राज्यपाल श्री टंडन ने 521 विद्यार्थियों को प्रदाय की उपाधियां
पाँच छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से नवाजा
आम सभा, ग्वालियर : प्रदेश के राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने कृषि शिक्षा की उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं से आहवान किया कि इस उपाधि के प्राप्त होने के बाद छात्र-छात्राएं नई तकनीकी, नए विचारों के माध्यम से देश की कृषि व्यवस्था में सुधार करेंगे। जिससे देश के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। राज्यपाल श्री टंडन ने मंगलवार को ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के षष्टम दीक्षांत समारोह के दौरान यह बात कही। प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री सचिन यादव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में जाने-माने कृषि वैज्ञानिक डॉ. मंगला राय, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस के राव, कृषि महाविद्यालय के कुल सचिव श्री डी एल कोरी सहित प्रमंडल सदस्यगण आदि उपस्थित थे। राज्यपाल श्री टंडन ने समारोह में कुल 521 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदाय कर पाँच छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए। जिसमें गोल्ड मैडल प्राप्त करने वाले छात्रों में पीएचडी हॉर्टीकल्चर में श्री प्रवीण कुमार सिंह गुर्जर को (फल विज्ञान) में, पीएचडी कृषि एग्रोनॉमी में आर्तिका कुशवाह एवं पोस्ट ग्रेजुएट कृषि में एश्वर्या शर्मा, ग्रेजुएट कृषि में श्री राहुल यादव (इंदौर) एवं हॉर्टीकल्चर में गणेश जालोदिया मंदसौर को प्रदाय किया गया।
राज्यपाल श्री टंडन ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि हम परंपराओं को भूल रहे हैं। दुनिया का बाजारवाद देश पर हावी हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम कृषि के क्षेत्र में अधिक उत्पादन लेने के चक्कर में अंधाधुन रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं, जिसका परिणाम है कि भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है, वहीं हम दूषित खाद्य पदार्थों का उपयोग कर विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ-साथ धरती माँ की उर्वराशक्ति भी कमजोर न हो, इसके लिए हमें महँगी खाद की अपेक्षा जैविक खाद का उपयोग करना होगा। जैविक खाद के कारण जहां भूमि में अनेकों लाभदायक जीवाणु जन्म लेते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रहने के साथ-साथ उत्पादित होने वाले खाद्य पदार्थों की भी गुणवत्ता एवं स्वाद में काफी अच्छे होते हैं, जो शरीर के लिए लाभदायक हैं।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि गौ माता एवं धरती माता को आज संरक्षण देने की आवश्यकता है। खेती मंन गाय के गोबर की खाद के उपयोग के प्रति अब देश में चेतना जागृत हो रही है। राज्यपाल ने परंपरागत खेती को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में देशी नस्ल की गाय के गोबर की खाद का उपयोग सेब की फसल लेने में किया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि सेब का आकार बढ़ने के साथ-साथ स्वादिष्ट होने एवं किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रसित नहीं है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में रासायनिक उर्वरक के स्थान पर गाय के गोबर से बनी खाद एवं गौमूत्र का उपयोग किया जा रहा है। गौ मूत्र कीटनाशक के रूप में भी अच्छा काम करता है।
राज्यपाल ने कहा कि जैविक खेती में निवेश करने से जहां भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी वहीं समाज को शुद्ध खाद्य सामग्री भी प्राप्त होगी और किसानों को भी सही दाम मिलेंगे। जैविक खेती के उत्पादों की कीमत अन्य उत्पादों से अधिक है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि उपाधि प्राप्त करने के बाद जब वे क्षेत्र में जाएं तो लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करें। जैविक खेती के लिए किसी गांव को गोद लेकर उस गांव के किसानों का फसल बीमा भी कराएं।
श्री लालजी टंडन ने कहा कि भारत का नया स्वरूप सामने आ रहा है। हमारे पूर्वजों ने जैविक खेती करने की जो विधि अपनाई थी, उस विधि को हमें भी अपनाना होगा। शुरू में परेशानी होगी, लेकिन कुछ वर्षों में इस पद्धति का उपयोग करने से फसलों की बम्पर पैदावार मिलेगी।