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मार्च के मौसम ने तोड़े कई रिकॉर्ड, 120 सालों में सबसे ज्यादा हुई बारिश

नई दिल्ली।

इस बार मार्च के मौसम ने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। माह भर की बारिश जहां 120 सालों की सर्वाधिक रही, वहीं 24 घंटे की बारिश के पैमाने पर भी यह माह एक सदी के चौथे पायदान पर रहा है। इस माह का अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान भी सामान्य से कम दर्ज किया गया। पश्चिमी विक्षोभ भी औसत से अधिक आए। मौसम विभाग इस बदलाव को सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देख रहा है।

मार्च ने हर स्तर पर बनाए कई रिकॉर्ड

गौरतलब है कि सर्दियों का मौसम अक्टूबर से फरवरी तक ही माना जाता है। मार्च में गर्मी व तापमान दोनों ही बढ़ने लगते हैं। पिछले वर्षों पर गौर करें तो मार्च के पूर्वा‌र्द्ध में ही अधिकतम पारा 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता रहा है। लेकिन इस साल बार-बार आए पश्चिमी विक्षोभों के प्रभाव से अप्रैल के प्रथम सप्ताह में भी गर्मी अपनी रंगत पर नहीं आ पाई है। इससे भी अहम बात यह रही कि मार्च माह ने हर स्तर पर नए रिकॉर्ड बनाए।

मार्च में हुई 120 साल में सबसे ज्यादा बारिश

जानकारी के मुताबिक मार्च में बारिश का सामान्य स्तर 15.9 मिलीमीटर है, जबकि इस मार्च में यह 109.6 मिलीमीटर हुई। यह 1901 से लेकर अभी तक की (मौसम विभाग के पास इससे पूर्व का कोई रिकॉर्ड नहीं है) सबसे ज्यादा बारिश है। इससे पहले मार्च 2015 में 97.4 मिलीमीटर बारिश हुई थी। इसी तरह अब अगर 24 घंटे की बारिश पर गौर करें तो उस पैमाने पर मार्च माह चौथे पायदान पर रहा है। 15 मार्च को 24 घंटे में रिकॉर्ड 37 मिलीमीटर बारिश हुई। इससे पहले 1915 में 62.2, 1934 में 54.8 और 2015 में 56.8 मिलीमीटर बारिश हुई थी।

वहीं, इस माह का सामान्य अधिकतम तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस है, जबकि इस माह का औसत अधिकतम तापमान 1.4 डिग्री कम 28.2 डिग्री सेल्सियस रहा। 7, 8, 9, 10, 11, 12, 15, 16, 17, 18, 22, 27, 28, 29 तारीख को भी यह सामान्य से कम दर्ज हुआ।

इसी तरह से मार्च का सामान्य न्यूनतम तापमान 15.6 डिग्री सेल्सियस है, जबकि इस माह का औसत न्यूनतम तापमान 0.6 डिग्री कम 15.0 डिग्री सेल्सियस रहा। पूरे माह यह सामान्य से कम ही दर्ज किया गया। मतलब, मार्च गर्मियों का हिस्सा होने के बावजूद ठंडा रहा।

पश्चिमी विक्षोभ भी सामान्य से अधिक रहे मार्च में

इस साल पश्चिमी विक्षोभ भी सामान्य से अधिक रहे। आमतौर पर इस माह में शुरुआती दिनों के दौरान तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ ही आते हैं। लेकिन इस बार इनकी संख्या छह रही। बार- बार के पश्चिमी विक्षोभों का ही परिणाम रहा कि मार्च के एक तिहाई दिन बारिश हुई। इसमें से भी कई दिन तो अच्छी खासी बारिश हुई।

कुलदीप श्रीवास्तव (प्रमुख, प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र, दिल्ली) का कहना है कि इसमें संदेह नहीं कि मौसम चक्र पर अब जलवायु परिवर्तन का असर नजर आने लगा है। दिसंबर के महीने ने ठंड का 120 साल का रिकॉर्ड तोड़ा था, अब मार्च ने बारिश के मामले में रिकॉर्ड बनाया है।

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