लखनऊ:
इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने को लेकर बीजेपी सरकार को विपक्ष की कड़ी नाराजगी झेलनी पड़ रही है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस पर अपनी सख्त नाराजगी जताई है. अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया है और इसे आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है.
उन्होंने लिखा,”राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं. इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.”
राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं. इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.
कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, ”बीजेपी सरकार काम कोई नहीं करती है बस नाम बदलने पर भरोसा रखती है. इलाहाबाद का एक इतिहास, सभ्यता और प्रशासनिक वजूद रहा है उसको ख़त्म किया जा रहा है. हम लोगों को उसकी गरिमा को कम होने से रोकना चाहिए.”
प्रमोद तिवारी ने कहा कि इलाहाबाद का नाम बदलकर योगी सरकार क्या करना चाहती है ये तो वो ही जानें. मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि वो नाम बदलने से पहले इलाहाबाद की खोई हुई राजनीतिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक गरिमा है उसे वापस कर दें.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इलाहाबाद का नाम प्रयागराज होगा. मुख्यमंत्री ने कहा था कि संत लगातार इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग करने की मांग उठा रहे थे. कुंभ मार्गदर्शक मंडल की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा.
बैठक की अध्यक्षता कर रहे राज्यपाल रामनाईक ने भी इस पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा कि जहां दो नदियों का संगम होता है, उसे प्रयाग कहा जाता है. उत्तराखंड में देवप्रयाग, कर्णप्रयाग और विष्णुप्रयाग हैं.
इलाहाबाद में देवभूमि से निकलने वाली दो पवित्र नदियों का संगम है, इसलिए इसे प्रयागराज कहा जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही औपचारिकताएं पूरी कर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर देगी.