कोलकाता : एक बार पाब्लो पिकासो ने कहा था, “नियमों को एक प्रो की तरह सीखें, ताकि उन्हें आप एक कलाकार की तरह तोड़ सकें।” कला ने अनंत काल से सीमाओं के बंधन को तोड़ा है।
आर्ट… एस्थेटिक विजुअल फॉर्म पर प्राथमिक जोर देने के साथ स्पिरिचुअल, नरेटिव, फिलॉसफिकल, सिंबोलिक, कॉन्सेप्चुअल, डॉक्यूमेंट्री, डेकोरेटिव, और यहां तक कि फंक्शनल व अन्य उद्देश्यों के लिए मनुष्यों द्वारा बनाए गए पहले ऑब्जेक्ट्स । सिटी ऑफ़ जॉय, कोलकाता परफॉर्मेंस आर्ट के क्षेत्र में सबसे इनोवेटिव, बेंचमार्क का गवाह बना, जिसमें आम तौर पर चार बुनियादी तत्व शामिल होते हैं: समय, जगह, शरीर और कलाकार की उपस्थिति, साथ ही साथ कलाकार और जनता के बीच संबंध। ताला प्रतॉय ने अपने दुर्गा पूजा समारोह के 96वें वर्ष में कला के अचेतन और बेहद खूबसूरत वर्क के साथ ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित किया है। सौंदर्य की दृष्टि से डिजाइन की गई कला को विजुअल आर्टिस्ट और सीनोग्राफर सुशांत पॉल ने कॉन्सेप्चुलाइज किया था। यह आर्ट जारी महामारी के दौरान हर इंसान की मनःस्थिति की मूल कहानी को बयां करता है। कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों पर लगाए गए प्रतिबंधों को दर्शाने वाली 50 फीट की आउटर स्ट्रक्चर को क्लब के अधिकारियों द्वारा खींचा गया, जो पिछले दो वर्षों से जारी मुश्किल हालात को दर्शाता है। दुर्गा पूजा की शुरुआत वाले दिन, यानि महालय के शुभ अवसर पर क्लब के चुनिंदा सदस्यों और कर्मचारियों की उपस्थिति में जारी परफॉरमेंस के माध्यम से धीरे-धीरे इनर सैंकटम सोंकटोरम(भीतरी गर्भगृह) की शुरुआत हुई।
इस संपूर्ण महान कृति की परिकल्पना करने वाले विजुअल आर्टिस्ट, सीनोग्राफर और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता श्री सुशांत पॉल, ने कहा, “आज हमने जो देखा वह किसी नरेटिव से कम नहीं था, जिसे परफॉर्मेंस और वर्चुअल दर्शकों के लिए क्षणिक और प्रामाणिक अनुभव के रूप में अभिव्यक्ति मिली। एक ऐसा इवेंट जिसे दोहराया, कैप्चर या खरीदा नहीं जा सकता। महामारी के अभिशाप की वजह से दुनिया बीमार करने वाली घुटन से गुजर रही है। हमने उन दर्द और जज्बातों को कैप्चर करने की कोशिश की, जिससे लोग अपने घरों के अंदर गुजर रहे थे। दुर्गा पूजा भारत और दुनिया भर में मनाए
जाने वाले सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है और हम सभी के लिए हमेशा कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करना जरूरी है। यह आर्ट उस कहानी को बयां करती है जिसका सामना हम सभी ने महामारी के दौरान किया है। 1000 खिड़कियाँ हर इंसान की भीतरी खिड़कियाँ हैं जो उस कहानी को बताती हैं जो कभी व्यक्त नहीं की गई। ”
ताला प्रतोय के सीएफओ, मृत्युंजय विश्वास और असिस्टेंस सेक्रेटरी, चिरंजीब चटर्जी, ने कहा, “ताला प्रतोय, कोलकाता में दुर्गा पूजा महोत्सव के सबसे जाने-माने आयोजकों में से एक रहा है। महामारी ने हमारे आस-पास जिंदगियों को तबाह कर दिया है और हमारे अस्तित्व पर संकट पैदा हो रहा है। इस दौर ने एक आर्ट फॉर्म की मांग की है जो दर्शकों के दिलो-दिमाग पर हमेशा के लिए अंकित हो जाएगा। पिछले 10-15 सालों में बंगालियों ने अपने सबसे बड़े त्योहार को सिर्फ उत्सव तक सीमित नहीं रखा है, इसने आर्ट का एपिसेंटर होने की उपाधि अर्जित की है, जो अपनी भव्यता और विचारोत्तेजक कॉन्सेप्ट्स लिए रीस्टोर किए जाने की मांग करता है। इस वर्ष भी हम पुलिस प्रशासन के अलावा माननीय उच्च न्यायालय और संबंधित राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा निर्धारित कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करेंगे और यह संदेश फैलाएंगे कि (UNRESTRICTED) अप्रतिबंधित होने का मतलब लापरवाह होना नहीं है। ये सजग रहने के लिए कदम उठाए जाने की मांग करता है, क्योंकि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। हम आर्टिस्ट श्री सुशांत पॉल के आभारी हैं जिन्होंने इस विशाल संरचना को तैयार किया है और परफॉर्मेंस आर्ट के माध्यम से दुनिया भर में मानवता द्वारा झेले जा रहे संकटों और प्रतिबंधों को दर्शाया है।”
आर्टवर्क ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी #UNRESTRICTED21 भारत में ट्रेंड कर रहा है। कलाकृति को न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर डिजिटल बिलबोर्ड पर प्रदर्शित किया गया। आज के बाहरी स्ट्रक्चर को नीचे गिराने के दौरान सुभदीप गुहा, सुब्रत मृधा, सुदीप्त मैती और अन्य लोगों के सामंजस्यपूर्ण परफॉरमेंसेस देखने को मिले। आर्ट के साथ-साथ लाइव ऑर्केस्ट्रेशन ने महामारी के दौरान मानव जाति के दर्द और असहायपन को रेखांकित करने के साथ ही सर्वशक्ति से कोविड से पहले के दौर के वापसी के लिए प्रेरणा ग्रहण किया, जिससे विविध भारतीय संस्कृतियां समान रूप से प्रभावित हुई हैं।