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जींद में नहीं चला कांग्रेस का सुरजेवाला दांव, इनेलो के टूटने से जीती BJP

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा के निधन के बाद खाली हुई जींद विधानसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. इस चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे दिवंगत विधायक मिड्ढा के बेटे डॉ. कृष्ण मिड्ढा ने 12,885 वोटों से जीत दर्ज की है. इनेलो के दो खेमों में बंट जाने के बाद इस सीट पर राज्य में सत्ताधारी बीजेपी की राह आसान मानी जा रही थी. लेकिन कांग्रेस ने कैथल से विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को मैदान में उतार कर मुकाबला दिलचस्प बना दिया था.

जींद विधानसभा उपचुनाव के लिए 28 जनवरी को हुए मतदान कुल 75 फीसदी वोटिंग हुई थी. जिसमें कुल 21 उम्मीदवार मैदान में थे. लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के डॉ. कृष्ण मिड्‌ढा, दुष्यंत चौटाला की जनता जननायक पार्टी (जेजेपी) से दिग्विजय चौटाला, कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला और इनेलो के उमेद सिंह रेढू के बीच था. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी के कृष्ण मिड्ढा को 50,566 वोट मिले जबकि दूसरे स्थान पर जेजेपी से दिग्विजय चौटाला को 37,681 वोट मिले. वहीं, तीसरे नंबर पर कांग्रेस से सुरजेवाला को 22,740 मतों से संतोष करना पड़ा.

जींद में हुए चतुष्कोणीय मुकाबले में सत्ताधारी बीजेपी की साख तो दांव पर लगी ही थी. लेकिन कांग्रेस ने यहां हाई प्रोफाइल उम्मीदवार खड़ा कर इस सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया था. पिछले कुछ दिनों से इस सीट पर कांग्रेस द्वारा जबरदस्त प्रचार देखने को मिला, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हु़ड्डा, प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर, पूर्व मंत्री किरन चौधरी, राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा समेत सभी खेमों ने एकजुट होकर प्रचार किया.

हरियाणा की जींद विधानसभा वैसे तो जाट बहुल है, लेकिन इस सीट पर 1972 के बाद से कोई जाट उम्मीदवार नहीं जीता. जींद विधानसभा में 1.70 मतदाताओं में 45000 जाट और करीब 35000 दलितों की आबादी है. कांग्रेस, इनेलो और दुष्यंत चौटाला की जनता जननायक पार्टी ने जाट उम्मीदवार खड़े किए. जबकि बीजेपी ने यहां से गैर-जाट दिवंगत विधायक मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा को मैदान में उतारा था. लिहाजा, बीजेपी को जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ. जाट वोट तीन धड़ों में बंट गया और मिड्ढा की आसान जीत हो गई.

जींद विधानसभा चुनाव को कांग्रेस पार्टी ने एक प्रयोग की तरह लड़ा. दरअसल, पार्टी पिछले कुछ समय से राज्य में नेतृत्व का विकल्प तलाश रही है और कई गुटों में बंटी पार्टी को एकजुट भी करना चाहती है. चुनाव प्रचार के दौरान हरियाण सरकार में मंत्री रामविलास शर्मा का एक वीडियो खूब वायरल हुआ जिसमें वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कहते हुए सुने जा सकते हैं, ‘आपका कांटा निकल गया.’ शर्मा की इस टिप्पणी को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि सुरजेवाला की संभावित हार से 9 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में हुड्डा की सीएम पद के लिए उम्मीदवारी का रास्ता साफ हो जाएगा.

हालांकि शुरू में सुरजेवाला चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन आलाकमान के आग्रह पर लड़ने को राजी हो गए. सुरजेवाला के लिए इस चुनाव में खोने को कुछ नहीं था, क्योंकि वे पहले ही कैथल से विधायक हैं और हार जाने के बाद भी आलाकमान की बात मानने के चलते करीबी बने रहेंगे. लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में राज्य की सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही कांग्रेस पार्टी को धक्का जरूर लगा है.

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