नई दिल्ली:
अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में मध्यथता के जरिए समझौता चाहता है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा है कि मध्यथता के विकल्पों को आठ हफ्ते के भीतर तलाशा जाए, जो पूरी तरह गोपनीय हो और उस पर मीडिया में बहस न हो. सुप्रीम कोर्ट पांच मार्च को मध्यथता को लेकर आदेश जारी करेगा कि ये संभव है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने अनुवाद की जांच के लिए आठ हफ्ते का वक्त दिया है. आठ हफ्ते के बाद इस मामले की सुनवाई होगी.
उधऱ, हिंदू पक्षकारों ने मध्यथता के जरिए समझौते का विरोध किया है. कहा कि पहले भी शंकराचार्य कोशिश कर चुके हैं, मगर बात नहीं बन सकी. जबकि मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वे जनहित में इसके लिए तैयार हैं. अयोध्या राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों के संविधान पीठ की सुनवाई की. सुनवाई करने वाली संविधान पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोष भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर हैं.
केस में सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल की रिपोर्ट दाखिल हुई. स्टेटस रिपोर्ट पर चार रजिस्ट्रार के दस्तखत हैं. रिपोर्ट में अनुवाद किए गए दस्तावेजों का ब्यौरा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुवाद का काम कर लिया है. इस पर किसी को कोई आपत्ति नही होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार के अनुवाद पर किसी को कोई आपत्ति तो नही ?