नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच तमाम फार्मा कंपनियों ने कोरोना से लडऩे की दवाएं बनाना शुरू कर दिया है। इसी बीच अब सिपला ने भी घोषणा की है वह अगस्त महीने के पहले सप्ताह में कोरोना की दवा सिप्लेंजा लॉन्च कर देगी। खास बात ये है कि ये दवा बाजार की मौजूदा दवा की तुलना में 40 फीसदी सस्ती होगी। सस्ते दाम में ये दवा बनाने के लिए सिपला ने अपना पार्टनर भी देश में ही खोज लिया है।
हैदराबाद की एवरा लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को कोरोना की दवा बनाने की मंजूरी मिल गई है। अब एवरा लेबोरेट्रीज की तरफ से भी फेविपिरावीर एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट) दवा बनाई जा रही है, जो सिपला को सप्लाई कर दी जाएगी। बता दें कि एपीआई कोई भी दवा बनाने के लिए उसके कच्चे माल जैसा होता है। एवरा लेबोरेट्रीज ने एक बेहद कम लागत की मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस इजात की है, जिसके जरिए एपीआई दवा बनाकर उसे सिपला को भेज दिया जाएगा। सिपला में एवरा लेबोरेट्रीज से भेजी गई दवा से सिप्लेंजा दवा बनाकर लॉन्च की जाएगी, जो फेविपिरावीर दवा का जेनेरिक वर्जन है।
सिपला की दवा सिप्लेंजा की कीमत 68 रुपये प्रति टैबलेट होगी। अभी बाजार में सिर्फ ग्लेमार्क कंपनी ही फेविपिरावीर से कोरोना की दवा बना रही है, जिसका नाम है फैबिफ्लू। इसकी कीमत अभी बाजार में 104 रुपये प्रति टैबलेट है। यानी सिपला की दवा सिप्लेंजा इससे करीब 40 फीसदी सस्ती होगी। इसके सस्ते होने की एक बड़ी वजह ये है कि ये दवा ग्लेमार्क की तरह पेटेंट वाली नहीं, बल्कि जेनेरिक है और इसे बनाने की खास कम लागत वाली प्रक्रिया की वजह से इसकी टैबलेट सस्ती है।