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अशोक-सचिन की जोड़ी पर मोदी फैक्टर के बीच 2018 का कमाल दोहराने का दबाव

हवामहल के बाहर अमेरिकी टूरिस्ट की दिलचस्पी राजस्थान की सतरंगी आबोहवा के साथ-साथ देश के चुनाव में भी है। एलेक्स सवालिया अंदाज में पूछते हैं— मोदी विल कम बैक अगेन? ही इज़ नो मैच इट सीम्स। एलेक्स के सवाल में उनका आकलन छिपा है। राजस्थान की जिन 12 सीटों के लिए दूसरे चरण में 6 मई को वोट डाले जाएंगे, वहां भी अंडर करंट यही है। राजस्थान में दूसरे चरण का सबसे रोचक मुकाबला नागौर में होगा। यहां राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के हनुमान बेनीवाल कांग्रेस की ज्योति मिर्धा के मुकाबले में हैं। भाजपा ने यह सीट रालोपा के लिए छोड़ी है। हालांकि, विधानसभा का प्रदर्शन कांग्रेस उम्मीदवार के साथ है। 8 विधानसभा सीटों में से छह पर कांग्रेस जीती थी। एक पर भाजपा और एक अन्य पर रालोपा के हनुमान बेनीवाल जीते थे।

जयपुर ग्रामीण सीट पर भाजपा के पूर्व ओलंपियन उम्मीदवार राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के जवाब में कांग्रेस ने दूसरी पूर्व ओलंपियन कृष्णा पूनिया को उतारा है। यहां चुनाव अगर मोदी फैक्टर से अलग हटकर जातीय गणित पर आया तो राठौड़ के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। हाल ही हुए विधानसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण की पांच सीटें कांग्रेस के हिस्से में गई थी। जयपुर शहर की सीट पर भाजपा ने फिर से रामचरण बोहरा को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने मुकाबले में ज्योति खंडेलवाल को उतारा है। मुकाबला भाजपा के पक्ष में दिखता है। दृष्टिहीन बच्चों का रंगमंच चलाने वाले बीबीसी के पूर्व प्रोड्यूसर 81 वर्षीय डा भारतरत्न भार्गव कहते हैं कि मोदी का नेतृत्व देश को 2019 में ही नहीं बल्कि 2024 में भी चाहिए। कांग्रेस ने खंडेलवाल प्रत्याशी को टिकट देकर भाजपा के परंगपरागत वोट बैंक में सेंध की तैयारी की है।

दौसा में कांग्रेस की सविता मीणा और भाजपा की जसकौर मीणा में जोरदार भिडंत है। दौसा की आठ विधानसभा सीटों में से भाजपा पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं निकाल पाई थी। कांग्रेस से राजेश पायलट लंबे समय तक इस सीट का प्रतिनिधितत्व करते थे। उनके निधन के बाद  पत्नी रमा पायलट 2000 में लोकसभा पहुंची थीं। उसके बाद से यह दूसरा मौका होगा जब  क्षेत्र का प्रतिनिधित्व महिला सांसद करेगी। भरतपुर की आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा 2018 के चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई थी। यहां भाजपा ने रंजीताकुमारी और कांग्रेस ने अभिजीत जाटव को टिकट दिया है।  अभिजीत को बैरवा, जाटव, गुर्जर और मीणा वोटों का साथ मिलने की उम्मीद है। पर बसपा ने सूरज जाटव को उतारकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

धौलपुर- करौली की सीट पर भाजपा ने सांसद मनोज राजोरिया पर ही दांव खेला है। कांग्रेस के संजय जाटव मैदान में हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों के बल पर संजय का पलड़ा भारी है। धौलपुर संसदीय क्षेत्र की आठ में छह सीटें कांग्रेस ने जीती थीं जबकि भाजपा एक सीट पर ही जीती थी। बीकानेर में भाजपा के दो बार के सांसद अर्जुन राम मेघवाल का मुकाबला कांग्रेस के मदनगोपाल मेघवाल से है। अर्जुन रिटायर्ड आईएएस हैं और उनसे मुकाबला करने आईपीएस से वीआरएस लेकर मदन गोपाल आए हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चार सीटें जीती थीं। कांग्रेस ने तीन।  श्रीगंगानगर  से भाजपा से सातवीं बार निहालचंद्र मैदान में हैं। कांग्रेस ने भरतलाल मेघवाल को मौका दिया है, वे  निहालचंद्र को 2009 में हरा चुके हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने चार -चार सीटें जीती थीं।

अलवर में भाजपा ने बाबा बालकनाथ को मैदान में उतारा है। उनके मुकाबले में कांग्रेस के जितेंद्र सिंह की स्थिति मजबूत दिखती है।  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन, भाजपा- बसपा ने दो—दो सीटें जीतीं थी, जबकि एक सीट निर्दलीय के पास गई। सीकर में भाजपा के सुमेधानंद का मुकाबला सुभाष महरिया से है। माकपा ने अंतरा राम को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। झुंझुनू में भाजपा ने नरेंद्र खीचड़ और कांग्रेस ने श्रवण कुमार पर दांव लगाया है। चूरू सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। भाजपा ने यहां राहुल कस्वा को उतारा है जबकि कांग्रेस ने रफीक मंडेलिया को। रफीक अकेले मुस्लिम हैं, जिन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया है। भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है।

सिर्फ एक चेहरा, एक मुद्दा: मोदी
राजस्थान में सबसे बड़ा फैक्टर अभी भी मोदी ही हैं। भाजपा के सभी प्रत्याशियों को मोदी फैक्टर का ही सहारा है। मोदी फैक्टर के बीच कांग्रेस पर 2018 दोहराने का दबाव है। दूसरी ओर अगर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहरा दिया तो भाजपा मुश्किल में आ सकती हैं। कहा जा रहा है कि चुनाव देश का है, ऐसे में मोदी फैक्टर और प्रभावी हो जाता है। शेखावाटी में सैनिक परिवार बहुत हैं। ऐसे में यहां एयर स्ट्राइक जैसे मुद्दों का असर दिखता है।

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