Monday , December 23 2024
ताज़ा खबर
होम / राज्य / मध्य प्रदेश / युवाओं को सोशल मीडिया साक्षरता, डिजिटल एक्सटॉर्शन और ऑनलाइन लैंगिक हिंसा के बारे में शिक्षित किया जाना समय की आवश्यकता है : महिला बाल विकास मंत्री सुश्रीभूरिया

युवाओं को सोशल मीडिया साक्षरता, डिजिटल एक्सटॉर्शन और ऑनलाइन लैंगिक हिंसा के बारे में शिक्षित किया जाना समय की आवश्यकता है : महिला बाल विकास मंत्री सुश्रीभूरिया

महिला बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने कहा कि आज का ज़माना सोशल मीडिया का है ,इसलिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। सभी युवाओं को सोशल मीडिया साक्षरता, डिजिटल एक्सटॉर्शन और ऑनलाइन लैंगिक हिंसा के बारे में शिक्षित किया जाना समय की आवश्यकता है।मंत्री सुश्री भूरिया सोमवार को कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में “हम होंगे क़ामयाब” पखवाड़े के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संदेश का भी प्रसारण किया गया। उन्होंने अपने संदेश में प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा है कि हमारी बेटियों और बहनों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना आवश्यक है। बेटियों और बहनों की सुरक्षा व सम्मान केवल सरकार या पुलिस की ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। आज से 10 दिसंबर तक “हम होंगे क़ामयाब” पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसमें पुरुष वर्ग की भूमिका ज़्यादा अहम है। डॉ. यादव ने कहा कि यह आवश्यक है कि माता-पिता अपने बच्चों को जागरूक करें। महिलाओं पर होने वाली हिंसा का विरोध करें ।साथ ही समाज और परिवार में सभी समानता का माहौल बनाए। 

मंत्री सुश्री भूरिया ने कहा कि लैंगिक हिंसा आज भी हमारी सबसे बड़ी सामाजिक चुनौतियों में से एक है। यह न केवल महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को प्रभावित करती है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के रास्ते में भी बाधा उत्पन्न करती है। उन्होंने कहा कि "हम होंगे क़ामयाब" पखवाड़ा 25 नवम्बर से लेकर 10 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने इस विषय को अत्यंत गंभीरता से लिया और पूरे प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए है। हम होंगे क़ामयाब अभियान का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा की रोकथाम है। 25 नवंबर को हम महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाते हैं। इस 16 दिवसीय सक्रियता अभियान से निश्चित ही हमें महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान जैसे इन गंभीर मुद्दों को गहराई से समझने और ठोस समाधान तलाशने का एक महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा।

महिला बाल विकास मंत्री सुश्री भूरिया ने कहा कि एक सभ्य समाज का निर्माण तभी हो सकता है जब महिला पुरुषों में समानता हो।महिलाओं के साथ किसी भी तरह की हिंसा ,मारपीट ,भेदभाव किसी भी आयु के पुरुष के द्वारा न किया जाए एवं प्रत्येक पुरुष सुनिश्चित करें कि वह अपने घर परिवार पड़ौस एवं गाँव में किसी महिला के प्रति हिंसात्मक दुर्व्यवहार नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी महिला के विरुद्ध की गई हिंसा आपके परिवार के विरुद्ध की गई हिंसा ही है, क्योंकि पीड़ित महिला हम आप में से किसी की बहन, बेटी, माँ ही है और दूसरी तरफ़ हिंसा करने वाला पुरुष भी किसी का भाई, बेटा, पति अथवा पिता है। सुश्री भूरिया ने कहा कि हमें ख़ासकर घर के बड़ों को नौजवानों को समझाना होगा कि किसी भी तरह की अनैतिक हिंसात्मक गतिविधियां सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। महिलाओं की सुरक्षा गंभीर सामाजिक और क़ानूनी चुनौती है महिला सुरक्षा का मतलब केवल शारीरिक सुरक्षा से नहीं है बल्कि यह मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा को भी शामिल करता है। 

महिला बाल विकास मंत्री सुश्री भूरिया ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चला रही है। इन्हें लागू करने के लिए कानूनों और नीतियों का निर्माण किया गया है जिससे महिलाएँ अपनी सुरक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें ।कई राज्यों में महिलाओं के लिए विशेष पुलिस स्टेशन खोले गए हैं जहाँ महिलाएँ बिना किसी डर के अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। महिला हेल्पलाइन नंबर 181 महिलाओं के लिए एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ वे तत्काल सहायता प्राप्त कर सकती है। महिला हेल्पलाइन की जानकारी प्रदेश की प्रत्येक महिला तक पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने इस अभियान में महिला हेल्पलाइन नंबरों के व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा है। महिलाओं को परामर्श देने वाली एक बड़ी टीम ज़िले में भी हो जो कठिन परिस्थिति में महिलाओं को सही परामर्श दे सके। महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर अंधेरे से उजाले की तरह है क्योंकि जब महिलाएँ घरेलू हिंसा से पीड़ित होती है तो उसे उस स्थिति से बाहर निकालने में वन स्टॉप सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि वन स्टॉप सेंटर की मॉनिटरिंग करने के लिए भी एक सेल का गठन किया जाना चाहिए जो पूरे प्रदेश में वन स्टॉप सेंटर पर आने वाले प्रकरणों की संख्या की मॉनिटरिंग कर सके। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ सरकारी नहीं बल्कि ग़ैर सरकारी संगठन भी महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है ये संगठन महिलाओं की शिक्षा को शिक्षा स्वास्थ्य क़ानून सहायता और रोज़गार के अवसर प्रदान करने के साथ उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी करते हैं। घरेलू हिंसा के लिए पुलिस व न्यायिक व्यवस्था में समन्वय होना चाहिए ।महिला थानों में भी आने वाले प्रकरणों में उन्हें क़ानूनी सलाह प्रदान करने की व्यवस्था होनी चाहिए। 

विशेष पुलिस महानिदेशक महिला अपराध शाखा श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने कहा कि हम होंगे क़ामयाब का बीज आज रखा गया है। हम लोगों को "मैं" से "हम" का प्रयास करना चाहिए ।इस पखवाड़े के माध्यम से “मैं नारी हूँ और कभी न हारी हूँ” को सभी महिलाओं को अपनाना चाहिए। 

प्रमुख सचिव महिला बाल विकास श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने कहा कि ये पखवाड़ा बच्चों और महिलाओं पर केंद्रित नहीं बल्कि पुरुषों की मानसिकता बदलने का भी प्रयास है। उन्होंने कहा कि उनके व्यवहार में परिवर्तन ही नए समाज की नींव रखेगा पूरे पखवाड़े के दौरान ज़िलों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता लाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए सभी विभागों से समन्वय गतिविधियां निर्धारित की गई है। महिला बाल विकास मंत्री सुश्री भूरिया ने “हम होंगे क़ामयाब” अभियान का अधिकारिक लोगो भी लॉन्च किया।

इस अवसर पर उपयुक्त महिला बाल विकास श्रीमती सूफ़िया फ़ारूक़ी वली सहित विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि और विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।