नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक याचिका दायर की गयी है जिसमें केंद्र और राज्यों को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देश की जेलों में बंद 50 साल से अधिक आयु के कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में उन कैदियों के मामलों पर भी विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधी समस्या या दूसरी खतरनाक जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं.
अधिवक्ता अमित साहनी ने इस याचिका में कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोविड-19 का वृद्धजन और पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों पर ज्यादा गंभीर असर पड़ सकता है.
कैदियों की ज्यादा संख्या बन सकती है खतरा
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत पहले ही देश की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी होने की वजह से उनमें कोरोना वायरस के खतरे की आशंका का संज्ञान ले चुकी है लेकिन 50 साल से अधिक आयु के कैदियों के जल्दी इस वायरस का शिकार होने की आशंका के तथ्य की ओर उसका ध्यान आकर्षित नहीं किया गया.
शीर्ष अदालत ने 23 मार्च को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देश की जेलों में कैदियों की क्षमता कम करने के लिए सात साल तक की सजा काट रहे कैदियों या इतनी सजा के अपराध के आरोप में बंद विचाराधीन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार के लिए उच्चाधिकार समिति गठित की जाए.
50 साल से ज्यादा कैदियों में संक्रमण की संभावना अधिक
साहनी ने अपनी याचिका में कहा है कि 50 साल से ज्यादा उम्र के कैदियों को कोरोना वायरस का संक्रमण होने का ज्यादा खतरा है, इसलिए ऐसे कैदियों को पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की आवश्यकता है.