कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह के इशारे पर काम करने का आरोप लगते हुए कहा है कि आयोग ने पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी की दो रैलियों के बाद जिस तरह से चुनाव प्रचार पर निर्धारित समय से 24 घंटे पहले रोक लगाकर साबित कर दिया है कि यह स्वायत संस्थान अब अपनी विश्वसनीयता खो चुका है और आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया पर नए सिरे से विचार करने की जरुरत है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को यह पार्टी मुख्यालय में आयोजित विशेष संवाददाता सम्मलेन में कहा कि आयोग के काम करने के तरीके से साफ़ हो गया है कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा नहीं कर पा रहा है और सिर्फ मोदी तथा शाह के इशारे पर लाम कर रहा है।
TMC का इंटरनल एनालिसिस:बंगाल में लेफ्ट का वोट BJP को हो सकता है शिफ्ट
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष के इशारे पर हिंसा हुई है और इसकी शिकायत आयोग से की गई है लेकिन आयोग ने शाह के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय निर्धारित तिथि से 24 घंटे पहले चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी। आयोग ने जानबूझकर प्रचार खत्म होने का समय गुरूवार रात 10 बजे तय किया क्योंकि तब तक राज्य में मोदी की दो रैलियां पूरी हो जाएगी।
प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस ने आयोग में मोदी तथा शाह के खिलाफ 11 शिकायतें दर्ज़ कराई थी लेकिन आयोग ने एक भी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया, इससे जाहिर है आयोग ने मोदी तथा शाह के इशारे पर काम कर रहा है और वह अपनी निष्पक्षता खो चुका है।
PM का ममता पर निशाना, ‘दीदी की चले तो मेरा हेलीकॉप्टर न उतरने दें’
सुरजेवाला ने कहा कि चुनाव आयोग ने प्रचार समाप्त करने के लिए जो समय निर्धारित किया है, उससे ठीक पहले मोदी की दो रैलियां पश्चिम बंगाल में होनी है और यह मोदी के लिए चुनाव आयोग की तरफ से एक तोहफा है। उन्होंने कहा कि आयोग को अपनी निभीर्कता, स्वायत्तता और विश्वसनीयता पर उठे सवालों का जवाब देना चाहिए और देश की जनता को बताना चाहिए कि उन्होंने चुनाव प्रचार पर 24 घंटे पहले रोक क्यों लगाई। उन्होंने सवाल उठाया कि आयोग मोदी के लिए काम कर रहा है या प्रजातंत्र की रक्षा कर रहा है।
ममता को टारगेट कर रहे PM और शाह, दबाव में काम कर रहा EC: मायावती
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव आयोग को यह भी बताना चाहिए कि उसने मोदी और शाह के खिलाफ दायर 11 शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की। नमो टीवी के माध्यम से प्रचार प्रसार किया गया, लेकिन आयोग ने इस शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि आयोग की निष्पक्षता पर जो प्रश्नचिह्न खड़े हुए हैं, उन्हें देखते हुए लोकतंत्र के हित में इसकी नियुक्ति प्रक्रिया पर फिर से विचार करने की जरुरत है और कांग्रेस सत्ता में आने के बाद इस पर गंभीरता से विचार करेगी।