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बिहार: चमकी बुखार से 152 बच्चों की मौत, प्राइवेट अस्पताल के उद्धाटन में व्यस्त मंगल पांडे

चमकी बुखार से बिहार में हाहाकार है. यहां पर बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. राज्य में अब तक 152 बच्चों की मौत हो चुकी है. अकेले मुजफ्फरपुर में 130 बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के लिए लगता है शोक भी मायने नहीं रखता है. एक ओर सरकारी अस्पताल में बच्चों की मौत हो रही है तो वहीं बिहार सरकार में मंत्री मंगल पांडे रविवार को राजधानी पटना में निजी नर्सिंग होम के उद्धाटन में व्यस्त रहे.

बच्चों की मौत पर चर्चा के बीच क्रिकेट मैच का स्कोर पूछकर विवादों में आए मंगल पांडे रविवार को एक निजी नर्सिंग होम के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचे और उन्होंने इस दौरान उस नर्सिंग होम की जमकर तारीफ की. नर्सिंग होम के उद्घाटन का कार्यक्रम एक आलीशान होटल में रखा गया था. इस दौरान मंगल पांडे ने कहा कि मैंने खुद देखा नर्सिंग होम में सारे इंतजाम हैं.

मंगल पांडे के साथ बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय चौधरी भी मौजूद थे. उन्होंने भी निजी अस्पताल को बिहार के सरकारी अस्पताल से बेहतर बताया. विजय चौधरी ने निजी अस्पताल को बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच से भी बेहतर बता दिया.

सरकारी अस्पताल का हाल जानने का समय नहीं

रविवार को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल (SKMCH) की छत का एक हिस्सा टूटकर गिर गया था. यहां के आईसीयू वार्ड में जाने वाले रास्ते पर अचानक छत का प्लास्टर टूट कर गिर पड़ा. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री की नजर इसपर नहीं गई. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को सरकारी अस्पतालों का हाल जानने की फुर्सत नहीं है. बता दें कि इस अस्पताल में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा है.

ऐसे मौके पर जब बिहार में चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की मौत का मातम है, तब मंगल पांडे और विजय चौधरी न केवल निजी अस्पताल के उद्घाटन में शामिल हुए बल्कि उस अस्पताल की तारीफों के पुल भी बांधने लगे.

कुछ दिन पहले चमकी बुखार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के साथ समीक्षा बैठक चल रही थी. 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी थी, लेकिन मंगल पांडे क्रिकेट मैच का स्कोर पूछ रहे थे. इन्हें मासूमों की मौत के बाद मुजफ्फरपुर पहुंचने में पांच दिन लग गए थे. लेकिन निजी अस्पताल के उद्घाटन में बिल्कुल सही समय पर पहुंच गए.

यही नहीं इन्हें सरकारी अस्पतालों में झांकने की भले ही फुर्सत नहीं मिली लेकिन निजी अस्पताल की एक-एक चीज का इन्होंने बारीकी से जायजा लिया.

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