आम सभा, भोपाल। देश में कृषि सुधार के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा कृषि विधेयक लाया गया है जो किसानों को मजबूती देने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि अन्नदाता किसान अपनी फसल को ऊंचे दामों पर बेचने के लिए स्वतंत्र होगा। दूसरी बात कि बिचौलियों से किसानों को मुक्ति मिलेगी। ऐसे में विपक्षी दलों का अनावश्यक शोर-शराबा करना न सिर्फ उनकी किसान विरोधी मानसिकता है बल्कि मुद्दों के अभाव में आम आदमी के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की नाकाम कोशिश भी दिखायी देती है। अभी संसद से जो कृषि विधेयक पारित किए गए हैं उनके बारे में प्रमुख विपक्षी दल भ्रम फैला रहे हैं कि वह किसान विरोधी हैं। विपक्षी दलों का यह आरोप बिल्कुल गलत है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से बड़ा किसान हितैषी कोई आज तक हुआ ही नहीं। न भूतो न भविष्यति। मैं तो स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूँ कि यह तीनों विधेयक देश भर के किसानों की आमदनी दोगुना करने में सहायक होंगे। इस विधेयक के लागू होने से किसानों को अपनी फसल बेचने की आजादी और आत्मनिर्भर होने की दिशा में सहयोग मिलेगा। हमारे देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है। ऐसे में हर हाल में हमें किसानों के लिए इसी प्रकार के प्रयास करने होंगे ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके। यह तभी संभव होगा जब वे अपनी फसल को अपनी मर्जी के अनुरूप बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे।
मुझे याद है कि 2004 से 2014 तक केन्द्र में यूपीए की सरकार थी और 2006 के दौरान स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आयी थी, लेकिन 2014 तक उसे लागू नहीं किया गया। किसानों के हक में आयोग ने सिफारिश की थी कि फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना कर दिया जाये। अब वही कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने एमएसपी की दरों में वृद्धि करते हुए किसानों को अपनी फसल बेचने की आजादी दी है तब वे विरोध करने पर आमादा है। दरअसल विपक्षी दलों की मानसिकता किसानों के हित में कभी रही नहीं। यही कारण है कि जब मोदी जी इस प्रकार के फैसले लेते हैं तब उनके पेट में दर्द शुरू हो जाता है। राफेल के मामले में औंधे मुंह गिर चुकी कांग्रेस एक बार फिर उसी राह पर आगे बढ़ती हुई दिख रही है।
मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूँ कि कृषि विधेयक को लेकर विपक्षी दल केवल झूठ और भ्रम फैलाने में लगे हुए है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य न देने के लिए कृषि बिल को साजिश बताने वालों को यह सच स्वीकार करना चाहिए कि इस बिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना देना नहीं है। किसानों को समर्थन मूल्य मिलता रहा है और मिलता रहेगा। जो लोग कह रहे हैं कि मंडियां बंद हो जायेगी उन्हें जानना चाहिए कि मंडी व्यवरथा पहले की तरह जारी रहेगी। यह बिल किसान विरोधी नहीं बल्कि किसान हितैषी है। ‘वन नेशन-वन मार्केट’ से अब किसान अपनी फसल कहीं भी किसी को भी बेच सकता है। किसी पर निर्भर होने के बदले किसी बड़ी खाद्य उत्पादन कंपनी के साथ पार्टनर की तरह मुनाफा कमा सकता है।
यह भी आरोप झूठा है कि बड़ी कंपनियां कॉन्ट्रेक्ट के जरिये किसानों का शोषण करेंगी, बल्कि करार के तहत किसानों को निर्धारित दाम पाने की गारंटी मिलेगी। किसान करार से बंधा नहीं रहेगा। वह किसी भी मोड़ पर करार से बाहर निकलने के लिए स्वतंत्र होगा, वह भी बिना किसी पेनल्टी के। यह भी कहना गलत है कि किसान की जमीन पूंजीपतियों को दी जा रही है बल्कि सच यह है कि किसानों की जमीन की बिक्री, लीज और गिरवी रखना पूरी तरह निषिद्ध है ऐसे में साफ है कि करार फसलों का होगा न कि जमीन का। इस प्रकार के करार में बड़े कार्पोरेट को फायदा नहीं किसान को फायदा मिलेगा। कई राज्यों में किसान बड़े कार्पोरेट के साथ मिलकर गन्ने, कपास चाय और कॉफी का उत्पादन कर रहे हैं। ऐसे में छोटे किसानों को निश्चित ही फायदा मिलेगा और टैक्नॉलोजी तथा उपकरण का लाभ भी मिलेगा।
देश के किसानों को भारतीय जनता पार्टी पर भरोसा करना चाहिए। यदि मैं मध्यप्रदेश की बात करूं तो मध्यप्रदेश में 2003 से 2018 तक भाजपा की सरकार रही और हमने किसानों के हित में उनकी आय और उत्पादन को बढ़ाने, फसल का उचित मूल्य दिलाने, प्राकृतिक आपदा से सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्नत खाद-बीज, सिंचाई एवं बिजली की सुविधा इत्यादि प्रदान करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण और प्रभावी फैसले लिए थे। जिनसे किसानों में खुशहाली और समृद्धि आयी है। इसके अलावा मैंने शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर किसानों को ऋण उपलब्ध कराने जैसे फैसले लिये हैं।
मेरा लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश में हर हाल में खेती को लाभ का धंधा बनाया जायेगा। उस दिशा में हम काफी तेजी से आगे भी बढ़ रहे हैं मैं आम आदमी और किसान भाइयों के बीच एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि प्रदेश में मंडियां चालू रहेंगी। मंडियों को बंद नहीं किया जाएगा इसके बावजूद किसान भाइयों को अपनी फसल का ऊंचा दाम मंडी के अलावा यदि कहीं भी मिलता है तो वह वहाँ बेच सकते हैं। इस मामले में वे स्वतंत्र हैं। यदि उनकी फसल का दाम घर से मिल रहा हो या खेतों पर ही मिल जाये तो वे उसे बेच सकते हैं। ऐसे में विपक्षियों को क्यों परेशानी हो रही है। उन्हें परिवहन जैसी परेशानियों से भी मुक्ति मिल जायेगी। वे मंडी में लगने वाली लाईन से भी बच जायेंगे इस व्यवस्था में किसानों को कोई नुकसान नहीं है बल्कि फायदा ही फायदा है। वे चाहें तो ई-ट्रेडिंग के माध्यम से भी लाभ ले सकते हैं।
मध्यप्रदेश के किसानों के साथ-साथ हमने पशुपालकों और मत्स्य पालकों को भी शून्य प्रतिशत व्याज दर पर ऋण देने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि हितग्राहियों को किसान क्रेडिट कार्ड दिये जाने का फैसला किया गया है। सत्ता संभालने के बाद हमने फसल बीमा के 3100 करोड़ की राशि जमा करने का काम किया है ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके। प्रदेश में किसानों को किसी भी प्रकार के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यदि यह कोई कहता है कि कौआ कान ले गया तो हमें कान देखना है, कौआ के पीछे नहीं भागना है। कुल मिलाकर नये कृषि विधेयक से किसानों को आय में वृद्धि होगी और खेती करना बोझ नहीं बल्कि लाभदायक सिद्ध होगा। किसी प्रकार का टैक्स न लगने से किसान को फसल का ज्यादा मूल्य मिलेगा और उपभोक्ता को भी कम कीमत पर वस्तुएं मिल सकेंगी। नये प्रावधानों में भण्डारण की क्षमता में भी वृद्धि की गयी है। किसान भाइयों को यह बात समझनी चाहिए कि नये प्रावधानों के तहत अब उनका सीधा संवाद प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेल से होगा और बिचौलियों की छुट्टी होगी।
नई व्यवस्था में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करके यह प्रावधान किया गया है कि आलू प्याज जैसी चीजों का भी जितना चाहे उतना किसान भंडारण कर सकेंगे। ऐसे में किसानों के हक में निर्णय लिये जाने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है। देश के किसानों को प्रधानमंत्री जी पर पूरा भरोसा रखते हुए इन नये प्रावधानों का लाभ लेना चाहिये और देश के विकास में भी अपना योगदान देना चाहिये।