भोपाल
भारत का हृदय-प्रदेश मध्यप्रदेश, प्राकृतिक सौंदर्य, बहुरंगी पारिस्थितिकी तंत्र और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोये है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकासशील चिंतन के मार्गदर्शन में प्रदेश डॉ. मोहन यादव के कुशल और आत्मविश्वास से भरे नेतृत्व में विकास के पथ पर अग्रसर है। वर्ष 2025 में सरकार आर्थिक प्रगति और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन बना कर आगे बढ़ेगी। स्वच्छ और हरित मध्यप्रदेश मात्र विमर्श नहीं है, अपितु वर्तमान और भावी पीढ़ियों की महती आवश्यकता है।
स्वच्छ और हरित मध्यप्रदेश बनाए रखने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और जनभागीदारी के सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। नागरिकों में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने के लिए भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए रोडमैप तैयार कर निरन्तर आगे बढ़ रही है।
नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना
मध्यप्रदेश ने सौर और पवन ऊर्जा के उपयोग में महत्वपूर्ण प्रगति की है। रीवा में अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश को देश के अन्य राज्यों के लिए रोल-मॉडल बनाने के लक्ष्य का प्रतीक है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश सरकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के साथ ही पवन ऊर्जा परियोजनाओं का विस्तार करने पर भी फोकस कर रही है। नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में सरकारी के साथ ही निजी निवेश को भी बढ़ावा दिये जाने की रणनीति बना रही है। प्रदेश के आम नागरिकों को उनकी आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों के अंतर्गत घरों और व्यवसायिक संस्थानों के लिए रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यहां तक कि प्रदेश के सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता अर्थात किसानों को भी सिंचाई के लिए सोलर-पंप जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से नागरिक तो ऊर्जा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनेंगे ही, उनका अतिरिक्त उत्पादन ग्रिड से जुड़ कर प्रदेश को विद्युत सर-प्लस राज्यों के शीर्ष पर बनाए रखने में सहयोगी होगा। इस तरह मध्यप्रदेश देश को क्लीन-एंड-ग्रीन एनर्जी सेक्टर में विश्व में अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगा।
कचरा प्रबंधन प्रणाली में सुधार
प्रदेशवासियों के लिए गर्व का विषय है राज्य बीते कई वर्षों से लगातार देश के स्वच्छतम प्रदेशों में सम्मिलित बना हुआ है। इंदौर देश का स्वच्छतम शहर और भोपाल देश की स्वच्छतम राजधानी बनी हुई है। प्रदेश की इस क्लीन-एंड-ग्रीन लिगेसी को बनाए रखने के लिए पहले से सक्रिय कचरा-प्रबंधन प्रणाली को और प्रभावी बनाए जाने के लिए प्रदेश सरकार रणनीतिक स्तर पर काम कर रही है। स्थानीय निकायों में सूखा-गीला कचरा पृथक्करण के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक कचरा, चिकित्सालयों एवं लेबोरेटरीज का कचरा और सीवेज-वेस्ट के पृथक्करण एवं निष्पादन के लिये हाईटेक प्रणालियां विकसित करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके अंतर्गत प्रदेश की स्मार्ट-सिटी परियोजना में सम्मिलित शहरों के साथ ही दूसरे शहरों में भी आधुनिक री-साइक्लिंग प्लांट स्थापित किए जाने की योजना है। गांवों और कस्बों में जैविक कचरे की कंपोस्टिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए भी आम नागरिकों को जागरूक बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
जनभागीदारी से बढ़ाई जायेगी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रीनरी
सबसे अधिक वनावरण और वृक्षावरण के साथ प्रदेश लगातार देश में प्रथम स्थान पर बना हुआ है। इस तरह हम जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने की दिशा में सबसे आगे हैं। इससे हमारी जैव-विविधता में भी सुधार हो रहा है। हम इससे संतुष्ट होकर नहीं बैठे है प्रदेश की इस परंपरा को आने वाले वर्षों में भी बनाये रखने के लिए सरकार सामुदायिक भागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर वनीकरण अभियान चलाती रहेगी। इसके साथ ही शहरों में ग्रीन-बेल्ट और पार्कों का विकास किया जा रहा है। विकास कार्यों के कारण वन भूमि को संभावित क्षति के दृष्टिगत उसकी सुरक्षा और पुनर्स्थापना के लिए भी योजनाबद्ध रूप से सरकार काम कर रही है। किसानों के बीच भी कृषि वानिकी की परंपरा बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
वर्ष 2025 में मिले उपहार प्रदेश को बनाएं जल-समृद्ध
कृषि, उद्योग और घरेलू आवश्यकताओं के लिए सतत जल प्रबंधन महत्वपूर्ण है। इसके लिए मध्यप्रदेश को वर्ष के आरंभ में ही प्रधानमंत्री मोदी की ओर से पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी लिंक और केन-बेतवा नदी लिंक परियोजनाओं का उपहार मिला है। ये परियोजनाएं प्रदेश की सिंचाई आवश्यकताओं के साथ ही नागरिकों के लिए पेयजल और उद्योगों को उनकी जरूरतों के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराएंगी। इसके साथ ही प्रदेश सरकार भूगर्भ में संचित जल स्तर को बढ़ाने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रेन-वाटर हार्वेस्टिंग प्रणालियों का विस्तार कर रही है, पारंपरिक जल-निकायों (कुएं, बावड़ी एवं तालाब) और नदियों को पुनर्जीवित किए जाने की योजनाओं पर भी काम कर रही है। खेती में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए स्प्रिंकलर-सिस्टम और ड्रिप-इरिगेशन जैसी माइक्रो-इरिगेशन तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
एकीकृत कृषि के साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा, अर्थव्यवस्था बनेगी मजबूत पर्यावरण भी रहेगा संरक्षित
देश के साथ ही मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाली कृषि के क्षेत्र में भी उत्पादन बढ़ाने के लिए इस तरह की तकनीकों पर जोर दिया जा रहा है जो पर्यावरण के अनुकूल हों। इसके अंतर्गत जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसान रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशक के रूप में रसायनों का प्रयोग कम से कम करने के लिए प्रोत्साहित होंगे और खेतों की मिट्टी भी उर्वर एवं शस्य-श्यामला बनी रहेगी। इसके लिए किसानों को गांवों में पर्यावरण संरक्षण और प्रिसिजन फार्मिंग संबंधी प्रशिक्षण दिये जाएंगे। किसानों को समृद्ध बनाने की रणनीति के अंतर्गत बाजारों की जरूरतों के अनुरूप फसल विविधीकरण, उद्यानिकी और पशुपालन से एकीकृत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
वाहन-जनित प्रदूषण कम करने की रणनीतियों पर फोकस
वर्ष 2025 में मध्यप्रदेश सरकार यातायात के साधनों की पर्याप्तता बनाए रखते हुए पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए विशेष नीतियों पर काम कर रही है। इसके लिए सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का विस्तार किया जा रहा है। सार्वजनिक परिवहन के लिए मध्यप्रदेश परिवहन निगम को पुनर्जीवित किया जा रहा है। प्रदेश में इंटर-सिटी कनेक्टिविटी और शहरी सार्वजनिक परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक बसें प्रारंभ की जा रही हैं। साथ ही राजधानी भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन शुरू की जा रही हैं। निजी परिवहन में ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए इनकी खरीद पर अनुदान का प्रावधान किया गया है, साथ ही चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ाया जा रहा है। शहरों में साइकलिंग ट्रैक और पैदल यात्री मार्ग भी बनाए जा रहे हैं।