सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों ने पत्रकार वार्ता कर दी सफाई
आम सभा, विशाल सोनी, अशोकनगर। कांग्रेस द्वारा श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया का लगातार अपमान किया जा रहा था, उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश हो रही थी। प्रदेश की पूर्व सरकार में सिंधिया समर्थक विधायकों की घोर उपेक्षा हो रही थी उनके जनहित के कार्यों को सिर्फ इसलिए नहीं किया जा रहा था कि इसका श्रेय श्री सिंधिया को मिलेगा।
पार्टी और सरकार द्वारा लगातार की गई उपेक्षा और अपमान से व्यथित होकर और जनहित के कार्य नहीं किए जाने की वजह से सिंधिया के समर्थन में प्रदेश के 22 विधायकों ने कमलनाथ सरकार से इस्तीफे दिए थे लेकिन पिछले कुछ दिनों से श्री सिंधिया, उनके समर्थक विधायकों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही है जिसकी सच्चाई बताने आज आपऔर हम साथ बैठकर चर्चा कर रहे हैं यह बात स्थानीय विश्राम गृह में जिले के पूर्व विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि
12 माह की कमलनाथ सरकार के दौरान उसी पार्टी के एक विधायक के विधानसभा क्षेत्र में 72 गांव की सड़कों को बनवाने की लिस्ट दी जाए और कुल 6 किलोमीटर की सड़कें स्वीकृत हो, तो फिर ऐसे विधायक रहने से क्या फायदा। क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए हमने लोगों से वादे किए थे। लेकिन 12 माह में सिर्फ सिंधिया समर्थक विधायक होने के नाते हमारी उपेक्षा की गई,और हमारे द्वारा सुझाए गए कार्य नहीं किए गए।
लोगों ने हमें बड़ी उम्मीद से चुना था जिससे क्षेत्र में विकास कार्य हों, लोगों के काम हों लेकिन बार-बार मुख्यमंत्री से कहने के बाद भी ना तो लोगों के काम हुए और ना ही क्षेत्र में विकास कार्य इस कारण सिंधिया समर्थक सभी विधायकों ने इस्तीफे दिए उन्होंने कहा कि चुनाव पूर्व मध्य प्रदेश चुनाव की कमान श्री सिंधिया ने संभाली थी और उन्होंने प्रदेश भर में जाकर सबसे अधिक जनसभाएं की थी और लोगों से वादे किए थे कि वह उनके विकास कार्य कराएंगे लेकिन सरकार बनने के बाद लगातार श्री सिंधिया की उपेक्षा होती रही और लोगों के वादे पूरे नहीं हुए लोगों ने श्री सिंधिया को कांग्रेस के वचन पत्र के बादे याद दिलाएं तो उन्होंने कहा कि अगर सरकार वादे पूरे नहीं करती तो हम सड़क पर उतर आएंगे। इस पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनका अपमान करने के लिए कहा कि सड़क पर उतर आएं कोई फर्क नहीं पड़ता।
एक तरफ तो कमलनाथ सरकार में सिंधिया समर्थक विधायकों के काम नहीं हो रहे थे दूसरी तरफ लगातार श्री सिंधिया को अपमानित किया जा रहा था इस कारण श्री सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि मैंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट तुलसी सरोवर के सौंदर्यीकरण के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष12 करोड़ रुपए की योजना का प्रस्ताव रखा लगातार सचिवालय में अधिकारियों के चक्कर लगाए नगरीय प्रशासन मंत्री से मुलाकात की बैठकों के दौर चले और उसी योजना को घटाकर 5 करोड़ रुपए की कर दिया गया इस पर भी मैं यह सोचकर सहमत हो गया कि चलो अगले बार और राशि स्वीकृत करा ली जाएगी उस योजना के टेंडर आमंत्रित करने के बाद जब मैंने अधिकारियों से बार-बार पूछा तो उन्होंने कहा कि आपकी इस योजना को निरस्त कर दिया गया।
जिस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए मैंने इतनी मेहनत की उसको अपनी ही सरकार ने निरस्त कर दिया इसी तरह एक ट्रांसफर को लेकर भी उन्होंने वाकया सुनाया कि एक विधायक का मुख्यमंत्री से कहने पर भी अगर एक ट्रांसफर नहीं होता वह भी मुख्यमंत्री को यह बताने पर कि यह मेरा मित्र काम है, तो ऐसी सरकार में और ऐसे विधायक रहने से क्या फायदा।इन्ही सब बातों को लेकर हमने कांग्रेस छोड़ी और विधानसभा से इस्तीफा दिया। उन्होंने सवाल किया कि ऐसे विधायक रहने से क्या फायदा जिसमें 5 साल तक क्षेत्र में कोई विकास कार्य न कराया जा सके। और अब हम जनता के बीच जाएंगे और कहेंगे कि हमने विकास के लिए कांग्रेस और विधायकी छोड़ी और भाजपा में शामिल हुए। अब आप ही फैसला कीजिए। इस दौरान मुंगावली के पूर्व विधायक बृजेंद्र सिंह यादव, सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक गजराम सिंह यादव, धर्मेंद्र चौधरी, जयप्रकाश अग्रवाल, पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मनोज शर्मा, पूर्व नपा उपाध्यक्ष महेंद्र भारद्वाज भी मौजूद थे।