पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के रुझान जहां एनडीए के लिए चिंताजनक हैं, वहीं विपक्ष को ये मजबूती प्रदान करेंगे। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले आए इनके खास मायने हैं, क्योंकि इसके बाद बीच में कोई चुनाव नहीं है, सीधे मई 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी है।
भाजपा की 62 सीटें दांव पर
जिन पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव नतीजे आए हैं, वहां लोकसभा की कुल 83 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में इनमें से तीन चौथाई यानी 75 फीसदी 62 सीटें अकेले भाजपा ने जीत ली थी। इनमें से यदि तीन बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ की बात करें तो ये ऐसे राज्य थे जहां से 2014 के चुनावों में भाजपा को सबसे ज्यादा मजबूती मिली थी। राजस्थान में 25 में से 25, मध्य प्रदेश में 29 में से 27 तथा छत्तीसगढ़ में 11 में से दस सीटें भाजपा ने जीती थी।
कांग्रेस मजबूत हुई
विधानसभा चुनावों के अब तक जो रुझान आए हैं, वह दिखा रहे हैं कि इन तीनों राज्यों में कांग्रेस ने काफी सुधरा है। तीनों राज्यों में कांग्रेस सरकार बनाने की ओर भी अग्रसर है। इसलिए यह माना जाना स्वभावित है कि अगले लोकसभा चुनावों में इन तीन राज्यों में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मुद्दे अलग-अलग होते हैं और उसमें मतदाताओं की सोच भी अलग-अलग होती है। एक उदाहरण यह भी है कि 2003 में इन तीनों राज्यों में भाजपा ने चुनाव जीता था लेकिन 2004 का लोकसभा चुनाव वह हार गई थी। इसलिए यह कोई आखिरी पैरामीटर नहीं है। लेकिन फिर भी विधानसभा चुनावों के नतीजे भाजपा के लिए संकेत तो हैं।
यूपीए के साथ आ सकते हैं दल
चुनावों के नतीजों से पिछले कुछ समय से लगातार कमजोर पड़ रही कांग्रेस को संजीवनी मिलेगी। संभावना है कि कांग्रेस की इस बढ़त से लोकसभा चुनाव में कुछ और दल यूपीए के साथ आएं। अगले चुनावों के लिए क्षेत्रीय स्तर पर गठबंधन भी बढ़ सकता है। इसके फायदा यह है कि आम चुनावों के लिए छोटे दल कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट हो सकते हैं।
जनादेश किसके खिलाफ ?
दूसरी तरफ भाजपा के लिए ये नतीजे चिंताजनक हैं, उसे लोकसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति बनानी होगी। अब तक आए जनादेश के साथ इस बात पर भी बहस शुरू होने लगी है कि क्या यह जनादेश राज्य सरकारों के खिलाफ है या केंद्र सरकार के भी ? यहां दो बातें महत्वपूर्ण हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लंबे समय से भाजपा की सरकारें थी। इसलिए एक स्वभावित नाराजगी हो सकती है। लेकिन मध्य प्रदेश में भाजपा ने कड़ी टक्कर दी है। इसी प्रकार वसंधुरा राजे सरकार के प्रति जनता की भारी नाराजगी के बावजूद वहां भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अंतिम समय तक वहां ताकत लगाई जिससे भाजपा का प्रदर्शन अंतिम समय में काफी बेहतर हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ में भाजपा को ज्यादा नुकसान हुआ है। उसकी वजह बसपा और अजित जोगी की पार्टी के बीच हुआ गठबंधन माना जा रहा है। जिसने अंत में भाजपा को ही नुकसान पहुंचा दिया।