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भोपाल में व्यापारी को 6 घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, नकली पूछताछ के बीच पहुंची असली पुलिस; ऐसे हुआ लाइव रेस्क्यू

भोपाल
 एक व्यापारी की सूझबूझ और पुलिस की तत्काल मदद ने साइबर ठगों के इरादों पर पानी फेर दिया। मध्य प्रदेश पुलिस ने रविवार को एक व्यापारी को साइबर अपराधियों द्वारा लूटे जाने से बचा लिया। ठग व्यापारी को डिजिटल अरेस्ट करने वाले थे।
क्या है मामला

एमपी पुलिस साइबर सेल ने एक विज्ञप्ति जारी कर मामले के बारे में विस्तार से बताया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि शहर के अरेरा कॉलोनी निवासी विवेक ओबेरॉय को शनिवार दोपहर करीब 1 बजे एक व्यक्ति का कॉल आया। उस व्यक्ति ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बताकर फोन किया।

सीबीआई और क्राइम ब्रांच का दिया हवाला

विज्ञप्ति में बताया गया है कि घोटालेबाजों ने ओबेरॉय को ऐसे लोगों से कनेक्ट कराया, जो खुद को सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बता रहे थे। ठग दावा कर रहे थे कि ओबेरॉय के आधार कार्ड का उपयोग करके कई फर्जी बैंक खाते खोले गए हैं। ठगों ने ओबेरॉय को कहा कि उनके आधार से ट्रांजैक्शन के लिए कई सिम कार्ड भी खरीदे गए हैं।

स्काइप एप डाउनलोड करने का कहा

साइबर बदमाशों ने ओबेरॉय को स्काइप वीडियो ऐप डाउनलोड करने को कहा और एक कमरे में रुकने को कहा। इसी बीच मौके का फायदा उठाते हुए व्यवसायी ने सूझबूझ से काम लिया। उसने एमपी साइबर पुलिस को कॉल कर सतर्क कर दिया और पुलिस उसकी 'डिजिटल गिरफ्तारी' के बीच उसके घर पहुंच गई।

जब पहुंची असली पुलिस

जब असली पुलिस ने फर्जी कानून-प्रवर्तन अधिकारियों के आईडी वेरिफिकेशन की मांग की, तो जालसाजों ने वीडियो कॉल काट दिया। ठग को व्यवसायी की 'डिजिटल गिरफ्तारी' के दौरान उसके बैंक डिटेल तो मिल गए थे, लेकिन उसने पैसे का कोई लेनदेन नहीं किया।

ओबेरॉय की आधार डिटेल और मार्केटिंग कनेक्शन के साथ खोले गए फर्जी बैंक खातों के दावों का उपयोग करते हुए, उन्होंने उन्हें स्काइप ऐप डाउनलोड करने के लिए मजबूर किया, जहां उनसे घंटों पूछताछ की गई। इस दौरान, जालसाजों ने उनसे संवेदनशील व्यक्तिगत और बैंकिंग जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश करते हुए एक फर्जी पूछताछ भी की। उन्होंने उन्हें चेतावनी दी कि वे अपने परिवार को इस स्थिति के बारे में न बताएं, और ऐसा न करने पर उन्हें गिरफ्तार करने और नुकसान पहुंचाने की धमकी दी।

जैसे-जैसे स्कैम आगे बढ़ा, साइबर पुलिस की टीम उनके घर पहुंची और वीडियो कॉल में हस्तक्षेप किया। पुलिस ने अपना परिचय दिया और धोखेबाजों से उनकी पहचान का सबूत दिखाने को कहा। धोखेबाजों ने तुरंत कॉल काट दिया, जिससे डिजिटल अरेस्ट खत्म हो गई। इसके बाद, पुलिस ने ओबेरॉय को बताया कि घोटालेबाजों द्वारा दिखाए गए सभी नोटिस और आरोप पूरी तरह से मनगढ़ंत थे। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते पुलिस नहीं आती तो उनसे करोड़ों रुपए की ठगी हो जाती।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट के मामले में साइबर ठग आपको अनजान नंबर से कॉल करते हैं। अगर आप कॉल उठाते हैं, तो सामने वाला शख्स अपना परिचय किसी उच्च अधिकारी के रूप में दे सकता है। उदाहरण के लिए वह कह सकता है कि आपके नाम से पार्सल विदेश जा रहा था जिसमें ड्रग्स था। ऐसे में जाहिर सी बात है कि इंसान घबरा जाता है। इसके बाद ये फर्जी अधिकारी आपके नाम का फेक अरेस्ट वॉरेंट तक दिखाते हैं। आपको कैमरे के सामने रहने की हिदायत दी जाती है। यही डिजिटल अरेस्ट होता है।