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वैभवशाली अतीत का प्रतीक हैं हमारी विरासत

* दुनिया भर में समृद्ध इतिहास का प्रमाण बनी भारतीय विरासत, जो जमा रहीं हैं पूरे विश्व में अपनी धाक

*-डॉ. केशव पाण्डेय*

अतीत वैभवशाली होता है तो भविष्य भी गौरवशाली हो जाता है। अतीत के सहारे हम अपने वर्तमान के साथ ही भविष्य को बेहतर बनाते हैं और देश और दुनिया में अपना प्रभाव जमाते हैं। क्योंकि किसी भी देश का इतिहास ही उसके वर्तमान और भविष्य की नींव होता है। जिस देश का इतिहास जितना गौरवमयी और वैभवशाली होता है उतना ही उसका वैश्विक स्तर पर प्रभाव बढ़ता है। हालांकि बीता हुआ कल कभी वापस नहीं आता है लेकिन उस काल में बनाई गईं भव्य इमारतें, रचा गया साहित्य और वेशभूषा विशिष्ट महत्व रखते हैं और यही सब वर्तमान में हमारे गौरवशाली इतिहास के साक्षी बनते हैं। विश्व विरासत दिवस पर जानते हैं अपनी गौरवशाली विरासत को, जो देश और दुनिया में अपनी धाक जमा रहीं हैं और हमारे समृद्ध इतिहास से रूबरू करा रहीं हैं।
आज विश्व विरासत दिवस है। पूरी दुनिया में इसे मनाया जा रहा है। बीता हुआ कल कभी वापस नहीं आता, लेकिन उस काल में बनीं इमारतें और लिखे गए साहित्य उन्हें हमेशा सजीव बनाए रखते हैं। विरासत किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और उसकी प्राचीन संस्कृति के महत्त्वपूर्ण परिचायक माने जाते हैं। इसी उद्देश्य के साथ इस दिवस को मनाया जाता है।
विश्व विरासत दिवस के महत्व को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय परिषद ने एक विषय निर्धारित किया है। जिसे प्रति वर्ष अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल विश्व विरासत दिवस- “विरासत परिवर्तन“ के विषय के तहत मनाया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने हमारे पूर्वजों की विरासत को अनमोल मानते हुए इसे सुरक्षित और सरंक्षित करने के उद्देश्य से ही इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया था।
1982 में ट्यूनीशिया में ’इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स’ द्वारा पहला ’विश्व विरासत दिवस’ मनाया। अंतरराष्ट्रीय संगठन ने 1968 में विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए प्रस्ताव रखा था।
1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किए गए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इस प्रस्ताव को पारित किया गया। तब विश्व के अधिकांश देशों ने मिलकर ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने की शपथ ली। इस तरह यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर अस्तित्व में आया। 1978 में विश्व के कुल 12 स्थलों को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया। इस दिन को तब “विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस“ के रूप में मनाया जाता था। लेकिन यूनेस्को ने वर्ष 1983 में इसे मान्यता प्रदान करते हुए “विश्व विरासत दिवस“ के रूप में मनाने को कहा। वर्ष 2021 तक सम्पूर्ण विश्व में कुल 1157 विश्व विरासत स्थल हैं। जिनमे 900 ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक, 218 प्राकृतिक और 39 मिश्रित स्थल हैं।
विश्व विरासत दिवस लोगों में ऐतिहासिक इमारतों आदि के प्रति जागरुकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हमें चाहिए कि इस दिन को खास बनाने के लिए अपने आस-पास के पुरातत्व स्थल पर जाकर भ्रमण करें और अपने बच्चों को उसके इतिहास के बारे में बताएं। क्योंकि भारत एक समृद्ध विरासत का हकदार है जो अपने गौरवशाली अतीत के बारे में रूबरू कराता है। हमारे पूर्वजों ने सदियों से हमारी सांस्कृतिक और स्मारकीय विरासत को संरक्षित किया है। हमें परंपरा को बनाए रखना चाहिए। हमारी विरासत हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और बताती है कि हम वास्तव में कहां हैं।

विश्व विरासत में शामिल भारतीय स्थल
1983 मेंं पहली बार भारत के चार ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को ने “विश्व विरासत स्थल“ माना था। जिनमें ताजमहल, आगरा का क़िला, अजंता और एलोरा की गुफाएँ शामिल थीं। आज पूरे भारत में अनेक विश्व विरासत के स्थल हैं, जो अलग-अलग राज्यों में हैं। यूनेस्को ने देश के 42 ऐतिहासिक स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। इनमें आगरा का लालक़िला, अजन्ता की गुफाए, एलोरा गुफाएं, ताजमहल, महाबलीपुरम के स्मारक , कोणार्क का सूर्य मंदिर, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, केवलादेव नेशनल पार्क, मानस अभ्यारण्य, गोवा के चर्च, फ़तेहपुर सीकरी, हम्पी के अवशेष, खजुराहो मंदिर, एलिफेंटा की गुफाएं, चोल मंदिर, पत्तदकल के स्मारक, सुन्दरवन नेशनल पार्क, ऐलीफेंटा की गुफाएं, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, सांची का स्तूप, हुमायूं का मक़बरा, क़ुतुब मीनार, माउन्टेन रेलवे, बोधगया का महाबोधि मंदिर, भीमबेटका की गुफाए, चम्पानेर-पावरगढ़ पार्क, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, दिल्ली का लाल क़िला , जंतर-मंतर, वेस्टर्न घाट, राजस्थान के पहाड़ी दुर्ग, ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय उद्यान, नालंदा विश्वविद्यालय, कंचन जंगा राष्ट्रीय उद्यान, ली कोर्बुजिए के वास्तुशिल्प, अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर, मुंबई विक्टोरियन और आर्ट डेको एनसेंबल, गुलाबी शहर जयपुर, रामअप्पा मंदिर, धोलावीरा प्रमुख हैं। इनके अलावा विष्णुपुर के मंदिर और मट्टनचेरी पैलेस कोच्चि केरल ये दो धरोहर स्थल हैं। ऋग्वेद की पाण्डुलिपियाँ भी विश्व धरोहर में शामिल हैं।

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