नई दिल्ली। मौद्रिक नीति के ऐलान से पहले रिजर्व बैंक ने एक बड़ा ऐलान किया है। बैंक के शीर्ष अधिकारियों ने नए बैंकों को फिलहाल लाइसेंस नहीं जारी करने का फैसला लिया है। सूत्रों के अनुसार, अगले 2-3 सालों तक नए बैंकों को लाइसेंस जारी नहीं करने पर सहमति बनी है।
जानकारी के मुताबिक, रिजर्व बैंक के बोर्ड ऑफ फाइनेंशियल सुपरविजन में यह फैसला किया गया है। बैंक के टॉप मैनेजमेंट ने सैद्धांतिक तौर पर नए लाइसेंस नहीं दिए जाने का फैसला किया है। उम्मीद की जा रही है कि फाइनेंशियल सुपरविजन बोर्ड ने बैंकों की वर्तमान हालत को देखते हुए यह फैसला लिया है। नए लाइसेंस प्राप्त बैंकों की हालत देखने के बाद आरबीआई इस दिशा में सोचने के लिए मजबूर हो गया।
बता दें, जब रघुराम राजन रिजर्व बैंक के गवर्नर थे, तब उन्होंने ऑन टैप का नियम लाया था। इसके तहत कभी भी बैंकों को लाइसेंस जारी करने की नीति अपनाई गई। नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कॉरपोरेशन और बैंक मर्जर को लेकर सेंट्रल बैंक केस-टू-केस बेस पर फैसला लेगा। बता दें कि आईडीएफसी बैंक, बंधन बैंक को 2015 में फुल बैंक का लाइसेंस मिला था। आईडीएफसी बैंक का आखिरकार कैपिटल फर्स्ट के साथ मर्जर करना पड़ा।