केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक पेश कर दिया है. उन्होंने सबसे पहले सदन में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा था जो दो जुलाई 2019 को पूरा हो रहा है. गृहमंत्री ने सदन से अनुरोध किया कि इस अवधि को छह माह के लिए और बढ़ाया जाए.
– शाह ने कहा कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा किए गए सर्जिकल एवं एयर स्ट्राइक में कोई भी नागरिक नहीं मारा गया. उनकी सरकार ने आतंकवाद से निपटने के दृष्टिकोण को बदल दिया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार ने हवाई हमले और सर्जिकल स्ट्राइक किए. जनता के सामने यह रिकॉर्ड स्पष्ट होना चाहिए. इन हमलों में कोई भी नागरिक नहीं मारा गया.’ उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने भी आतंकवाद पर काम किया लेकिन तरीके अलग थे.
– शाह ने कहा कि चुनाव में हमने खून की नदियां बहती देखी है. लेकिन कश्मीर में पंचायत और लोकसभा चुनाव शांति के माहौल में संपन्न हुए. आपका और हमारा नजरिया अगल है, इसलिए आपको नियमंत्रण की स्थिति पसंद नहीं आती.
– अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में धारा 370 अस्थाई तौर पर लगाई गई है और यह स्थाई नहीं है. ऐसा शेख अब्दुल्ला साहब की सहमति से किया गया है. कश्मीर को लेकर हमारी अप्रोच को लेकर कोई बदलाव नहीं हुआ है. जो पहले था, वहीं आगे भी रहेगा.
– शाह ने कहा कि दोनों बिल जम्मू कश्मीर की जनता की भलाई के लिए है. इन्हें सदन में पारित कराना चाहिए. विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में काफी अंतर होता है. इस हालात में वहां पर सुरक्षा मुहैया करा पाना मुमकिन नहीं था. इसलिए जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव नहीं कराए गए.
– अतिम शाह ने कहा कि कश्मीरियत खून बहाने में नहीं है. कश्मीरियत देश का विरोध करने में नहीं है. कश्मीरियत देश के साथ जुड़े रहने में है. कश्मीरियत कश्मीर की भलाई में है. कश्मीर की संस्कृति को बचाने में है.
– जहां तक जम्हूरियत की बात है तो जब चुनाव आयोग कहेगा तो तब शांति पूर्ण तरीके से चुनाव कराए जाएंगे. आज वर्षों बाद ग्राम पंचायतों का विकास चुनकर आए पंच और सरपंच कर रहे हैं, ये जम्हूरियत है.
– हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति पर चल रहे हैं. 70 साल बाद जम्मू कश्मीर की माताओं को टॉयलेट, गैस का कनेक्शन और घर दिया है. वहां के लोगों को सुरक्षा दी है, ये इंसानियात है.
– अमित शाह ने कहा कि जिनके मन में जम्मू कश्मीर में आग लगाने की मंशा है, कश्मीर को भारत से अलग करने की कोशिश करने की मंशा है, अलगाववाद खड़ा करने की मंशा है उनके लिए मैं कहना चाहता हूं कि हां उनके मन में अब भय है, रहेगा और आगे ज्यादा बढ़ेगा.
– जम्मू कश्मीर की जनता का कल्याण हमारी प्राथमिकता है. उन्हें ज्यादा भी देना पड़ा तो दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने बहुत दुख सहा है. कश्मीर की आवाम को विकास और खुशी देने के लिए हमारी सरकार ने ढेर सारे कदम उठाए हैं.
– हम कश्मीर की आवाम की चिंता करने वाली सरकार हैं. आज तक पंचायतों को पंच और सरपंच चुनने का अधिकार ही नहीं दिया गया था. सिर्फ तीन ही परिवार इतने साल तक कश्मीर में शासन करते रहे. ग्राम पंचायत, नगर पंचायत सब का शासन वही करें और सरकार भी वही चलाएं. ऐसा क्यों होना चाहिए?
– शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की आवाम को हम अपना मानते हैं, उन्हें अपने गले लगाना चाहते हैं. लेकिन उसमें पहले से ही जो शंका का पर्दा डाला गया है, वो इसमें समस्या पैदा कर रहा है.
– इसकी जांच होनी चाहिए या नहीं, क्योंकि मुखर्जी जी विपक्ष के नेता थे, देश के और बंगाल के नेता थे. आज बंगाल अगर देश का हिस्सा है तो इसमें मुखर्जी जी का बहुत बड़ा योगदान है.
– 23 जून 1953 को जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर के संविधान का, परमिट प्रथा का और देश में दो प्रधानमंत्री का विरोध करते हुए जम्मू कश्मीर गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. वहां उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई.
– जम्मू कश्मीर की आवाम और भारत की आवाम के बीच एक खाई पैदा की गई. क्योंकि पहले से ही भरोसा बनाने की कोशिश ही नहीं की गई.
अमित शाह ने सदन को बताया कि रमजान और अमरनाथ यात्रा के बीच में आने के कारण चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव कराने में अभी असमर्थ है. चुनाव आयोग ने इस साल के अंत तक चुनाव कराने का फैसला किया है. कई दशकों से इन महीनों में चुनाव नहीं हुआ है. प्रस्ताव का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पीडीपी और बीजेपी की मिलीभगत के कारण ही हर 6 महीने में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाना पड़ रहा है. तिवारी ने कहा कि अगर आतंकवाद के खिलाफ आपकी कड़ी नीति है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे. हालांकि यह ध्यान रखने की भी जरूरत है कि आतंकवाद के खिलाफ तभी लड़ाई जीती जा सकती है जब आवाम आप के साथ हो.