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कोरोना वायरस: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरों से बचें

आधी से ज़्यादा दुनिया कोरोनावायरस महामारी की चपेट में है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस वायरस की दवा खोज रहें हैं. अभी तक विज्ञान कोरोना महामारी से बचने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है. इसलिए ऐसी स्थिति में हर किसी की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. ऐसे में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे घरेलू नुस्खों और बाकी अफवाहों से गुमराह होने से बचे. कुछ वायरल हो रही अफवाहों की न्यूज़18 इंडिया की टीम ने गहराई से पड़ताल की और सच जानने की कोशिश की चाय से मर जाएगा कोरोना वायरस?

हाल ही में सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि चीन के जिस डॉक्टर ने कोरोनावायरस के बारे में सबसे पहले आगाह किया था उन्होंने ही इस वायरस की दवा भी बताई थी। वो दवा कोई बहुत महंगी नहीं बल्कि मामूली सी चाय है। तो क्या सच में चाय पीने से कोरोनावायरस से बचा जा सकता है? इस वायरल मेसेज को सीएनएन की ब्रेकिंग न्यूज़ के तौर पर भी शेयर किया जा रहा है।

वायरल मेसेज में जिस डॉक्टर वेनलियांग का हवाला दिया गया है चीन के वुहान शहर में वो वायरोलॉजिस्ट थे और कोरोनावायरस के बारे में पहली बार जानकारी उन्होंने ही दी थी और कोरोनावायरस के संक्रमण से ही उनकी मौत हो गई थी। इस दावे की पड़ताल के लिए न्यूज़18 इंडिया की टीम कीवर्ड्स के साथ सीएनएन की वेबसाइट और चैनल के सोशल मीडिया अकाउंट पर इसकी छानबीन कीए लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें चाय को कोरोना वायरस का इलाज बताया गया हो। इसका मतलब ये कि इस मेसेज को सीएनएन के नाम से फ़र्ज़ी तरीके से वायरल किया जा रहा है। भारत सरकार के प्रैस इन्फ़ॉर्मेशन ब्यूरो ने भी इस वायरल मेसेज के दावे को ग़लत बताया है।

पड़ताल में ये खबर झूठी साबित हुई

10 सेकंड सांस रोकी तो कोरोना नहीं? क्या 10 सेकंड तक सांस रोककर ही हम कोरोनावायरस के संक्रमण का पता लगा सकते हैं? अगर ऐसा है तो दहशत के इस आलम में इससे अच्छी खबर क्या होगी. सोशल मीडिया पर एक डॉक्टर का वीडियो वायरल हुआ जिसमें दावा किया जा रहा है कि महामारी बन चुके इस कोरोना वायरस को शरीर में प्रवेश करते ही पहचाना जा सकता है. दावा है कि इस उपाय से कोरोनावायरस के मरीजों की पहचान पुख्ता हो सकती है. क्या है इन दावों की सच्चाई?

डब्ल्यू.एच.ओ की गाइडलाइन के साथ साथ इस आफ़त का इलाज़ कर रहे डॉक्टरों का तो यही कहना है कि ये वायरस सीधे संक्रमित इंसान के फेफड़ों पर हमला करता है. यानी कोरोनावायरस इंसान के फेफड़ों पर हमला करता है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है और ताजा जानकारी ये भी कहती है कि ये वायरस इंसान के फेफड़े में पहुंचकर उस नस को सख्त बलगम से जकड़ देता है जिसके जरिए इंसान सांस लेता और छोड़ता है. इसीलिए इलाज के दौरान सांस दिलाने के लिए वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है.

पड़ताल में सोशल मीडिया पर ही एक पोस्ट नज़र आई जो इस वायरल दावे को झुठला रही थी. उस पोस्ट में कहा गया था संक्रमित लोगों में कई लोग नौजवान भी हो सकते हैं जो बड़ी ही आसानी से 10 सेकंड या उससे ज्यादा देर तक सांस रोकने में सक्षम होते हैं जबकि बुजुर्ग लोग ऐसा नहीं कर सकते. सांस रोककर कोरोना वायरस के संक्रमण का पला लगाने का डॉक्टर का दावा पड़ताल में गलत पाया गया.

सरसों का तेल कोरोना से बचाएगा?

सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि सरसों के तेल का एक ख़ास तरीके से इस्तेमाल करने पर कोरोनावायरस इन्सान के शरीर में दाख़िल होने से पहले ही मर जाएगा। क्या सच में सरसों का तेल कोरोनावायरस को मार सकता है? दावे के मुताबिक सरसों के तेल की दो बूंद अपनी नाक में लगाएं. इससे कोरोनावायरस सरसों तेल की चिकनाई में चिपक जाएगा और आठ घंटे के भीतर इन्सान की नाक में ही कोरोनावायरस मर जाएगा.

सरसों के तेल में मोनोसैचुरेटेड फ़ैटी एसिडए यूरिक एसिडए ओमेगा 3 और ओमेगा 6 जैसे तत्व भी पाए जाते हैं जो इन्सानी शरीर के लिए फ़ायदेमंद हैं. वैज्ञानिक शोधों में इस बात का तो पता लगा है कि सरसों का तेल से निकलने वाली तीखी गंध इन्सानी शरीर के लिए नुक़सानदायक बैक्टीरिया जैसे पेट पर हमला करने वाले ई.कोलाई, टायफॉयड देने वाले सैल्मोनेलाए स्टैफ़ और लिस्टेरिया जैसे बैक्टीरिया को मार सकती है।

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