झारखंड विधानसभा चुनाव में मिली हार का असर अब बिहार एनडीए में भी दिखना शुरू हो गया है। झारखंड के नतीजे आने के एक दिन बाद से ही बिहार में एनडीए के भीतर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। एक बार फिर से बिहार में भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने मुख्यमंत्री पद को लेकर चेहरा बदलने की मांग करनी शुरू कर दी है। झारखंड चुनाव के तुरंत बाद बिहार एनडीए में रार देखने को उस वक्त मिली जब बीजेपी के सीनियर नेता रामेश्वर चौरसिया ने बिहार में नए चेहरे की मांग कर दी।
मंगलवार को नोखा से पूर्व विधायक और भाजपा के दिग्गज नेता रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि ‘लोग अब बार-बार एक ही चेहरा देखकर उब गए हैं। ऐसा हर क्षेत्र में होता है। बिहार को भी एक नए चेहरे की जरूरत है।’ गौरतलब है कि झारखंड चुनाव के बाद बीजेपी और जदयू के नेताओं ने दावा किया है कि झारखंड के नतीजों से बिहार एनडीए पर कोई असर नहीं होगा।
हालांकि, बीजेपी नेता के इस मांग को जदयू ने तुरंत ठुकरा दिया। जनता दल यूनाइटेड के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि इस मांग को इनकार करते हुए कहा कि कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जिन्हें परखा जाता है, स्वीकार किया जाता है और वे करिश्माई होते हैं। मसलन स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, कर्पूरी ठाकुर, नीतीश कुमार, पीएम नरेंद्र मोदी आदि। ये सब इस श्रेणी में आते हैं। हमें नहीं लगता कि बिहार में सीएम पद को लेकर चेहरे को बदलने की आवश्यकता है। इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अमित शाह भी पहले ऐलान कर चुके हैं।
जदयू के सीनियर नेता राजीव रंजन ने बीजेपी पर सहयोगियों को साथ लेकर नहीं चलने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी आजसू जैसी अलांयस पार्टर्स को साथ लेकर चलती तो झारखंड में परिणाम कुछ और होते। उन्होंने बीजेपी की हार के लिए गठबंधन न होने को मुख्य वजह माना। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि बीजेपी ने बिहार में चेहरा बदलने की मांग की है। कई बार सुशील कुमार मोदी को चेहरा बनाने की भी मांग हो चुकी है।