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भिंड लोकसभा सीट: BJP का मजबूत किला, विजयाराजे सिंधिया रह चुकी हैं यहां की MP

मध्य प्रदेश की भिंड लोकसभा सीट बीजेपी के मजबूत किले में से एक है. इस सीट पर कभी विजयाराजे सिंधिया चुनाव जीत चुकी हैं, तो वहीं उनकी बेटी और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी इस सीट पर किस्मत आजमा चुकी हैं. 1984 के चुनाव में वसुंधरा राजे ने यहां से चुनाव लड़ा था, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा था. फिलहास इस सीट पर पिछले 8 चुनाव से बीजेपी का ही कब्जा है. कांग्रेस को इस सीट पर सिर्फ 3 बार जीत नसीब हुई है. भिंड के पहले IAS अफसर डॉ. भागीरथ प्रसाद यहां के सांसद हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

भिंड में पहला लोकसभा चुनाव साल 1962 में हुआ था. इस चुनाव में यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित थी. यहां पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के सूरज प्रसाद ने जीत हासिल की थी.परिसीमन के बाद 1967 में यह सीट सामान्य हो गई. जनसंघ के वाई.एस कुशवाहा ने यहां पर विजय हासिल की.

इस सीट पर राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया की मां विजयाराजे सिंधिया चुनाव जीत चुकी हैं. 1971 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के नरसिंह राव दीक्षित को हराया था. यहां पर पहले चुनाव में जीत हासिल करने बाद कांग्रेस को लगातार हार मिली. लेकिन 1980 में उसने एक बार फिर  वापसी की और कालीचरण शर्मा ने जीत हासिल की. 1984 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट से वसुंधरा राजे सिंधिया को उतारा. हालांकि उनको कृष्णा सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

1989 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से उम्मीदवार बदल दिया. बीजेपी ने इस बार नरसिंह राव दीक्षित को मौका दिया और उन्होंने पार्टी को निराश नहीं किया और जीत हासिल की. ये बीजेपी की यहां पर पहली जीत थी. इसके अगले चुनाव 1991 में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदला और योगानंद सारस्वती को टिकट दिया. उन्होंने कांग्रेस के उदयान शर्मा को हराया.1996 के चुनाव में बीजेपी फिर यहां से उम्मीदवार बदला और रामलखन सिंह को मैदान में उतारा. उन्होंने पार्टी के फैसले को सही साबित किया और यहां के सांसद बने. वह 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में भी जीत हासिल किए.

2009 में परिसीमन के बाद यह सीट एक बार फिर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई. हालांकि इसका असर बीजेपी पर नहीं पड़ा. 1996 से जीत का जो सिलसिला बना हुआ था वह 2009 के चुनाव में भी जारी रहा. 2009 के चुनाव में भी बीजेपी के अशोक अर्गल ने जीत हासिल की. उन्होंने तब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े डॉ. भागीरथ प्रसाद को हराया था.

2014 के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ चुके डॉ. भागीरथ प्रसाद को उतारा. 2009 में हारने के बाद डॉ. भागीरथ प्रसाद को यहां पर मोदी लहर में जीत मिली. उन्होंने कांग्रेस की इमरती देवी को हराया. भिंड लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. यहां पर अटेर, भिंड, लहार, मेहगांव, गोहद, सेवढ़ा, भाण्डेर, दतिया विधानसभा सीटें हैं.

इन 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस, 2 पर बीजेपी और 1 पर बसपा का कब्जा है. यहां के राजनीतिक इतिहास को देखें तो बीजेपी ने यहां पर सबसे ज्यादा जीत हासिल की है. बीजेपी को यहां पर 8 चुनावों में और कांग्रेस को सिर्फ 3 चुनावों में जीत मिली. ऐसे में यह सीट बीजेपी के दबदबे वाली सीट है.

2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में बीजेपी की ओर से मैदान में उतरने वाले भागीरथ प्रसाद को इस बार जीत मिली और वे सांसद बने. डॉ. भागीरथ प्रसाद को 404474(55.48 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं इमरती देवी को 244513(33.54 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 159961 वोटों का था. वहीं बसपा 4.64 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.

इससे पहले 2009 के चुनाव में भी यहां पर बीजेपी को जीत मिली थी और अशोक अर्गल सांसद बने थे. उन्होंने तब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े डॉ. भागीरथ प्रसाद को हराया था. अशोक अर्गल को जहां 227376(43.41 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं भागीरथ प्रसाद को 208479(39.8 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर का 18897 वोटों का था. बसपा 11.61 फीसदी वोटों के साथ इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी.

सामाजिक ताना-बाना

भिंड अपनी कलात्‍मक सौन्दर्य और वास्‍तु सुंदरता के लिए जाना जाता है. यह शहर चंबल नदी के बीहड़ के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां कुछ समय पहले तक डाकुओं का राज़ रहा. 2011 की जनगणना के मुताबिक भिंड की जनसंख्या 2489759 है. यहां की 75.3 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 24.7 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. भिंड में 23.1 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है और .85 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है.

चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 में भिंड लोकसभा सीट पर 1598169 मतदाता थे. यहां पर 890851 पुरूष और 707318 महिला मतदाता थे. 2014 के चुनाव में इस सीट पर 45.62 फीसदी वोटिंग हुई थी.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

71 साल के डॉ. भागीरथ प्रसाद मध्‍य प्रदेश के 1975 बैच के आईएएस रहे हैं. प्रसाद नौकरी के बाद 2 साल तक इंदौर के देवी अहिल्‍या विश्‍वविद्यालय के कुलपति भी रहे. पहली बार उन्होंने 2009 में भिंड से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. वहीं अगर संसद में उनके प्रदर्शन की बात करें तो डॉ.भागीरथ प्रसाद की उपस्थिति 85 फीसदी रही.

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