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बीजेपी : कल, आज और कल by Vijay Trivedi

ये किताब 2019 के चुनावों के बरअक्स भारत की राजनीति के सबसे दिलचस्प, और सबसे नये अध्याय- भारतीय जनता पार्टी- को समझने का प्रयास है।

आम सभा, भोपाल : विजय त्रिवेदी देश के गिने-चुने पत्रकारों में से एक हैं जिन्होंने लंबे समय तक चुनावों को कवर किया है और आम चुनावों समेत ज्यादातर विधानसभा चुनावों, राज्यसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे अहम पदों के चुनावों को करीब से देखा समझा है। 1989 से चुनावों को टीवी चैनल्स के लिए लाइव कवर करने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा की। विधानसभाओं और लोकसभा की कार्रवाई को समझने का लंबा अनुभव, जिससे समझ आया कि हाथी के दाँत का मुहावरा राजनीति में सबसे सटीक बैठता हैं।

प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन और अब डिजिटल मीडिया में। देश के बड़े हिन्दी अखबारों के अलावा एनडीटीवी में लम्बा वक्त बिताया। अब हिन्दुस्तान समाचार के डिजिटल प्लेटफॉर्म और यूटयूब चैनल एचएस न्यूज की जिम्मेदारी। अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखी किताब हार नहीं मानूँगा और फिर योगी आदित्यनाथ पर यदा यदा हि योगी लगातार बेस्टसेलर। एक बात पर खास जोर देते हैं, कि राजनेताओं को अपना दोस्त समझने की गलती न करें, खासतौर से पत्रकार।

उस पार्टी ने 1977 में अन्य पार्टियों के साथ मिलकर जनता पार्टी की स्थापना की। फिर 1980 में हिन्दुत्व की मूल विचारधारा की राह अपनाते हुए भारतीय जनता पार्टी का रूप ले लिया। वैसे भी राजनीति और कुछ नहीं, बदलते समय के साथ चलते हुए सत्ता हासिल करने की जुगत है। बीजेपी ने 1984 के लोकसभा चुनाव में बड़ी मुश्किल से दो सीटे हासिल की, और तीस सालों के भीतर ही 2014 में 282 सीटें जीतने की कुव्वल भी दिखाई। बीजेपी को पूर्ण बहुमत वाली पार्टी के अलावा प्राथमिक सदस्यता के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनाना का श्रेय नरेन्द्र मोदी को जाता है। कहते हैं, मोदी विध्वंसक नायक हैं, ग्रेट डिसरप्टर हैं। वे पूरी ताकत के साथ काम भी करते है, और उसकी मार्केटिंग भी।

रणनीति बनाते हैं और लक्ष्य साध कर चलते हैं जिसने हिन्दुत्व की विचारधारा से शुरूआत की, और एक हिन्दु हृदय सम्राट को बड़ी तेजी से एक कोने में सिमटते देखा। ये उस पार्टी की कहानी है जिसने राम मन्दिर आन्दोलन की सीढ़ी से अपनी मंजिल हासिल की, और फिर सेक्युलर छवि वाले वाजपेयी को अपना चेहरा बना डाला। बीजेपी की कहानी दरअसल भारतीय लोकतंत्र और राजनीति का दस्तावेजीकरण भी है। बीजेपी: कल, आज और कल उस एक पार्टी की कहानी है जिसने सामूहिक नेतृत्व से शुरूआत की, नागपुर में अपना रिमोट कन्ट्रोल रहने दिया, और 7 लोककल्याण मार्ग तक आते-आते वनमैन पार्टी बन गयी। ये किताब 2019 के चुनावों के बरअक्स भारत की राजनीति के सबसे दिलचस्प, और सबसे नये अध्याय-भारतीय जनता पार्टी-को समझने का प्रयास है।

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