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फांसी के बाद बिहार पहुंचा अक्षय का शव, नौ साल के बच्चे ने दी पिता को मुखाग्नि

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड के दोषी अक्षय ठाकुर को नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में शुक्रवार की सुबह फांसी दिए जाने के बाद शव का पोस्टमार्टम करा स्वजनों को सौंप दिया गया था। स्वजन उसका शव लेकर शनिवार की सुबह अपने गांव पहुंचे, जहां अक्षय ठाकुर नौ साल के बेटे ने उसे मुखाग्नि दी। उसका शव गांव पहुंचने के बाद गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया और उसके घर से चीत्कार गूंजती रही।

बता दें कि फांसी की सजा होने के एक दिन पहले अक्षय की पत्नी पुनीता कुमारी, भाई व अन्य स्वजन दिल्ली पहुंच चुके थे और फांसी होने के बाद जेल प्रशासन की ओर से उसके स्वजनों को शव सौंप दिया गया था। उसका शव लेकर स्वजन शुक्रवार को ही औरंगाबाद जिले के ठाकुर टंडवा थाना क्षेत्र के करमा लहंग गांव रवाना हो गए थे।

अक्षय के पिता सरयू सिंह के फूफा तोल गांव निवासी प्रभु सिंह ने बताया कि शव लेकर स्वजन दोपहर बाद दिल्ली से एंबुलेंस से गांव के लिए रवाना हो गए। उधर, फांसी की सजा से गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा और ग्रामीण अक्षय का शव घर पहुंचने का इंतजार करते रहे। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार उसका अंतिम संस्कार गांव में ही किया गया।

अक्षय के गांव में नहीं जले चूल्हे

शुक्रवार की सुबह दिल्‍ली की तिहाड़ जेल में निर्भया दुष्कर्म के दोषी चार लोगों में शामिल बिहार के अक्षय ठाकुर को फांसी पर लटकाए जाने के बाद उसके गांव औरंगाबाद के करमा लहंग में मातमी सन्नाटा पसरा रहा। वहां रात में चूल्‍हे भी खामोश रहे।

बता दें कि बीते 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्‍ली में एक फिजियोथिरेपिस्‍ट युवती निर्भया (काल्‍पनिक नाम) के साथ चलती बस में सामूहिक दुष्‍कर्म किया गया था। घटना के दौरान उसके साथ जबरदस्‍त दरिंदगी भी की गई थी। इसे निर्भया नहीं झेल पायी। इलाज के दौरान सिंगापुर में उसकी मौत हो गई।

घटना के बाद जबरदस्‍त जनाक्रोश फूट पड़ा। पुलिस ने कांड के छह आरोपितों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक नाबलिग कुछ सालों की सजा काटकर छूट गया तो एक आरोपित ने तिहाड़ जेल में आत्‍महत्‍या कर ली। दोषी पाए गए शेष चार को 20 मार्च की सुबह मौत की सजा दे दी गई। इनमें बिहार कके औरंगाबाद का मूल निवासी अक्षय ठाकुर भी शामिल था।

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