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बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र द्वारा बाल दिवस मनाया गया

आम सभा, भोपाल : प्रारंभ में सुनील दुबे ने नेहरू जी के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला एक दिव्यांग बालिका फाल्गुनी पुरोहित ने नेहरु जी कोई पसंद का वह गाना गाया ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी इस गाने को सुनकर नेहरू जी के आंखों में भी आंसू आ गए थे यह गीत लता का थ मीनू शुक्ला ने पंख जो होते मेरे तन पर तो ने उड़ जाती और सुधा दुबे ने चूहे की कहानी अभिनय करके सुनाई और विजय रैकवार ने बच्चो को आनंदित किया इस अवसर पर चंद्रशेखर तापी ने जो कि आनंद के विषय में बताया और बच्चो को खेल खिलाए उन्होंने बताया कि जिस तरह से पंडित जवाहरलाल नेहरू हमेशा आनंदित प्रसन्न रहते थे उसके बच्चों को ढूंढने कुछ बताएं और कुछ एक्टिविटीज भी करवाएं।

रेखा भटनागर ने चुप चुप करती रेल चली रेल चली कविता सुनाई किरण के मां के हाथ में देखे लड्डू के आए देखो लड्डू लाड़ लड़ाते दादाजी बचपन से हमने बचपन से हमने जाना है बृजेश सक्सेना ने कविता में का मेरे छोटे हाथ है मां मैं कैसे सैनिक बन जाऊं चरणजीत कुकरेजा ने आएगी जब छुट्टी बहुत सुंदर गीत है जिसको बच्चों ने बहुत पसंद किया बच्चों में से रोहित ने चाचा नेहरू तुम्हें सौ सौ बार प्रणाम कविता पढ़ी और कुणाल खरे ने “चाचा नेहरू का जन्मदिन बच्चों का है त्यौहार” यह कविता का पाठ किया इस अवसर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू को गुलाब का फूल पसंद था उसके एक प्रतियोगिता कराई गई और उसमें कक्षा 9 से 12 के ग्रुप में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर रोहित प्रजापति ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया और कक्षा 6 से 8 के छात्रों में मनीष पारस प्रजापति,अनुराग शीला दीक्षित ने इनाम बटोरे कार्यक्रम में बाल आयोग की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती उषा चतुर्वेदी साहित्यकार डॉक्टर क्षमा पांडे बहुत बहुत बड़े कथाकार श्री योगेश शर्मा जी बाल साहित्यकार श्रीमती श्यामा गुप्ता उपस्थिति और कार्यक्रम का संचालन साधना श्रीवास्तव ने किया और आभार मृदुल त्यागी ने दिया

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