आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी। चंदेरी वैश्विक महामारी के कारण आज ईद अल अजहा का त्यौहार भी आज़ कोविड 19 की भेंट चढ़ गया। मुस्लिम समाज के लोगों ने त्यौहार सादगी से ही घर पर रहकर मनाया। मस्जिदों में कौशिश की गई कि ईंद की नमाज सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलाइन के अनुसार पांच लोगों ने ही ईंद की नमाज अदा की। मौहल्ले की हर छोटी-बड़ी मस्जिद में पांच छः लोग ने ही ईंद की नमाज अदा की।
वहीं जामा मस्जिद में भी शाही पेश इमाम हाफिज अब्दुल रशीद साहब ने सिर्फ पांच लोगों के साथ ही ईंद की नमाज अदा की। ईद की नमाज ईदगाह,बाकर खानी,मदरसे आदि में भी नमाज गाइडलाइन के साथ ही अदा की।
ईद अल अजहा
ईद अल अजहा अपनी बोली में बकरा ईद के नाम से जाना जाता है। यही बकरा ईद हक़ और सच्चाई की राह में अपना सब कुछ कुर्बान करने की सीख देती है। मुस्लिम धर्म के आधार पर ऐसा धार्मिक ग्रंथ(कुरान शरीफ) में ज़िक्र किया गया है कि अल्लाह ताला ने अपने पैगम्बर इब्राहिम अलेह अस्सलाम को आजमाने के लिए आपने फ़रमाया कि आपको इस दुनिया में जो सबसे आपको प्यारी हो उसे मेरी राह में कुर्बान करें। इब्राहिम अलेह अस्सलाम को सबसे प्यारा आपका बेटा इस्माइल अलेह अस्सलाम ही सबसे अजीज थे। इब्राहिम अलेह अस्सलाम ने अपने बेटे को ही अल्ल्लाह ताला की राह में कुर्बान करने का फैसला लिया।बेटे इस्माइल अलेह अस्सलाम ने अपने वालिद से आंखों पर पट्टी बांधने का कहा जिससे उनके हाथ न कांपे।
इस्माइल अलेह अस्सलाम जमीं पर लेट गए। ओर उनके वालिद ने अपने बेटे की गर्दन पर चाकू चला दिया। अल्ल्लाह ताला तो इब्राहिम अलेह अस्सलाम का इंतिहान ले रहा था।बेटे की जगह अल्ल्लाह ने मेंढे को लिटा दिया और बेटे को उठा लिया।
इस तरह ये एक बाप की कुर्बानी भी अल्ल्लाह ताला की राह में हो गई और उसी दिन से यह ईंद अल अजहा का त्यौहार हक और सच्चाई की राह पर कुर्बान करने की सीख देता है और उसी दिन से ईद अल अजहा का त्यौहार मनाया जा रहा है जबसे ही मेंढे,बकरे, बढ़े जानवर पर भी कुर्बानी जायज़ बताई गई है जो आज तक मनाते आ रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन चौकस
आज़ ईद अल अजहा के अवसर पर वैश्विक महामारी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने भी सभी मुस्लिम समाज के लोगों से सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलाइन का पालन करने का अनुरोध किया और जगह जगह अनुविभागीय अधिकारी चंदेरी देवेंद्र प्रताप सिंह, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस श्रीमती लक्ष्मी सिंह, नगर निरीक्षक उपेंद्र सिंह भाटी अपनी अपनी टीम बनाकर व्यवस्था और समाज को समझाते नजर आए। वहीं मुस्लिम समाज ने सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलाइन का पालन करते हुए ईद की नमाज अदा की। ईद पर सभी समाज के लोगों ने गले मिलने की जगह दिल मिलाने का आदाब अर्ज दूर से करना बेहतर समझा। ईद पर हर छोटी-बड़ी मस्जिद में मुल्क की बेहतरी के लिए और मुल्क को इस बीमारी से निजात दिलाने की मालिक से दुआ की गई।