को चुनाव की तिथियों की घोषणा और चुनाव के लिए कम से कम दो सप्ताह का अंतराल होना चाहिए इस हिसाब से आयोग मार्च के अंत तक तिथियोंकी घोषणा कर अप्रैल की शुरुआत में मतदान करा सकता है। आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक इस बात की प्रबल संभावना है कि चुनाव आयोग आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ कराए।
चूंकि जम्मू और कश्मीर विधानसभा भंग कर दी गई है। ऐसे में चुनाव आयोग को वहां नए सिरे से चुनाव कराने हैं। इसके लिएविधानसभा भंग होने की छह महीने की अवधि के भीतर चुनान कराने के लिए आयोग बाध्य है। जम्मू-कश्मीर में यह कार्यकाल मई में खत्म हो रहा है। इस लिहाज से वहां भी मतदान होना है। लेकिन पुलवामा हमले और कश्मीर पर ताजा तनाव से वहां हालात खराब हैं।
इसके चलते भारत और पाकिस्तान के मध्य स्थितियां खासी विपरीत हैं। ऐसे में आयोग केसामने जेएंड के एक चुनौति बना हुआ है। आयोग केसामने यक्ष प्रश्न यह हैकि सीमाओं पर दिन पर दिन बदतर होते हालातों के बीच जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनावों के साथ ही आयोजित किए जाएं या नहीं यह बहुत कुछ वहां के सुरक्षा हालातों पर निर्भर करता है।
हलांकि जम्मू और कश्मीर विधानसभा छह साल का कार्यकाल 16 मार्च 2021 को समाप्त होना था। लेकिन पिछले साल पीडीपी और भाजपा के बीच एक सत्तारूढ़ गठबंधन टूट गया। इसके बाद 14 फरवरी से घाटी के हालात खासे चिंताजनक हैं। लिहाजा यहां चुनावों को लेकर अभी भी स्थितियां साफ नहीं है।
इस क्रम में बात करें सिक्किम विधानसभा की तो इसका कार्यकाल 27 मई 2019 को खत्म हो रहा है। आंध्र प्रदेश का कार्यकाल 18 जून, उड़ीसा का 11 जून और अरूणाचल प्रदेश की विधानसभा का समय जून के पहले सप्ताह में समाप्त हो रहा है। देश की 543 लोकसभा सीटों के लिए 10 लाख पोलिंग स्टेशनों पर आवश्यक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और पेपर ट्रेल मशीन भेजी जानी हैं। इसलिए अधिक संभावना है कि चुनाव सात से आठ चरणों में बांटकर कराया जाएगा।
चुनाव आयोग का रिकार्ड खंगाले तो 2004 में आयोग ने चार चरण के लोकसभा चुनावों की घोषणा 29 फरवरी को थी। जबकि मतदान की पहली तारीख 20 अप्रैल और 10 मई आखिरी तारीख थी। 2009 में चुनाव आयोग ने 2 मार्च को लोकसभा चुनाव की घोषणा की थी। इस बार चुनाव पांच चरण में हुआ था। मतदान 16 अप्रैल से चालू हुआ और 13 मई को खत्म हुआ था। इसी क्रम में 2014 में चुनाव आयोग ने 5 मार्च को चुनाव की तिथियां घोषित की थीं और नौ चरण में चुनाव हुए थे। पूरी चुनावी कवायद पहला चरण 7 अप्रैल को और अंतिम चरण का मतदान 12 मई को हुआ था।