आम सभा, भोपाल। बिहार सांस्कृतिक परिषद के तत्वधान में आयोजित छठ महापर्व का खड़ना/ सँझत/ लोहंडा सम्पन हुई। छठव्रती श्रद्धालु पूरे दिन उपवास के साथ शायं काल मे खीर, दूध, मीठा, चने का दाल, चावल का प्रसाद बनाकर भोग लगाए एवं पूजा अर्चना कर खरना किये। सरस्वती देवी मंदिर, बरखेड़ा में छठव्रती श्रद्धालुओ के स्नान हेतु कुँए से लाइव सावर की व्यवस्था की गई है। जिसमे सैकड़ो छठ व्रती श्रद्धालु छठ पूजा का खड़ना किये। शनिवार को डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर सरस्वती मंदिर प्रांगण में छठ प्रसंग का कार्यक्रम होगी।
परिषद के महासचिव सतेन्द्र कुमार ने कहा कि परिषद् के सदस्यों द्वारा स्वच्छ्ता एवं पवित्रता का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा हेतु सूर्य कुंडों एवं प्रांगण की पवित्रता अक्षुण रखते हुए छठ वर्ती श्रद्धालु एवं भक्तो की सुविधा हेतु परिषद के कार्यकर्ता लगातार स्वच्छता अभियान चला रहे है। परंपरा अनुसार इस महापर्व में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना होता है जिसमे प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित रहता है। केवल बनस्पतियों के बने सामग्री ही उपयोग करते है। बांस के बनाये सूपा, डलिया और दौरा का उपयोग किया जाता है। प्रसाद के रूप में अनेक प्रकार के फल, गाजर, मूली, गन्ना, अनाज का ही उपयोग किया जाता है। बिहार सांस्कृतिक परिषद् म. प्र. शासन से पंजीकृत एवं भेल, भोपाल से संबद्ध सबसे बड़ा सांस्कृतिक एवं गैर राजनैतिक संगठन हैं जिसमे भोजपुरी, मैथली एवं मगही भाषी दो लाख लोग जुड़े है।
परिषद् के महासचिव सतेन्द्र कुमार ने बताया कि परिषद् द्वारा सरस्वती देवी मंदिर प्रांगण, ई. सेक्टर, बरखेड़ा मे निर्मित सूर्यकुंड मे छठ महापर्व के भव्य आयोजन में लगभग 20 हजार से अधिक श्रद्धालु छठव्रती महिलाये/ पुरुष एवं भक्तजन भाग लेते हैं। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व इस वर्ष 31 अक्टूबर, 2019 को नहाय–खाय से प्रारम्भ होकर 01 नवम्बर, 2019 को लोहण्डा/संझत तथा 02 नवम्बर को भगवान सूर्य का प्रथम अर्ध्य (सायं) एवं 03 नवम्बर को द्धितीय अर्ध्य (प्रात:) देने के पश्चात सम्पन्न होगा।
छठ स्थल पर 02 नवम्बर उपास को सायं से 03 नवम्बर पारण तक छठ मईया के मधुरिम गीत/देवी जागरण एवं भजन गायन की प्रस्तुति बिहार के प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ नीतू कुमार नूतन एवं सुर संग्राम सीजन 2 के विजेता, दूरदर्शन एवं महुआ टीवी फेम एवं प्रसिद्ध गायक श्री रघुवीर शरण श्रीवास्तव, मनोज अहिरवार द्वारा किया जाएगा। छठ घाट को सुसज्जित एवं सुव्यवस्थित करके प्रांगण में व्रतधारी महिला हेतु चेंजिंग रूम, सभी छठव्रती श्रद्धालुओ हेतु कुएं से लाइव सावर लगाई जाएगी। साथ ही सभी श्रद्धालुओ हेतु चाय एवं गर्म पानी की व्यवस्था रहेगी।
छठ महापर्व के बारे में
भगवान सूर्यदेव के प्रति भक्तों के अटल आस्था का अनूठा पर्व छठ हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। छठ पूजा या सूर्य षष्टी एक प्राचीन हिंदू पर्व हैं जिसमे पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य भगवान को आभार व्यक्त किया जाता है। सूर्य जिसे ऊर्जा और जीवन शक्ति के देवता के रूप में माना जाता है उसकी छठ त्योहार के दौरान भलाई समृद्धि और प्रगति को बढ़ावा देने के लिए पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य की पूजा कुष्ठ रोग सहित विभिन्न प्रकार के बीमारियों के निवारण कर सकती है और परिवार के सदस्यों मित्रों और बुजुर्गों की लंबी उम्र और समृद्धि सुनिश्चित कर सकती है। इस दिन जल्दी उठे और अपने घर के पास एक झील, तालाब या नदी में स्नान करें। छठ पूजा स्नान करने के बाद नदी के किनारे खड़े रह कर सूर्यास्त एवं सूर्योदय के दौरान सूर्य की पूजा करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य को धुप और फूल अर्पण करें। सात प्रकार के फूल, चावल, चंदन, तिल आदि से युक्त जल को सूर्य को अर्पण करें। सर झुका कर प्रार्थना करते हुए “ओम गृहिणी सूर्यया नमः” या “ओम सूर्यया नमः” 108 बार बोलें। आप पूरे दिन भगवान सूर्य के नाम का जप जारी रख सकते हैं। अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों और गरीब लोगों को भोजन कराएं। आप पुजारी या गरीब लोगों को कपड़े, भोजन, अनाज आदि का दान भी दे सकते हैं।
छठ व्रत कथा
दिवाली के ठीक छह दिन बाद मनाए जानेवाले इस महाव्रत की सबसे कठिन और साधकों हेतु सबसे महत्त्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्टी की होती है, जिस कारण हिन्दुओं के इस परम पवित्र व्रत का नाम छठ पड़ा। चार दिनों तक मनाया जानेवाला सूर्योपासना का यह अनुपम महापर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश सहित सम्पूर्ण भारतवर्ष में बहुत ही धूमधाम और हर्सोल्लासपूर्वक मनाया जाता है। यूं तो सद्भावना और उपासना के इस पर्व के सन्दर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं, किन्तु पौराणिक शास्त्रों के अनुसार जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा, फलस्वरूप पांडवों को अपना राजपाट मिल गया।
छठ व्रत विधि
कथानुसार छठ देवी भगवान सूर्यदेव की बहन हैं और उन्हीं
को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी नदी के किनारे इस पूजा को मनाते हैं।
इस पर्व में पहले दिन घर की साफ सफाई और शुद्ध शाकाहारी भोजन किया जाता है, दूसरे दिन खरना का कार्यक्रम होता है, तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन भक्त उदियमान सूर्य को उषा अर्घ्य देते हैं। मान्यता है कि यदि कोई इस महाव्रत को निष्ठां और विधिपूर्वक संपन्न करता है तो निःसंतानों को संतान की प्राप्ति और प्राणी को सभी प्रकार के दुखों और पापों से मुक्ति मिलती है।