– सलोनी शर्मा, छात्रा – माखनलाल नेशनल यूनिवर्सिटी, भोपाल
जब भी हम भारत की आज़ादी के बारे में किसी से सुनते है, चर्चा करते हैं या इसके बारे में पढ़ते हैं तो ऐसा महसूस होता है जैसे मानो यह चंद दिनों पहले की ही बात है और हम आज़ादी को पूरे जोश के साथ स्वयं में महसूस कर जीने लगते हैं। इस आज़ादी को हासिल करने के लिए लगभग 20 लाख लोगों को क़ुरबानी देनी पड़ी और लगभग 2 करोड़ लोग बेघर हुए तब जाकर हमारा देश ब्रिटिश राज से आज़ाद हुआ। 15 अगस्त 2022 को भारत की आज़ादी की 75th वर्षगाँठ होने पर हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।
अमृत महोत्सव के इस उत्सव पर भारत सरकार व अनेक राज्य सरकारों द्वारा कई योजनाओं को प्रारम्भ किया जा रहा है जैसे कि हर घर तिरंगा अभियान जिसमें भारत के आम नागरिकों से यह निवेदन है कि वे अपने-अपने घरों व दफ्तरों में तिरंगा फहरायें एवं अपने सोशल मीडिया अकॉउंट पर डिस्प्ले प्रोफाइल में राष्ट्रीय ध्वज का चित्र लगाएँ। इसके अलावा आज़ादी के अमृत महोत्सव के चलते और भी जन कल्याणकारी योजनाओं को शुरू किया जा रहा है, उनमे से कुछ प्रमुख योजनाएं यह हैं जैसे कि स्माइल-75 स्कीम जिसमें भारत के 75 नगर पालिका / नगर निगम चिन्हित किए गए हैं जो गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर कल्याणकारी उपायों पर काम करेंगे जिससे कि वो लोग जो भीख माँगने पर मजबूर हैं उन्हें व्यापक पुनर्वास दिलाया जा सके तथा उन्हें शिक्षा, कौशल विकास और स्वास्थ्य सम्बन्धी बेहतर सुविधाएँ प्रदान करवाई जा सकें। आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर, अमृत सरोवर मिशन भी प्रस्तुत किया जा रहा है जिसका उद्देश्य पानी का संरक्षण और हर जिले के जल निकायों का विकास करना है।
इन 75 सालों में हमने बहुत कुछ हासिल किया है: आज भारत देश की तीसरी सबसे बड़ी (चीन एवं अमेरिका के बाद) अर्थव्यवस्था है, वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के द्वारा बताया गया है कि भारत की अपेक्षित जीवन प्रत्याशा सन 1947 में 32 वर्ष हुआ करती थी और यह अब बढ़कर 70 वर्ष हो गयी है; सन 1921 से लेकर सन 2011 तक भारत ने साक्षरता दर में 8% से 74.04% तक का सफ़र तय किया, वर्ष 1994 में, पूरी दुनिया के 60% यानी आधे से ज़्यादा पोलीओ के मरीज़ भारत में थे। सन 2014 यानी केवल 2 दशक में ही भारत को “पोलियो फ़्री सर्टिफ़िकेट” से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सराहा गया। स्वतंत्रता की जंग जीत लेने के बाद भारत ने अपने रक्षा विभाग को बेहद मज़बूती दी है। वर्तमान में भारत दुनिया में दूसरा सबसे विशाल मिलिटेरी फ़ोर्स वाला देश है और पूरी दुनिया की सबसे विशाल स्वैच्छिक सेना भी यहीं है।
भारत की शिक्षा के विकास पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु सर फ़िलिप हार्टोग के नेतृत्व में 1929 ई. में एक समिति का गठन किया गया जिसमे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी। हर्टोग कमीशन द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता पर बताया गया था कि भारत में साक्षरता की संख्या पर ज्यादा ध्यान दिया गया है जबकि शिक्षा में गुणवत्ता पर अपेक्षागत ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आज जबकि इतनी ऊंचाइयों को हासिल करने के बाद भी हम हार्टोग कमिशन के उन तथ्यों को नहीं नकार सकते हैं जो 1929 में ही बताए गए थे। आज भी हमारी कमज़ोर शिक्षा प्रणाली के कारण बहुसंख्य छात्र, छात्राएँ जोड़ घटाव नहीं कर पा रहे लेकिन फिर भी परीक्षा को पास करके आगे की कक्षा में पहुँच रहे हैं।
यह बात काफी चौंका देने वाली है कि हमारी भारतीय संस्कृति के साथ कैसे खिलवाड़ हुआ और हमारे इंडियन कल्चर को पूरी तरह नष्ट करने की नीव डाली गई। लॉर्ड मैकाले की 1835 के ब्रिटिश पार्लियामेंट में बातचीत के दौरान यह सामने आया कि कैसे लॉर्ड मैकाले लोगों के अंदर भ्रम पैदा करना चाहते थे कि उनका ब्रिटिश कल्चर भारतीय कल्चर से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस भाषण के दौरान कहा कि “यदि भारत अपनी शिक्षा नीति और कल्चर को बदल ले जिससे उन्हें लगे कि इंग्लिश कल्चर हमारे अपने देश के कल्चर से ज़्यादा श्रेष्ठ है, तभी हम इस देश पर लम्बे समय तक राज कर सकते हैं। क्योंकि भारतीय अपने आत्मसम्मान और नैतिक मूल्यों को सबसे अधिक प्राथमिकता देते हैं, हम अपनी शिक्षा नीति के माध्यम से ही भारत को एक डॉमिनेटिड नेशन बना सकेंगे।” गौरतलब है कि लॉर्ड मैकाले की यह इच्छा कहीं न कहीं अब पूरी होती नज़र आ रही है और हम भारतीय अपने आत्मसम्मान और अस्तित्व को भूल कर पश्चिमीकरण की अंधी दौड़ का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
इस बात को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि आज भी भारत की 28% आबादी या 364 मिलियन लोग गरीबी रेखा के नीचे व 44% बच्चे कुपोषित हैं। हमें शिक्षा और स्वास्थ्य से लेकर त्वरित न्याय, मीडिया संस्थानों में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार को समाप्त करने, अतिक्रमण, कचरा प्रबंधन, सभी शहरों में सीवर लाइन जैसे अनेक क्षेत्रों में अभी बहुत कुछ काम करना है।
इस सबके वाबजूद भी हम पिछले कुछ सालों में बहुत ऊंचे मुकामों पर पहुंचे हैं जैसे कि इंफ्रास्ट्रक्चर, जलवायु में सुधार, सोलर एनर्जी का इस्तेमाल, स्वास्थ्य सेवाएं, रियल एस्टेट, बिजली आपूर्ति आदि, परन्तु हम अब भी गरीबी को मिटाने में काफी पिछले स्थान पर हैं। राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 में भारत 100 में से 66th स्थान पर था जिस पर हमें अब आगे विस्तृत रूप से काम करना होगा। भारत एक होने के बावजूद दो देशों में बंटा हुआ है – एक अमीरों का जो सभी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं और दूसरा वो लोग जो गरीब हैं जिन्हें बुनियादी सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिल पाता। अब हमें अगले 25 सालों में बहुत कुछ हासिल करना है और ऊँचे मुक़ाम तक पहुँचना है जिसके लिए हमें कुछ चीजों पर विशेष रूप से काम करना होगा जैसे की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, 50% युवा आबादी को स्किलज़ सिखाना, सामाजिक न्याय, इत्यादि।
तो फिर आइये हम आज़ादी के अमृत महोत्सव पर एक संकल्प लें कि हम अपनी संस्कृति को बढ़ावा देते हुए जिस भी क्षेत्र में रहें एवं जिस योग्यता के साथ रहें, अपने देश की बेहतरी के लिए आज से ही और पूरी ईमानदारी से अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।