असम के गोवालपारा जिले के माटिया में पहले डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) का निर्माण कार्य चल रहा है. इस सेंटर का करीब 65% हिस्सा अब तक पूरा हो चुका है. ये डिटेंशन सेंटर करीब 46 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है. इस सेंटर में 3,000 लोगों को रखा जा सकेगा. सेंटर का निर्माण कार्य दिसंबर 2018 में शुरु हुआ था. अभी निर्माण कार्य निर्धारित समयसीमा से पीछे चल रहा है. सेंटर का निर्माण कार्य अगले साल ही पूरा हो सकेगा.
डिटेंशन सेंटर में बनेगीं इमारतें
डिटेंशन सेंटर में बनेगी 4-4 मंजिल की 15 इमारतें. इनमें से 13 पुरुषों के लिए और 2 महिलाओं के लिए होंगी. असम में अभी तक छह ज़िला जेलों से डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं. ये जेल डिब्रूगढ़, सिलचर, तेज़पुर, जोरहाट, कोकराझार और गोवालापारा में स्थित हैं. इन जेलों के डिटेंशन सेंटरों में मौजूदा समय में पिछले कुछ वर्षों में लाए गए 800 लोग रह रहे हैं.
ज़िला जेलों में डिटेंशन सेंटर खोलने का फैसला 2009 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लिया था. ये ऐसा किया गया था कि घोषित विदेशियों को ‘लापता’ क़रार देने की स्थिति से बचा जा सके. दिलचस्प है कि यूपीए सरकार ने ये फैसला जब लिया था तब पी चिदम्बरम देश के गृह मंत्री थे. तब असम में भी तरुण गोगोई के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ही सत्ता में थी.
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर अमल
डिटेंशन सेंटर की पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर अमल में लाई गई. जिसमें भारतीय जमीन पर विदेशियों के तौर पर पहचाने गए लोगों को सारी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएं.
डिटेंशन सेंटरों में जिन लोगों को रखा जाएगा, उन्हें तीन साल हिरासत में रखने के बाद रिहा किया जाएगा. साथ ही उन्हें बॉन्ड भर कर देना होगा कि हर हफ्ते नजदीक के थाने में रिपोर्ट करेंगे और अच्छे आचरण का रिकॉर्ड रखेंगे.
सरकार के मुताबिक, असम में काम कर रहे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ने 1985 से अक्टूबर 2019 तक करीब 1.29 लाख लोगों को विदेशी घोषित किया. मार्च 2018 तक इनमें से 72,486 लोग ‘लापता’ थे. केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि असम के 6 डिटेंशन सेंटर्स में 988 लोग मौजूद हैं. इनमें से 823 को फॉरनर्स ट्रिब्यूनल की ओर से विदेशी घोषित किया जा चुका है. इनमें से 28 लोगों की मौत या तो हिरासत में या अस्पतालों में 2016 से अक्टूबर 2019 के बीच मौत हो चुकी है.