कन्नौज से मौजूदा सांसद और गठबंधन की तरफ से सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के खिलाफ कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी न उतारे जाने की बात सामने आ रही है. दरअसल, सपा-बसपा गठबंधन राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतार रहा है. लिहाजा गठबंधन में शामिल न किए जाने के बाद भी कांग्रेस रिश्तों को संजोए रखने में जुटी है. इसके तहत पार्टी आला कमान ने निर्देश दिए हैं कि यादव परिवार के सदस्य जहां से चुनाव में हों वहां प्रत्याशी नहीं खड़ा किया जाएगा.
लिहाजा इस हिसाब से कांग्रेस मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद में प्रत्याशी नहीं उतारेगी. लेकिन कांग्रेस ने बदायूं से सपा संसद धर्मेंद्र यादव के खिलाफ सलीम इकबाल शेरवानी को टिकट दिया है. जिसके बाद कोशिश हो रही है कि इस सीट पर भी सीधे टकराव की स्थिति पैदा न हो.
लेकिन अगर कन्नौज सीट की बात करें तो डिंपल यादव यहां से निर्विरोध जीत दर्ज कर चुकी हैं. 2009 में पहली बार डिंपल यादव ने फिरोजाबाद सीट से उपचुनाव में हिस्सा लिया और उन्हें राजबब्बर के हाथों हार का सामना करना पड़ा. दरअसल उनके पति अखिलेश यादव ने 2009 के चुनाव में दो सीटों कन्नौज और फिरोजाबाद सीट से चुनाव लड़ा था और दोनों ही सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्होंने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी. जहां से डिंपल यादव ने चुनाव लड़ा.
इसके बाद 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्नौज लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. यहां से एक बार फिर डिंपल यादव मैदान में खड़ी हुईं और निर्विरोध जीतीं, क्योंकि किसी भी दल ने इस बार उनके खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारा. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने डिंपल यादव के खिलाफ कन्नौज से कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं खड़ा किया था. हालांकि मोदी लहर में डिंपल यादव को इस सीट पर बीजेपी के सुब्रत पाठक ने कड़ी टक्कर दी थी. डिंपल महज 19,907 वोटों से जीती थीं.