चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के उन आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह पर बृहस्पतिवार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को केवल सभागारों एवं खुले मैदानों में ‘रूट मार्च’ निकालने और जनसभा करने की अनुमति दी गई थी।
अन्ना नगर निवासी जी सुब्रमण्यम एवं 44 अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति आर महादेवन और न्यायमूर्ति जे सत्यनारायण प्रसाद की पीठ ने नोटिस जारी करने का आदेश दिया, जिस पर पांच जनवरी तक जवाब देना होगा। इस बीच, पीठ ने कहा कि संबंधित प्राधिकारी 22 या 29 जनवरी को रैली और बैठकें आयोजित करने को लेकर याचिकाकर्ता से कोई आवेदन मिलने पर उस पर विचार कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान याचिकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकीलों ने कहा कि याचिकाकर्ता दो तारीखों में से किसी एक पर रैली और बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव रख रहे हैं।
अतिरिक्त लोक अभियोजक राज तिलक ने न्यायाधीशों से कहा कि आरएसएस ने ही इन कार्यक्रमों को रद्द किया था, जबकि सरकार सुरक्षा प्रदान करने और कार्यक्रम के शांतिपूर्ण संचालन की व्यवस्था करने के लिए तैयार थी। याचिका में अदालत के पहले के उस आदेश का पालन नहीं करने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों और पुलिस कर्मियों को दंडित करने का भी अनुरोध किया गया है, जिसमें दो अक्टूबर को ‘रूट मार्च’ निकालने के लिए आरएसएस को अनुमति देने का उन्हें निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति जी. के. इलानथिरैंयां ने चार नवंबर को आदेश दिया था कि ‘रूट मार्च’ और बैठकें मैदान या स्टेडियम जैसे परिसरों में ही आयोजित की जानी चाहिए। इस आदेश को चुनौती दी गई है।