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मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित प्रक्रम फेस्ट के लाइव कॉन्सर्ट में परफॉर्म किया बॉलीवुड सिंगर सचेत टंडन और परंपरा ठाकुर ने

आम सभा, भोपाल : रविवार की शाम मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी द्वारा मानसरोवर डेंटल कॉलेज कैंपस में बॉलीवुड संगीतकार गायक पंरपरा ठाकुर और सचेत टंडन ने परफॉर्म किया। रियलिटी शो जीतने के बाद फेम और स्टारडम तो मिला लेकिन हम इतने से संतुष्ट नहीं थे, हम कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे हमारे काम को लोग पहचाने, हमने सिंगिंग के साथ कम्पोजिंग करने का मन बनाया। हम दोनों ही एक-दूसरे को बहुत अच्छे से समझते है, इसलिए जोड़ी बनाने का निर्णय लिया, चार साल की जर्नी हमें यहां तक ले आई। यह बात रविवार को एक होटल में मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान सुप्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी परंपरा-सचेत ने कहे।

अगर संतुष्ट हो जाते तो गायब हो जाते
सिंगिंग रियलिटी शो द वाइस आफ इंडिया के वर्ष 2015 के विनर रहे सचेत टंडन ने कहा की शो के बाद स्टारडम मिला, स्टेज शो मील, लेकिन जो सक्सेस हमें चाईए थी वह अभी तक दूर थी, हम कुछ अलग करना चाहते थे, जोड़ी बनाकर अपनी कुछ कम्पोजीशन बनाई, फिर हमें टॉयलेट एक प्रेमकथा मिली, जिसके गीत लोगों ने काफी पसंद किये।

दो दिन में बनाया बेख्याली गीत
हमारे पास पहले से तैयार धुने नहीं होती, निर्देशक हमें स्टोरी प्लॉट देता है, हम उस पर रिसर्च करते हैं, इसके बाद धुन और गाने तैयार होते है, कबीर सिंह फ़िल्म के इस सुपर हिट गीत की जर्नी भी ऐसी ही है, निर्देशक संदीप रेड़्डी ने हमें स्टोरी के मुतािबक कुछ सुनाने को कहा, हमने उनके एक महीने का समय मांगा, लेकिन जब हम दोनों साथ बैठे तो दो दिन में ही धुन तैयार हो गई, जिसे हमने उन्हें सुनाई, ये धुन उस समय उन्हें पसंद नहीं आई, लेकिन अगले ही दिन निर्देशक ने हमें इसी धुन पर गीत बनाने का बोला, ओर दो दिनों में हमने बेख्याली में मुझे तेरा ही ख्याल आए गीत तैयार कर उन्हें सुना दिया,अपने सुपर हिट गीत से जुडे इस वाक्यें का जिक्र सचेत ने किया।

हमारे पास दो दिमाग, दो सोच, दो आलोचक
हम दोनों ही एक दूसरे के सबसे बड़े फैन और आलोचक है, एक चीज किसी को पसंद आती है तो दूसरे को नहीं, किसी धुन को लेकर भी हम पहले एक-दूसरे की बात सुनते है, फिर उस पर विचार करते है, इसके बाद जिसकी बात सही लगती है, उसे फालो करते है, इससे कुछ नया और अच्छा निकल कर आता है।

सीए बनना चाहती थी, लेकिन यहां आ गई
गायिका और कंपोजर परंपरा ठाकुर ने कहा की वे पढ़ाई में शुरुआत से ही होनहार रही है, वे सीए बनना चाहती थी, लेकिन पारिवािरक माहौल संगीत का रहा था, सो बचपन से ही संगीत से भी जुड़ाव रहा, फिर सचेत से मुलाकात के बाद हमने साथ में काम करने का मन बनाया ओर आज यहां तक आ पहुचें।

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