वॉशिंगटन
अमेरिकी वायु सेना के ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए बमबारी अभियान ने एक आश्चर्यजनक मोड़ लिया है. दरअसल, अमेरिकी वायु सेना के ऑपरेशन में शामिल एक बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर ऑपेशन के बाद अपने बेस पर वापस नहीं पहुंचा है. इसे लेकर अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.
27 जून को यूरेशियन टाइम्स की छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने 21 जून को मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से बी-2 बॉम्बर्स के दो अलग-अलग समूहों को रवाना किया था. बी-2 स्पिरिट बॉम्बर्स के एक समूह ने प्रशांत महासागर की ओर पश्चिम की दिशा में उड़ान भरी, जिसका मकसद ईरान के डिफेंस को चकमा देना था. वहीं बॉम्बर्स के दूसरे समूह में सात बी-2 स्पिरिट बॉम्बर शामिल थे. इन्होंने पूर्व दिशा में तेहरान के फोर्डो और नतांज स्थित अंडरग्राउंड परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने के लिए रवाना किया गया था.
37 घंटे के बाद मिशन पूरा कर लौटे थे बॉम्बर विमान
ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने गई टीम 37 घंटे की बिना रुके की गई राउंड ट्रिप के बाद अपना मिशन पूरा कर बेस पर वापस सुरक्षित लैंड कर गई. वहीं प्रशांत महासागर की ओर से ईरानी डिफेंस को चकमा देने के लिए उड़ान भरने वाले बॉम्बर समूह के बारे में अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
हालांकि, बाद में इस बात का खुलासा हुआ कि अमेरिकी बी-2 बॉम्बर के समूह से लापता हुआ विमान हवाई में किसी कारण से इमरजेंसी लैंडिंग को मजबूर हो गया. उल्लेखनीय है कि यह स्टील्थ बॉम्बर डैनियल के. इनौये इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड हुआ, यह एयरपोर्ट होनोलूलू में हिकम एयरफोर्स बेस के साथ रनवे शेयर करता हैं.
जानिए क्या हुआ था उस दिन
मिशन के तहत दो ग्रुप बनाए गए थे. दोनों ने उड़ान भरी मिसौरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से. एक ग्रुप पश्चिम की ओर गया, यानी प्रशांत महासागर की दिशा में. मकसद था – ईरान को गुमराह करना. दूसरा ग्रुप, जिसमें सात B-2 बॉम्बर थे, सीधे ईरान की ओर बढ़ा.
उनका टारगेट था ईरान के न्यूक्लियर फैसिलिटी – फोर्डो और नतांज. साथ में फ्यूल टैंकर और फाइटर जेट्स भी थे. इन जेट्स ने अपनी-अपनी जगह से मिसाइलें दागीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन B-2 बॉम्बर्स ने कुल 14 GBU-57 बंकर बस्टर बम गिराए.
सातों बॉम्बर 37 घंटे बाद सुरक्षित लौट आए. लेकिन इस बीच पश्चिम की ओर भेजे गए डिकॉय ग्रुप का एक B-2 बॉम्बर अब तक नहीं लौटा.
लापता बॉम्बर को लेकर क्या पता चला है?
खबर है कि यह बॉम्बर उड़ान के दौरान इमरजेंसी में फंस गया था. इसे हवाई के डेनियल K इनोए इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतारा गया. यही रनवे हिकम एयर फोर्स बेस के साथ साझा किया जाता है. इस बॉम्बर का कॉलसाइन था – ‘MYTEE’. लैंडिंग के बाद से यह वहीं खड़ा है. इसकी मरम्मत या वापसी को लेकर कोई अपडेट अब तक नहीं आया है.
इस लैंडिंग का एक वीडियो भी वायरल है, जिसे पूर्व अमेरिकी एयरफोर्स पायलट डेविड मार्टिन ने शेयर किया है. हालांकि, अमेरिकी वायुसेना ने अब तक इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साध रखी है. न कोई बयान, न कोई स्पष्टीकरण.
पहले भी दिक्कत में रहे हैं B-2 बॉम्बर
B-2 बॉम्बर टेक्नोलॉजी का चमत्कार माना जाता है. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इन्हें तकनीकी संकट झेलना पड़ा हो. अप्रैल 2023 में भी एक B-2 को हवाई में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी. 2022 में तो पूरे B-2 फ्लीट को ग्राउंड कर दिया गया था, जब एक बॉम्बर मिसौरी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. 2008 में सबसे गंभीर हादसा हुआ था. ‘स्पिरिट ऑफ कंसास’ नाम का B-2 उड़ान भरते ही गुआम में क्रैश हो गया. हालांकि पायलट बच गए थे.
B-2 बॉम्बर की खासियत क्या है?
B-2 अमेरिका का सबसे महंगा और हाईटेक बॉम्बर है. एक यूनिट की कीमत है दो अरब डॉलर. इसका मुख्य रोल है – दुश्मन की परमाणु और अंडरग्राउंड फैसिलिटी को बर्बाद करना. अमेरिका के पास सिर्फ 19 B-2 बॉम्बर हैं. यानी, हर एक का नुकसान अमेरिका की ताकत में बड़ी सेंध है.
ईरान की प्रतिक्रिया क्या रही?
ईरान ने दावा किया है कि उनके न्यूक्लियर साइट्स को कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ. वहीं अमेरिका कहता है कि यह हमला पूरी तरह सफल था और ईरान का परमाणु प्रोग्राम पीछे चला गया. लेकिन लापता बॉम्बर की गूंज अब वॉशिंगटन से लेकर तेहरान तक सुनाई दे रही है. क्या यह तकनीकी फेलियर था? क्या ईरान ने जवाबी हमला किया? या फिर अमेरिका कुछ छुपा रहा है?