चंडीगढ़।
कैबिनेट मंत्री नवजाेत सिंह सिद्धू का विभाग बदलने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के विरोध के वजह से अब तक लटके हुए नई भूजल अथाॅरिटी के गठन को मंजूरी दे दी है। स्थानीय निकाय मंत्री के पद पर रहने के दौरान सिद्धू इसका पुरजोर विरोध कर रहे थे। सीएम अमरिंदर ने एक उच्चस्तरीय बैठक में वाटर रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाने को मंजूरी दी।
सीएम वाटर रेगुलेटरी अथॉरिटी को दी मंजूरी, गिरते भूजल संकट से निपटने के लिए बुलाएंगे सर्वदलीय बैठक
बता दें कि कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इसमें शामिल किए गए शहरी क्षेत्रों के प्रावधानों का शुरू से ही विरोध करते रहे हैं। जल संकट पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में कैप्टन ने भूजल स्तर गिरने की समस्या के व्यापक हल पर आम सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय मीटिंग बुलाने का एलान भी किया। अथॉरिटी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा की अगुवाई में कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया गया है।
इस सब कमेटी में कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा व सुख सरकारिया को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा सीएम ने अतिरिक्त मुख्य सचिव विश्वजीत खन्ना के नेतृत्व में एक अन्य कमेटी बनाई है। इसमें पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. बी एस ढिल्लों शामिल होंगे। कमेटी मौजूदा फसली तौर-तरीकों में तबदीली की संभावनाओं का पता लगाएगी।
आशु ने उठाई सिद्धू वाली आपत्ति
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा के समक्ष इस बात को लेकर आपत्ति जताई की वाटर अथॉरिटी शहरों में सप्लाई होने वाली पानी को रेगुलेट न करे। यही विरोध नवजोत सिंह सिद्धू ने किया था। ड्राफ्ट बिल में यह क्लॉज है कि अथॉरिटी पानी को बिजली रेगुलेटरी की तरह ही कंट्रोल करेगी। आशु ने कहा कि इससे शहरों में ज्यादा बोझ पड़ेगा। ब्रह्म मोहिंदरा ने भरोसा दिलाया कि ऐसा नहीं होगा।
सिद्धू के विरोध की वजह से था गतिरोध
बता दें कि इस मामले कैबिनेट मंत्री नवजाेत सिंह सिद्धू के विराेध की वजह से यह यह मामला काफी दिनों से अटका हुआ था। सिद्धू का विभाग बदलने से कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की यह बाधा दूर हो गई। बता दें कि देश के कई महानगरों में पीने के पानी के संकट ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर फोकस करने को मजबूर कर दिया है। नवजोत सिंह सिद्धू स्थानीय निकाय महकमे के मंत्री होने के नाते यह आरोप लगाते रहे हैं कि भूजल अथॉरिटी उनके विभाग में हस्तक्षेप है, जिसके चलते यह बिल कई महीनों से रुका हुआ है। अब उनके इस महकमे से हटने व उनकी जगह ब्रहम मोहिंदरा के आने के बाद भूजल अथॉरिटी बनाने का रास्ता साफ हो गया है। बताया जाता है कि सिंचाई विभाग ने भूजल अथॉरिटी का बिल आने वाले विधानसभा सेशन में लाने की तैयारी शुरू कर दी है।
पंजाब में भूजल चिंतनीय स्तर तक गिर चुका है। इस वजह से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वाटर पॉलिसी लाने की बात कही थी। पंजाब किसान आयोग ने यह पॉलिसी तैयार कर ली जिसमें केंद्रीय जल अथॉरिटी की तरह राज्य जल अथॉरिटी बनाने का भी प्रावधान किया गया है। इसमें न केवल भूजल बल्कि बरसाती और नदियों के पानी को भी रेगुलेट करने की योजना भी है।
पिछले बजट सेशन में सरकार इसका बिल ला रही थी, लेकिन जिस दिन यह बिल पेश होना था, उसी दिन स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने इसका विरोध कर दिया। लिहाजा यह बिल मौके पर ही वापस ले लिया गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह इस बात को लेकर अड़ गए कि यह उनके विभाग में दखलअंदाजी है।
क्या होगा बिल में
इस बिल में शहरों में बरते जाने वाले पानी को रेगुलेट करने, उसकी दरें निश्चित करने आदि का अधिकार अथॉरिटी के पास जाना था। सिद्धू का कहना था कि यह उनके महकमे में दखलअंदाजी है। मुख्यमंत्री ने सिद्धू को मनाने के लिए उनकी अगुवाई में एक कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया और इन्हें इजरायल भेजने का प्रस्ताव रखा, ताकि कमेटी पानी के संकट और उससे निजात पाने के समाधान को सीख सके।
विभाग का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू का यह तर्क सही नहीं है कि वाटर अथॉरिटी किसी के काम में हस्तक्षेप करेगी। अथॉरिटी का काम पानी को मैनेज करना है। इसमें नहरी पानी, बरसाती पानी और भूजल तीनों शामिल हैं। वैसे भी स्थानीय निकाय विभाग के एक्ट में साफ है कि वह केवल पीने के पानी को लोगों को उपलब्ध करवाते हैं। वहां भी पानी सिंचाई विभाग ही नहरों या रजबाहों से भेजता है।